टेक्सटाइल सेक्टर के लिए जल्द आएगी दूसरी PLI स्कीम: पीयूष गोयल
सरकार पहली प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (production-linked incentive - PLI) स्कीम को मिली अच्छी प्रतिक्रिया के बाद टेक्सटाइल सेक्टर के लिए दूसरी PLI स्कीम शुरू करने की योजना बना रही है. इसकी जानकारी केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कोयंबटूर में हुए एक प्रोग्राम में दी.
गोयल ने कहा: "हम अपैरल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का समर्थन करने के इच्छुक हैं. कपड़ा मंत्रालय, DPIIT और नीति आयोग के बीच बातचीत चल रही है. उद्योग जगत से सलाह मशविरा करने के बाद हम जल्द ही एक स्कीम तैयार करेंगे. इसके बाद हम कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्ताव रखेंगे."
सरकार पहले ही मानव निर्मित फाइबर और तकनीकी वस्त्र उत्पादों के लिए अपनी पहली PLI योजना के तहत Shahi Exports, Arvind Mills, Gokaldas Exports और Monte Carlo सहित 61 कंपनियों का चयन कर चुकी है.
कंपनियों को 6,013 करोड़ रुपये का इंसेंटिव दिया जाएगा. यह इस स्कीम के लिए सरकार द्वारा निर्धारित शुरुआती 10,683 करोड़ रुपये का 56% है. सूत्रों के अनुसार, सरकार संभवत: शेष राशि का उपयोग दूसरी PLI स्कीम शुरू करने के लिए करेगी, बजाए इसके कि इसे कहीं और खर्च किया जाए.
पीयूष गोयल ने कहा, कपास और धागे की कीमतों में हालिया गिरावट को देखते हुए, सरकार को 30 सितंबर (जब नई फसल बाजार में आती है) के बाद शायद फाइबर के ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट की अनुमति देने की जरुरत ना पड़े.
उन्होंने कहा कि यदि विस्तार की आवश्यकता है, तो सितंबर की समय सीमा से एक महीने से अधिक समय होने की संभावना नहीं है. सरकार अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले मार्केटिंग ईयर में कपास की बंपर फसल की उम्मीद कर रही है. कपड़ा उद्योग के सूत्रों ने कहा कि इसलिए, यह इस तथ्य के प्रति सचेत है कि जब नई फसलें बाजार में आती हैं तो ड्यूटी-फ्री कपास के आयात की अनुमति देने से किसानों की कमाई कम हो सकती है.
केंद्रीय मंत्री ने विश्वास जताया कि भारत और कनाडा, जो एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए बातचीत में लगे हुए हैं, 2022 के अंत तक जल्दी फसल सौदा तय करेंगे. FTA पर बातचीत चल रही है. यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ पहले से दो व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं.
मंत्री ने कहा कि ये FTA भारत के टेक्सटाइल और अपैरल एक्सपोर्ट को बढ़ाने में मदद करेंगे. यह पिछले वित्त वर्ष में लगभग 44 अरब डॉलर का था, जोकि वित्त वर्ष 2023 में 50 अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा. सरकार वर्तमान में FTA के लिए यूके, इज़राइल, कनाडा और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत कर रही है. देश का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में सालाना 100 अरब डॉलर का टेक्सटाइल और अपैरल एक्सपोर्ट हासिल करना है.
क्या है PLI स्कीम
जैसा कि सरकार मेड इन इंडिया के जरिए प्रोडक्शन को बढ़ाने पर जोर दे रही है. PLI स्कीम घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के लिए, मार्च 2020 में शुरू की गई थी. इसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में तैयार किए गए प्रोडक्ट्स की बिक्री में वृद्धि पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है.
देश में पीएलआई स्कीम के लिए 13 क्षेत्रों का चुनाव किया गया है. इनमें ऑटोमोबाइल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, व्हाइट गुड्स इंडस्ट्री, रासायनिक सेल, टेक्सटाइल, फूड प्रोडक्शन सहित आईटी हार्डवेयर जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
इसके तहत सरकार देश में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को 1.97 लाख करोड़ का प्रोत्साहन देगी. भारत में विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने के अलावा, इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है. यह रोजगार बढ़ाने में भी सहायक होगी. बजट में पीएलआई स्कीम से जुड़ी योजनाओं के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. प्रोडक्शन का औसतन 5 प्रतिशत इंसेंटिव के रूप में दिया गया है.