फिर न हो साइरस मिस्त्री जैसा विवाद; TATA Group ने किया बड़ा बदलाव, अब ऐसे चुने जाएंगे चेयरमैन
साल 2013 से ही टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन अलग-अलग व्यक्ति हैं. रतन टाटा इन दोनों को संभालने वाले आखिरी शख्स थे. लेकिन अब नियमों में बदलाव के चलते इसे कानूनी रूप दे दिया गया है.
जब भी सफल भारतीय व्यवसायियों की बात आती है, तब रतन टाटा (Ratan Tata) का नाम सबसे प्रसिद्ध नामों की लिस्ट में शुमार होता है. उनके नेतृत्व वाले टाटा समूह (TATA Group) ने हाल ही में साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) जैसे विवाद से बचने के लिए बड़ा अहम बदलाव किया है. मंगलवार को टाटा ग्रुप की एजीएम मीटिंग (TATA Group AGM Meeting) में आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (article of association) समेत कुछ नए संशोधनों को मंजूरी दे दी गई है.
इस फैसले के बाद अब टाटा संस (TATA Sons) और टाटा ट्रस्ट्स (TATA Trusts) के चेयरमैन (TATA Group Chairman) के पद अलग हो गए हैं. यानी अब कोई एक व्यक्ति टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स का चेयरमैन नहीं बन सकता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, टाटा संस के सबसे बड़े माइनोरिटी स्टेकहोल्डर्स एसपी ग्रुप (SP Group) ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. साइरस मिस्त्री के SP Group की टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है.
साल 2013 से ही टाटा संस और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन अलग-अलग व्यक्ति हैं. रतन टाटा (Ratan Tata) इन दोनों को संभालने वाले आखिरी शख्स थे. लेकिन अब नियमों में बदलाव के चलते इसे कानूनी रूप दे दिया गया है.
आपको बता दें कि टाटा संस के चेयरमैन पद और डाइरेक्टर्स के पदों के लिए सुझाव देने को लेकर एक सेलेक्शन कमेटी बनाई जाएगी.
अब ऐसे होगा TATA के चेयरमैन का चयन
टाटा ट्रस्ट्स में करीब एक दर्जन चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन शामिल हैं. इनमें से सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (Sir Dorabji Tata Trust) की टाटा संस में 28 फीसदी और सर रतन टाटा ट्रस्ट (Sir Ratan Tata Trust) की 24 फीसदी हिस्सेदारी है. इस कंपनी की दुनियाभर में 286 कंपनियां हैं.
नए बदलाव के आने से अब सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन का चयन सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के द्वारा किया जाएगा. ये ट्रस्ट जिनका नाम तय करेंगे, उन्हीं में से चयन किया जाएगा.
कमेटी के लिए दोनों ही ट्रस्ट तीन-तीन लोगों को नॉमिनेट करेंगे. वहीं दूसरी ओर टाटा संस का बोर्ड एक व्यक्ति को नॉमिनेट करेगा. साथ ही इसमें एक इंडिपेंडेट डायरेक्टर भी होगा.
मीटिंग में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि सर दोराबजी ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट का चेयमैन टाटा संस का चेयरमैन नहीं बन सकता है.
साथ ही टाटा संस के चेयरमैन की नियुक्ति के लिए सभी डायरेक्टर्स की मंजूरी जरूर होनी चाहिए.
क्या था साइरस मिस्री विवाद?
साइरस मिस्री टाटा सन्स के छठे चेयरमैन थे. उन्हें अक्टूबर 2016 में हटा दिया गया था. साइरस मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद टाटा ग्रुप की कमान मिली थी.
भारत और दुनिया की अर्थव्यवस्था में जब 2002 से 2008 के दौरान उछाल आया तो रतन टाटा ने तेजी ने वैश्विक कंपनियां बनानी शुरू कीं थी. इस दौरान उन्होंने बहुत सी कंपनियों का अधिग्रहण किया और नई कंपनियां बनाईं. कोरस का अधिग्रहण किया, टेटली और कई होटल खरीदे.
बताया जाता है कि इनमें से बहुत से अधिग्रहण ठीक नहीं थे. मिस्त्री को विरासत में जो कंपनियां मिलीं, उनमें से मुनाफ़ा न कमाने वाली कंपनियों को उन्होंने बेचना शुरू कर दिया. कुछ हद तक यह रतन टाटा के फैसलों को पलटने जैसा था. शायद रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच कुछ असहमति रही हो जिसकी वजह से यह फ़ैसला लेना पड़ा.
फिर से डायरेक्टर बने पिरामल और श्रीनिवासन
एजीएम में शेयरहोल्डर्स ने पिरामल इंडस्ट्रीज (Piramal Industries) के चेयरमैन अजय पिरामल (Ajay Piramal) को टाटा संस के बोर्ड में तीसरी बार इंडिपेंडेंट डाइरेक्टर बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. इसें अलावा टाटा के दोनों ट्रस्टों के नॉमिनी वेणु श्रीनिवासन (Venu Srinivasan) को भी फिर से नियुक्त किया गया. हालांकि शपूरजी पलोनजी ग्रुप ने पिरामल और श्रीनिवासन दोनों की नियुक्ति के विरोध में वोट किया. वहीं शपूरजी पलोनजी ग्रुप इन्वेस्टमेंट स्पेशलिस्ट अनीता जॉर्ज (Anita George) को इंडिपेंडेंट डाइरेक्टर बनाए जाने के प्रस्ताव पर वोटिंग करने से दूर रहा. शपूरजी पलोनजी ग्रुप की साइरस इन्वेस्टमेंट और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प के पास टाटा संस की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है.