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पॉलिथीन के बदले फूलों के पौधे बांटकर धरती को खूबसूरत बना रहे हैं उपेंद्र पांडेय

पॉलिथीन के बदले फूलों के पौधे बांटकर धरती को खूबसूरत बना रहे हैं उपेंद्र पांडेय

Thursday January 17, 2019 , 3 min Read

उपेंद्र पांडेय

प्लास्टिक के कुप्रभाव को कम करने के मिशन में लगे रामगढ़ के उपेंद्र पांडेय अपने अभियान के बारे में योरस्टोरी हिंदी से बात करते हुए जोश से भर जाते हैं।

झारखंड के रामगढ़ में उपेंद्र पांडेय की पहचान प्लास्टिक और पौधों की नर्सरी से जुड़ी हुई है। उनके पॉलिथीन दान अभियान से रामगढ़ के लोगों के साथ ही झारखंड का हर पर्यावरण प्रेमी परिचित होगा। 21वीं सदी में प्लास्टिक के नजर से न आप बच सकते हैं न आपके नजर से प्लास्टिक। जीवनसाथी से भी ज्यादा नजदीक रहता है यह प्लास्टिक।

पर्यावरण के लिए यह कितना नुकसानदायक है इसका ज्ञान तो हम स्कूल से ही लेते आए हैं। लेकिन हमारी जरुरत ही ऐसी है कि हम चाहते हुए भी इससे पीछा नहीं छुड़ा पा रहे हैं। लेकिन पीछा नहीं छुड़ा सकते तो क्या हुआ उसके कुप्रभाव को तो कम कर ही सकते हैं। प्लास्टिक के कुप्रभाव को कम करने के मिशन में लगे रामगढ़ के उपेंद्र पांडेय अपने अभियान के बारे में योरस्टोरी हिंदी से बात करते हुए जोश से भर जाते हैं।


वे कहते हैं हमारे दिमाग में विचार आया कि कल को हमारा शहर रामगढ़ दिल्ली जितना गंदा न हो जाये उससे पहले हम संयम बरतना चाहते हैं। और स्वच्छ रामगढ़ का सपना देखते हैं लेकिन एक खूबसूरत विचार के साथ। हमारे पास लोग पॉलिथीन लेकर आते हैं और हम इसके बदले उन्हें पौधे देते हैं. मतलब कूड़ा के बदले हरियाली और खूशबू फैलाना चाहते हैं।


उपेंद्र पांडेय ने हम घर के अहाते में ही बागवानी करते हैं और वहीं पर नर्सरी लगाये हैं, जिसके पौधों को वे पॉलिथीन लेकर आने वाले लोगों को देते हैं। उपेंद्र जी के नर्सरी का कोई भी पौधा बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं होता। बल्कि वो पॉलिथीन की मात्रा के हिसाब से बड़े या छोटे पौधे देते हैं।


उपेंद्र जी कहते हैं कि इस अभियान में हमें ज्यादातर सहयोग घरों में काम करने वाली आया, माली या दैनिक मजदूर करते हैं. पिछले छह सालों से चल रहे अभियान से अब हर रामगढ़ वासी परिचित है और वह बड़े शान से हमारे पास पॉलिथीन लेकर आता है. और उसके बदले में हमारी नर्सरी से पौधे लेकर जाता है।

उपेंद्र पांडेय की मुहिम


पेशे से उपेंद्र जी एक कोचिंग टिचर हैं। नर्सरी की देखभाल में उनके कोचिंग के बच्चे भी खुले दिल से उनके काम में हाथ बंटाते हैं। उपेंद्र जी अभी तक इतनी प्लास्टिक इक्ट्ठा कर चुके हैं कि उससे एक पूरा बड़ा कमरा भर चुका है। और वे बड़ी मात्रा में इसके इकत्र हो जाने के बाद रिसाइकिल के लिए भेजेंगे।

उपेंद्र का का सपना है कि देशभर में इस्तेमाल होने वाला हर एक प्लास्टिक रिसाइकिल हो। जिस दिन हम ऐसा कर पाये उस दिन हम स्वच्छ और सुंदर भारत बनाने में अपनी एक सकारात्नमक भूमिका का जश्न मना सकते हैं।


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