खोजी महिलाएं: मैरी ब्राउन ने बनाया था दुनिया का पहला होम वीडियो सिक्योरिटी सिस्टम
मैरी ब्राउन ने बनाया था दुनिया का पहला होम वीडियो सिक्योरिटी सिस्टम जिसे आजकल के वीडियो सर्विलांस का आधार माना जाता है.
क्लोज्ड सर्किट टेजीविजन सिस्टम यानी सीसीटीवी (CCTV). आज हम सब हर वक्त, हर जगह सीसीटीवी की निगरानी में हैं. बिल्डिंग की लिफ्ट में, घर के दरवाजे पर, सड़क, प्लेटफॉर्म, सार्वजनिक इमारतें और पब्लिक प्लेस- हर जगह सीसीटीवी रोजमर्रा की जिंदगी में हमारी चौकस निगरानी कर रहा है. अपराधी सीसीटीवी की निगाह में हैं. अब आप कुछ भी करके बेनाम नहीं रह सकते. सीसीटीवी आपको धर-दबोचेगा.
हाल ही में एक दोस्त के घर के दरवाजे पर रखी काफी महंगी साइकिल चोरी हो गई. चुराने वाले को पता नहीं था कि सामने वाले फ्लैट के सजावटी वुडेन दरवाजे के पीछे से दरअसल एक सीसीटीवी कैमरा उसे रिकॉर्ड कर रहा है. कुछ ही घंटों बाद फुटेज देखी गई और साइकिल चुराने वाला पकड़ा गया.
वो साइकिल जिस लड़की की थी, उसने अपनी मां से और बिल्डिंग के गार्ड से बड़े गर्व से कहा, आपको पता है- ये सिक्योरिटी सिस्टम पहली बार किसने बनाया था? सबने सवालिया निगाहों से उसे देखा और उसने खुशी से तकरीबन उछलते हुए कहा- “एक लड़की ने.”
उसने किसी स्टोरी बुक में पढ़ी थी उस लड़की की कहानी, जिसका नाम था मैरी वैन ब्रिटन ब्राउन.
खोजी महिलाओं की सीरीज में आज कहानी मैरी वैन ब्रिटन ब्राउन की, जिसने दुनिया का पहला होम वीडियो सिक्योरिटी सिस्टम बनाया. मैरी ने 1942 में वाल्टर ब्रुच के बनाये CCTV कैमरे के आविष्कार को आगे बढ़ाया था. उससे पहले का CCTV कैमरा मॉनिटर नहीं कर पाता था.
ये 1966 की बात है. 38 साल की मैरी जो पेशे से एक नर्स थी, अपने पति अल्बर्ट के साथ न्यूयॉर्क के जमैका, क्वींस में रहती थी. क्वींस आज भी न्यूयॉर्क का एक गरीब इलाका है, जहां कामगार, मजदूर और अधिकांश अफ्रीकी मूल के अमेरिकन रहते हैं.
मैरी खुद भी अफ्रीकी मूल की थी, जिसका जन्म 30 अक्तूबर, 1922 को अमेरिका के मैसाचुसेट्स में हुआ था. एक कामगार परिवार की लड़की ने नर्सिंग की पढ़ाई की और 20 साल की उम्र में न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में नर्स हो गई. मैरी के पति अल्बर्ट इलेक्ट्रिशियन का काम करते थे.
1960 के दौर में जमैका क्वींस में अपराध की घटनाएं काफी बढ़ गई थीं. आए दिन लोगों के घरों में चोरी, हत्या, आगजनी के मामले रिपोर्ट होते थे. अल्बर्ट और मैरी का काम ऐसा था कि बाज दफा उसे पूरी-पूरी रात घर में अकेले रहना पड़ता. दोनों बच्चे बहुत छोटे थे. एक बार बगल वाले घर में हुई एक हिंसा की वारदात ने मैरी को भीतर से डरा दिया. उसे अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा की फिक्र सताने लगी. मैरी को लगा कि कोई तो ऐसा तरीका होगा, जिसने घर को थोड़ा ज्यादा सुरक्षित किया जा सके.

