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राष्ट्रपति मुर्मु ने कैंसर उपचार के लिए भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी का शुभारंभ किया

उपचार की इस श्रृंखला का नाम ‘CAR-T cell therapy’ है, जो कैंसर इम्यूनोथेरेपी उपचार है. यह सुलभ और सस्ती है, इसलिए संपूर्ण मानव जाति के लिए आशा की नई किरण प्रदान करती है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विश्वास व्‍यक्‍त किया कि यह थेरेपी अनगिनत मरीजों को नवजीवन देने में सफल होगी.

राष्ट्रपति मुर्मु ने कैंसर उपचार के लिए भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी का शुभारंभ किया

Friday April 05, 2024 , 2 min Read

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान-आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay) में कैंसर उपचार के लिए भारत की पहली घरेलू जीन थेरेपी का शुभारंभ किया.

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की पहली जीन थेरेपी की शुरूआत कैंसर के खिलाफ हमारी लड़ाई में बड़ी सफलता है. उपचार की इस श्रृंखला का नाम "सीएआर-टी सेल थेरेपी" (CAR-T cell therapy) है, जो कैंसर इम्यूनोथेरेपी उपचार है. यह सुलभ और सस्ती है, इसलिए संपूर्ण मानव जाति के लिए आशा की नई किरण प्रदान करती है. उन्होंने विश्वास व्‍यक्‍त किया कि यह थेरेपी अनगिनत मरीजों को नवजीवन देने में सफल होगी.

राष्ट्रपति ने कहा कि सीएआर-टी सेल थेरेपी को चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति में से एक माना जाता है. यह कुछ समय से विकसित देशों में उपलब्ध है, लेकिन यह बेहद महंगी है और दुनिया भर के अधिकांश रोगियों की पहुंच से बाहर है. उन्हें यह जानकर प्रसन्‍नता हुई कि लॉन्च की जा रही थेरेपी दुनिया की सबसे सस्ती सीएआर-टी सेल थेरेपी है. उन्होंने कहा कि यह 'मेक इन इंडिया' पहल 'आत्मनिर्भर भारत' का दीप्‍तिमान उदाहरण है.

राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि भारत की पहली सीएआर-टी सेल थेरेपी उद्योग भागीदार इम्यूनोएसीटी के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे और टाटा मेमोरियल अस्पताल के समन्‍वय से विकसित की गई है. उन्होंने कहा कि यह शिक्षा-उद्योग साझेदारी का एक सराहनीय उदाहरण है, जिससे इसी तरह के कई अन्य प्रयासों को प्रेरणा मिलेगी.

राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी बॉम्बे ने केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में टेक्नोलॉजी एजुकेशन के मॉडल के रूप में विख्‍यात है. सीएआर-टी सेल थेरेपी के विकास में न केवल टेक्नोलॉजी को मानवता की सेवा में लगाया जा रहा है, बल्कि उद्योग के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित संस्थान के साथ भी साझेदारी की गई है. यह आईआईटी, बॉम्बे द्वारा पिछले तीन दशकों में अनुसंधान और विकास पर दिए गए फोकस से संभव हुआ है. उन्होंने कहा कि आईआईटी बॉम्बे और अन्य समान संस्थानों के संकाय और छात्रों के ज्ञान आधार और कौशल के साथ, जारी तकनीकी क्रांति से देश लाभान्वित होगा.