15 साल की भारतीय-अमेरिकी गीतांजलि राव बनीं TIME मैगजीन की पहली 'टाइम किड ऑफ द ईयर'

"मुझे लगता है कि अभी कुछ भी नहीं है, हमें बस यह खोजने की जरूरत है कि हम जिस चीज के बारे में भावुक हैं और इसे हल करें", युवा वैज्ञानिक और इनोवेटर ने कहा।

15 साल की भारतीय-अमेरिकी गीतांजलि राव बनीं TIME मैगजीन की पहली 'टाइम किड ऑफ द ईयर'

Saturday December 05, 2020,

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भारतीय मूल की 15 साल की अमेरिकी गीतांजलि राव को मशहूर टाइम मैगजीन (TIME Magazine) ने उनके इनोवेशन के लिए अपने कवर पेज पर जगह दी है और 'किड ऑफ द ईयर' (Kid of the Year) के रूप में छापा है। गीतांजलि को 5 हजार से अधिक नामांकित बच्चों में से चुना गया है और वह पहली किड ऑफ द ईयर बनी हैं। गीतांजलि ने सिर्फ 15 साल की उम्र में कई कारनामे किए हैं।

15 साल की भारतीय-अमेरिकी गीतांजलि राव बनीं TIME मैगजीन की पहली 'टाइम किड ऑफ द ईयर'

15 साल की भारतीय-अमेरिकी गीतांजलि राव बनीं TIME मैगजीन की पहली 'टाइम किड ऑफ द ईयर'

गीतांजलि ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दूषित पेयजल से लेकर अफीम की लत और साइबर धौंस जैसे मुद्दों से निपटने के मामले में बेहतर काम किया है।


कोलोरैडो की रहने वाली गीतांजलि का चयन 5,000 से अधिक दावेदारों में किया गया है। टाइम के लिए एकेडमी अवॉर्ड विजेता एंजेलिना जोली ने गीतांजलि का इंटरव्यू किया। बेहद कम उम्र से, गीतांजलि ने दुनिया में सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए साइंस और टेक्नोलॉजी का उपयोग के बारे में सोचना शुरू कर दिया था।


गीताजंलि राव ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ओपियम की लत से और साइबरबुलिंग से लोगों को निकालने में सफलता हासिल की है। गीतांजलि का नया इनोवेशन एक ऐप किंडली और एक क्रोम एक्सटेंशन है- जो साइबरबुलिंग का पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल करता है।


Time से बात करते हुए गीतांजलि ने कहा कि 10 साल की उम्र में उसने पहली बार अपने माता पिता से कार्बन नैनो ट्यूब सेंसर टेक्नोलॉजी (carbon nanotube sensor technology) पर रिसर्च करने का जिक्र किया। यही बदलाव की शुरुआत थी, जब कोई इस काम को नहीं कर रहा तो मैं इसे करना चाहती हूं। 11 साल की उम्र में राव ने डिस्कवरी एजूकेशन 3M साइंटिस्ट चैलेंज जीता। 

टाइम के मुताबिक गीतांजली ने कहा, ‘‘हर समस्या का हल करने की कोशिश ना करें, बल्कि उस एक पर ध्यान केंद्रित करें जो आपको उकसाता हो। यदि मैं यह कर सकती हूं तो कोई भी यह कर सकता है।''

गीतांजलि ने कहा, कि उसकी पीढ़ी कई समस्याओं का सामना कर रही है जो पहले कभी नहीं आई थी।


आपको बता दें कि गीतांजलि राव के इनोवेशन पर अब अमेरिकी वैज्ञानिक भी काम कर रहे हैं। दरअसल, अमेरिका में कई जगहों पर पानी में लेड की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है और इसे मापने के लिए अब तक काफी जटिल तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। गीतांजलि के इनोवेशन से वैज्ञानिकों को फायदा हो सकता है।

गीतांजलि ने कहा कि मेरा मकसद सिर्फ अपनी डिवाइस बनाकर दुनिया की समस्याएं सुलझाने तक सीमित नहीं रहा बल्कि अब मैं औरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहती हूं।