मैरी ने इस पर काम करना शुरू किया. शुरुआती परिकल्पना ये थी कि कोई ऐसा वीडियो कैमरा हो, जो हर वक्त हर गतिविधि को रिकॉर्ड कर रहा हो और उस रिकॉर्डिंग को लाइव टीवी पर देखा जा सके. लेकिन ये काफी महत्वाकांक्षी आइडिया था. अब सवाल ये उठता था कि ये होगा कैसे.
मैरी ने अपने पति की मदद से एक ऐसी मशीन बनाई, जिसमें कैमरा, टेलीविजन स्क्रीन और माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया गया था. घर के दरवाजे पर चार अलग-अलग जगहों पर छेद करके वहां कैमरे फिट किए और उन कैमरों को एक टेलीविजन स्क्रीन के साथ जोड़ा. इस सिस्टम के साथ एक माइक्रोफोन भी लगा था, जिसके जरिए बाहर दरवाजे पर खड़े व्यक्ति से बात की जा सकती थी.
हालांकि यह कैमरा हर वक्त ऑटोमैटिकली ऑन नहीं रहता था. दरवाजे पर दस्तक होने पर पहले भीतर से कैमरे को ऑन करना और फिर स्क्रीन पर देखना होता था कि बाहर कौन खड़ा है.
कुछ एक साल की मेहनत और कोशिश के बाद यह मशीन बनकर तैयार हो गई. अब इस मशीन की सफलता को चेक करने का वक्त था. मैरी घर के अंदर रसोई में काम कर रही थी. बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई. मैरी ने कैमरा ऑन किया और टेलीविजन स्क्रीन के सामने गई. स्क्रीन पर दिख रहा था कि दरवाजे पर कोई अफ्रीकन व्यक्ति खड़ा है. मैरी ने टीवी के सामने खड़े-खड़े ही पूछा कि वह कौन है. वो एक पोस्टमैन था, जो डाक लेकर आया था. मैरी ने बिना दरवाजा खोले उससे डाक दरवाजे से भीतर डालने को कहा. पोस्टमैन डाक देकर चला गया.
यह मशीन काम कर रही थी.
कुछ ही घंटों बाद दोबारा दरवाजे की घंटी बजने पर मैरी टीवी स्क्रीन को देखा. दोनों बच्चे दरवाजे पर खड़े कैमरे की ओर उत्सुकता से देख रहे थे. वो यह देखने को बेताब थे कि भीतर टीवी स्क्रीन पर वो कैसे दिखाई देंगे. इस बार मैरी ने दरवाजा खोला और दोनों बच्चे बारी-बारी से कैमरे के सामने मुंह बनाते हुए खुद को टीवी पर देखते रहे.
मशीन अपने उद्देश्य में सफल थी. अब मैरी पहले से ज्यादा सुरक्षित थी. वह हर दस्तक पर दरवाजा खोलने से पहले यह जान सकती थी कि कौन आया है.
1 अगस्त, 1966 को मैरी और अल्बर्ट ने इस नए आविष्कार के पेटेंट के लिए आवेदन किया. अमेरिकी सरकार ने 2 दिसंबर, 1969 को उन्हें पेटेंट ग्रांट कर दिया. पेटेंट के कागज पर सबसे ऊपर मैरी वैन ब्रिटन ब्राउन और नीचे अल्बर्ट ब्राउन का नाम लिखा था. पेटेंट मिलने के कुछ दिनों बाद न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लंबा आर्टिकल छपा, जिसमें लिखा था कि कैसे मैरी का यह आविष्कार अमेरिका में सिक्योरिटी सिस्टम की पूरी कहानी को बदल सकता है.
उसके बाद जो हुआ, वो हम सब जानते हैं. आज सीसीटीवी सिक्योरिटी हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हो गयी है. थैंक्स टू मैरी वैन ब्रिटन ब्राउन.