पाकिस्तान की पहली हिंदू जज बनीं सुमन कुमारी ने रचा इतिहास
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकार पर बंदिश लगने की बात अक्सर उठती रहती है। उन्हें बहुसंख्यक समुदाय के जैसे जीने की आजादी नहीं मिलती। लेकिन इसी बीच हिंदू महिला सुमन कुमारी ने पाकिस्तान में सिविल जज बनकर एक नया इतिहास लिख दिया है। सुमन पाकिस्तान की पहली महिला हिंदू जज हैं। वे कंबर शहदादकोट की रहने वाली हैं। वे अपने ही जिले में जज के तौर पर काम करेंगी। सुमन ने हैदराबाद से एलएलबी की पढ़ाई की और फिर कराची से मास्टर्स किया।
सुमन कुमार के पिता पवन कुमार अपनी बेटी की इस खुशी से बेहद उल्लासित हैं, अब वे गरीबों को मुफ्त में कानूनी सेवाएं देने की योजना बना रहे हैं। अपनी बेटी की सफलता पर उन्होंने कहा, 'सुमन ने एक चुनौती भरा करियर चुना, लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि वह पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ इसे निभाएगी।' सुमन के पिता आंखों के डॉक्टर हैं और उनकी बड़ी बहन सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। सुमन की एक और बहन है जो कि चार्टर्ड अकाउंटेंट है। सुमन ने परीक्षा में 54वीं रैंक हासिल की।
सुमन लता मंगेशकर और गायक आतिफ असलम की बड़ी फैन हैं। हिंदू समुदाय से इससे पहले राणा भगवानदास ने जज बनकर इतिहास बनाया था। लेकिन अभी तक कोई हिंदू महिला पाकिस्तान में जज नहीं बन पाई थी। राणा भगवानदास ने 2005 से लेकर 2007 तक चीफ जस्टिस का कार्यभार संभाला था। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए खास निर्देश दिए थे। हालांकि वहां की सरकार ने उस आदेश पर गंभीरता से अमल नहीं किया।
2018 में पाकिस्तान के मानवाधिकार कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में फिर से एक याचिका दिखल की थी। जिसके बाद आदेश पर अमल लाने के लिए एक कमिटी गठित की। वैसे सुमन कुमारी जैसे हिंदुओं का पाकिस्तान में ऊंचे पदों पर पहुंचना खुशी की बात जरूर है, लेकिन ऐसी सफलताएं अपवाद ही कही जाएंगी। क्योंकि अल्पसंख्यक समुदाय का एक बड़ा तबका आज भी पाकिस्तान में नौकरी और पढ़ाई के अवसरों से वंचित है।
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