आपकी खाने की थाली में भोजन नहीं, बीमारियां परोसी जा रही हैं
‘90 फीसदी आधुनिक बीमारियों की जड़ में दरअसल हमारा भोजन और खानपान ही है.’ – डॉ. रॉबर्ट लस्टिंग
जीवन में बहुत स्ट्रेस (तनाव) है. घर में स्ट्रेस, ऑफिस में स्ट्रेस. काम का, परफॉर्मेंस का, टॉप पर रहने का, सफल होने का, जिम्मेदारियों का, परेशानियों का, चुनौतियों का, असुरक्षा का, आगे बढ़ने का, पीछे छूट जाने का स्ट्रेस. ऐसी चीजों की लंबी फेहरिस्त है, जिसके कारण जीवन तनावपूर्ण बना हुआ है.
इस बढ़ते हुए स्ट्रेस के लिए हम जीवन की तमाम स्थितियों, घटनाओं और जीवन के हालात को जिम्मेदार मानते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस स्ट्रेस के लिए आपका खान-पान और भोजन भी जिम्मेदार है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि हाई सॉल्ट वाली चीजें और प्रॉसेस्ड फूड का सेवन आपके तनाव को दुगुना कर सकता है.
वैज्ञानिकों ने चूहों पर की गई इस साइंटिफिक स्टडी में पाया कि ज्यादा नमक वाली और प्रॉसेस्ड चीजें खाने पर चूहों में स्ट्रेस का लेवल काफी बढ़ गया था. इस वैज्ञानिक प्रयोग के लिए उन्होंने चूहों को दो समूहों में बांटा. एक समूह को उनका सामान्य प्राकृतिक भोजन खिलाया गया और दूसरे समूह को रिच सॉल्ट प्रॉसेस्ड फूड. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मशीनों में प्रॉसेस होकर बना पैकेज्ड फूड.
फिर दोनों समूहों के चूहों को पानी से भरे एक टब में छोड़ दिया गया. उस टब में एक सेफ पॉइंट भी था. प्राकृतिक भोजन कर रहे चूहे पानी में गिरते ही तुरंत तैरकर उस सेफ पॉइंट पर पहुंच गए, जो कि सभी जीवों का नैचुरल रिस्पांस होता है. यानी कि थ्रेट महसूस होने पर तुरंत सेफ्टी की तलाश करना. उसे आइडेंटीफाई करना और उस तक पहुंच जाना.
वहीं दूसरी ओर हाई सॉल्ट प्रॉसेस्ड फूड खा रहे चूहे बेचैनी में पानी में ही इधर-उधर घूमते रहे और सेफ्टी पॉइंट तक पहुंचने में उन्हें दूसरे समूह के चूहों के मुकाबले चार गुना ज्यादा वक्त लगा.
वैज्ञानिकों ने पाया कि असामान्य और अप्राकृतिक भोजन ने उन चूहों के दिमाग को डैमेज कर दिया था. वो ज्यादा थ्रेट और स्ट्रेस महसूस कर रहे थे और ऐसे में एक नॉर्मल हेल्दी डिसिजन ले पाने की स्थिति में नहीं थे.
स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के द्वारा किए गए इस वैज्ञानिक अध्ययन के बाद डॉक्टर्स इस नतीजे पर पहुंचे कि ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन न सिर्फ तनाव को बढ़ाता है, बल्कि यह दिमाग को डैमेज करने का भी काम करता है.
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आज भारत में 30 फीसदी बच्चे स्ट्रेस, एंग्जायटी, हायपरटेंशन जैसी बीमारियों की जद में है. डॉ. मार्क हाइम इसके लिए प्राइमरी तौर पर बच्चों के भोजन को जिम्मेदार मानते हैं.
बच्चे जितना भी पैकेज्ड फूड खाते हैं, जैसेकि चिप्स, कोल्डड्रिंक, कुकीज, केक, नमकीन आदि, उन सब में सामान्य से कहीं ज्यादा नमक और चीनी दोनों होता है. बकौल डॉ. मार्क यह प्रॉसेस्ड हाई सॉल्ट, हाई शुगर फूड आधी से ज्यादा बीमारियों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है.
जो स्टडी एडिबर्ग यूनिवर्सिटी ने सॉल्ट के संबंध में चूहों पर की, ठीक वैसी ही स्टडी हार्वर्ड मेडिकल स्कूल भी चूहों पर कर चुका है, लेकिन वहां पर चूहों को उनके प्राकृतिक भोजन की जगह बड़ी मात्रा में शुगर या चीनी खिलाई गई.
डॉक्टरों ने पाया कि चीनी का भी चूहों के ब्रेन पर उतना ही डैमेजिंग इफेक्ट हुआ, जितना कि नमक का हो रहा था. चीनी के सेवन से चूहों में तनाव बढ़ रहा था. उनका स्ट्रेस रिस्पांस कम हो रहा था. उनकी सक्रियता पर असर पड़ रहा था. लंबे समय तक चीनी का सेवन करने वाले चूहों में सुस्ती रहती थी. वो सामान्य प्राकृतिक भोजन कर रहे चूहों के मुकाबले कम सक्रिय थे.
इस विषय पर एक बहुत ही अहम किताब है डॉ. रॉबर्ट लस्टिंग की- ‘मेटाबॉलिकल.’ इस किताब में डॉ. लस्टिंग बहुत वैज्ञानिक तरीके से और सामान्य जन की भाषा में समझाते हैं कि कैसे 90 फीसदी आधुनिक बीमारियों की जड़ में दरअसल हमारा भोजन और खानपान ही है. हम कितने स्वस्थ्य रहेंगे या बीमारियों को न्यौता देंगे, यह सिर्फ और सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि हम साल दर साल, रोज अपने शरीर के भीतर क्या डाल रहे हैं. भोजन पूरे ह्यूमन एक्जिस्टेंस के केंद्र में है.
‘मेटाबॉलिकल’ में डॉ. लस्टिंग विस्तार से चीनी और नमक दोनों के बारे में बात करते हैं और बीमारियों के इसके सीधे कनेक्शन को प्रूव करते हैं. इस संबंध में उनकी एक और किताब पढ़ी जा सकती है- “फैट चांस, द हिडेन ट्रुथ अबाउट शुगर, ओबिसिटी एंड डिजीज.”
कहने का आशय यह कि जो बीमारियां आज से 50 साल पहले तक एग्जिस्ट भी नहीं करती थीं, आज वह न सिर्फ पैदा हो रही हैं, बल्कि पिछले दो-तीन दशकों में उसका ग्राफ यदि लगातार बढ़ रहा है तो इसका कारण 30-40 सालों में आया कोई जेनेटिक बदलाव नहीं है. इसका बहुत गहरा ताल्लुक हमारी लाइफ स्टाइल और खानपान से है. उस खानपान को सुधारकर, अपनी लाइफ स्टाइल को बेहतर बनाकर इन बीमारियों से निजात पाई जा सकती है.
Edited by Manisha Pandey