शादी के मौके पर नवदंपती ने पौधरोपण कर पेश की मिसाल
शादी के मौके पर नवदंपती का पौधरोपण कर मिसाल पेश करना पूरी पीढ़ी के लिए एक अनुकरणीय कदम है। अपनी शादी के दिन सवा सौ पौधे रोपकर यह नजीर पेश की है राजस्थान की हिमानी और मध्य प्रदेश के सिद्धार्थ ने।
दादाबाड़ी, कोटा (राजस्थान) की दुल्हन हिमानी सिंघल और भोपाल (म.प्र.) के दूल्हा सिद्धार्थ ने ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रहे वक्त में बूंदी रोड स्थित हर्बल पार्क में सवा सौ पौधे लगाकर एक नई मिसाल पेश की है। सिद्धार्थ कजाकिस्तान में एक मल्टीनेशनल कंपनी में और हिमानी बेंगलुरु में नौकरी करती हैं। सिद्धार्थ कहते हैं कि अंटार्कटिका विजिट के दौरान उन्हें इस बात का ख्याल आया था कि लोग प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं। दुनिया को मानवीकृत विनाश से बचाने के लिए आज हर व्यक्ति को सामने आना चाहिए। इसीलिए उन्होंने अपनी शादी के मौके पर सवा सौ पौधे लगाए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने शादी में किसी भी तरह के प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया। प्लास्टिक के इस्तेमाल से भी पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। हिमानी बताती हैं कि वह इस तरह के प्रयासों से प्रकृति को कुछ लौटाना चाहती हैं। इसीलिए उन्होंने पति के साथ ग्रीन वेडिंग सेलिब्रेट किया है।
उल्लेखनीय है कि भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्लोउबल वॉर्मिंग) के कारण पृथ्वी की निकटस्था सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्दीग से लगातार वृद्धि हो रही है। बीसवीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है, उसका मुख्य कारण मनुष्य निर्मित ग्रीनहाउस गैस हैं। रती का वायुमंडल कई तरह की गैस से मिलकर बना है, जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैस भी शामिल हैं।
इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना रही हैं, जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेती हैं और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जा रहा है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोक रहा है। जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित कर रहे हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक भयावह हो सकता है। ऐसे में हिमानी और सिद्धार्थ का कदम हमारी पूरी पीढ़ी के लिए एक अनुकरणीय कदम है।
हिमानी और सिद्धार्थ का कहना है कि प्रकृति समस्त जीवों के जीवन का मूल आधार है। प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन जीव जगत के लिए बेहद अनिवार्य है। प्रकृति पर ही पर्यावरण निर्भर करता है। अगर प्रकृति समृद्ध एवं संतुलित होगी तो पर्यावरण भी अच्छा रहेगा। प्राकृतिक आपदाओं से बचने और पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए वृक्षों का होना बहुत जरूरी है। वृक्ष प्रकृति का आधार हैं। वृक्षों के बिना प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पुराणों में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि एक वृक्ष लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना की दस गुणवान पुत्रों से यश की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार कोई अपने बच्चे की परवरिश करता है, उसी तरह से हमें जीवन में एक वृक्ष तो अवश्य लगाना चाहिए। साथ ही उसकी सुरक्षा भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कवि वह हर वर्ष इसी तरह से आगे भी अपनी शादी की वर्षगांठ मनाया करेंगे।
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