UPSC 2019: ऑल इंडिया में पांचवी रैंक लेकर महिलाओं में अव्वल स्थान हासिल करने वाली सृष्टि देशमुख
अपने परिवार की पहली आईएएस हैं सृष्टि। सिविल सर्विसेस की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख करने की बजाय अपने शहर भोपाल में रहकर ही की तैयारी और बन गईं टॉपर।
![](https://images.yourstory.com/cs/12/b3c27058-ab5e-11e8-8691-f70342131e20/srushti-jayant-deshmukh1554716307975.jpg?fm=png&auto=format)
यूपीएससी परीक्षा में 5वीं रैंक हासिल करने वाली सृष्टि जयंत देशमुख, फोटो साभार: सोशल मीडिया
कहते हैं जब इंसान में काबिलियत होती है तो वो संसाधनों का मोहताज नहीं होता, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं इस साल यूपीएससी 2019 की परीक्षा में 5वीं रैंक हासिल करने वाली सृष्टि जयंत देशमुख। वैसे तो सृष्टि को इस परीक्षा में पांचवीं रैंक मिली है, लेकिन जब महिला कैंडिडेट्स की बात की जाये तो उसमें सृष्टि अव्वल हैं, यानि कि टॉपर हैं और ऐसा सृष्टि ने फर्स्ट अटैंप्ट में कर दिखाया है। सबसे अच्छी बात जो सृष्टि अपने बारे में बताती हैं, कि उन्होंने सीविल सर्विसिज़ की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख न करके अपने शहर भोपाल में परिवार के बीच रहकर ही तैयारी करने का फैसला लिया।
ऐसा नहीं कि सीविल सर्विसिज़ परीक्षाओं के लिए दिल्ली के कोचिंग सेंटर्स कुछ सीखाते नहीं, लेकिन कुछ कर गुज़रने का जुनून यदि सृष्टि जैसा हो तो देश की ऐसी बेटियां कोचिंग सेंटर्स की मोहताज नहीं रह जातीं। सृष्टि ने अपने कॉलेज की पढ़ाई भी भोपाल से ही की थी, इसीलिए वो सीविल सर्विसेज़ की तैयारी भी यहीं रहकर करना चाहती थीं। हालांकि भोपाल में रहकर सीविल सर्विसेज़ की तैयारी करना आसान नहीं था सृष्टि के लिए। यहां रहते हुए कभी उन्हें स्टडी मटेरियल नहीं मिलता तो कभी कोचिंग क्लास की किल्लत, जिसके चलते सृष्टि ने इंटरनेट का सहारा लिया और यहां पर उन्हें नॉलेज, टेस्ट सीरिज़, क्लासेज़ सबकुछ आसानी से मिल गया।
सृष्टि के पिताजी पेशे से इंजीनियर और माँ स्कूल में टीचर हैं। घर में पढ़ने-लिखने का माहौल तो हमेशा से ही रहा। सृष्टि अपने परिवार की पहली आईएएस अफसर हैं, इनसे पहले इनके पूरे खानदान में कोई आईएएस अफसर नहीं हुआ। सृष्टि ने मप्र कैडर का प्रिफरेंस भरा था और जो रैंक उन्हें मिली है उसमें मप्र कैडर में आईएएस अफसर बनना उनके लिए और आसान हो गया है। सृष्टि हमेशा से ही आईएएस बनना चाहती थीं। आईएएस का जुनून उनके भीतर इतना ज्यादा था कि उन्होंने कॉलेज के दौरान कैंपस प्लेसमेंट में हिस्सा ही नहीं लिया और ना ही अपना सीवी तैयार किया। नौकरी के लिए किसी कंपनी को अप्रोच भी नहीं किया, क्योंकि उड़ानें तो उससे आगे की थीं। सृष्टि दिन रात अपनी तैयारी में लगी रहीं और उसका परिणाम है कि उनके हिस्से सफलता आई। मीडिया को दिये अपने एक साक्षात्कार में सृष्टि कहती हैं, कि "मैंने टेस्ट सीरीज में पढ़ा था कि मप्र में 15 से 30 हजार स्कूल ऐसे हैं जहां सभी बच्चों के लिए सिर्फ एक टीचर है। यह बात मेरे दिमाग में घर कर गई। मैंने सोचा मैं इस स्थिति को बदलने के लिए क्या कर सकती हूं और मुझे यहीं से मोटिवेशन मिला। इंजीनियरिंग इसलिए की ताकि बैकअप तैयार रहे।"
जिन दिनों सृष्टि सीविल सर्विसेज़ की तैयारी कर रही थीं, उस दौरान उन्होंने खुद को सोशल नेटवर्किंग साइट्स से दूर रखा। इंटरनेट का स्तेमाल सिर्फ पढ़ाई के लिए ही किया। व्हॉट्सएप, फेसबुक-टि्वटर सबकुछ बंद कर दिया था। दोस्तों से नहीं मिलती थीं, पार्टीज़ में नहीं जाती थी। दोस्तों ने तो कहना शुरू कर दिया था, कि पढ़ाई के चक्कर में सृष्टि सोशल लाइफ से कटती जा रही हैं, लेकिन मन में इरादा कुछ और करने का था। उन्हें आगे बढ़ना था, ऐसे में उन्होंने दोस्तों की बातों पर भी ध्यान नहीं दिया और वही किया जो करने के लिए उनके दिल ने उन्हें उक्साया।
महिला वर्ग की टॉपर सृष्टि देशमुख अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने पेरेंट्स को देती हैं। बचपन से ही वो अपने लक्ष्य को लेकर निश्चित थीं, कि उन्हें करना क्या है और कैसे करना है यह वो बहुत कम उम्र में तय कर चुकी थीं। तैयारी के शुरुआती दिनों में सृष्टि ने कुछ घंटों की ही पढ़ाई की, लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा का समय नज़दीक आया उन्होंने अपनी पढ़ाई के घंटे भी बढ़ा दिए। सृष्टि करेंट अफेयर्स से हमेशा जुड़ी रहीं और खुद को अपडेट रखने के लिए अखबार को अपना बेस्ट फ्रेंड बनाया। हर दिन सृष्टि 6-8 घंटे पढ़ाई को देती थीं। अगले दिन क्या पढ़ना है, ये सृष्टि एक दिन पहले ही तय कर लेती थीं।
सृष्टि की उम्र अभी 23 साल है। पिछले साल यानि कि 2018 में ही सृष्टि ने अपनी इंजीनियरिंग (केमिकल) एक प्राइवेट कॉलेज से कंपलीट की और उसके बाद एक साल तक सीविल सर्विसेज़ की तैयारी में जुटी रहीं।
यह भी पढ़ें: UPSC 2019: दो साल तक रहीं सोशल मीडिया से दूर, हासिल की 14वीं रैंक