खोजी महिलाएं: दो सौ साल पहले पैदा हुई थी वह महिला जिसे बनाया था दुनिया का पहला सबमरीन टेलिस्‍कोप

सबमरीन साइंस के इतिहास में सारा माथेर के काम का वही महत्‍व है, जो किसी इमारत में नींव का होता है.

खोजी महिलाएं: दो सौ साल पहले पैदा हुई थी वह महिला जिसे बनाया था दुनिया का पहला सबमरीन टेलिस्‍कोप

Tuesday March 14, 2023,

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टेलिस्‍कोप तो देखा ही होगा. कितना कमाल का आविष्‍कार है न. मनुष्‍य ने टेलिस्‍कोप के सहारे यहां धरती पर बैठकर आसमान के रहस्‍यों को सुलझाया. बाइबिल में लिखा था, पृथ्‍वी ब्रम्‍हांड का केंद्र है. सूर्य पृथ्‍वी का चक्‍कर लगाता है. कोपरनिकस ने टेलिस्‍कोप के सहारे पूरी-पूरी रात ग्रहों और सितारों का अध्‍ययन करके बताया कि नहीं, सूर्य नहीं, बल्कि पृथ्‍वी सूर्य का चक्‍कर लगाती है.

पहले तो टेलिस्‍कोप सिर्फ धरती और उसकी सतह के ऊपर मौजूद चीजों को ही देख सकता था. फिर एक ऐसी टेलिस्‍कोप आया, जिसे समंदर और पानी के भीतर की दुनिया को भी देखा, खोजा और समझा जा सकता था.

आज से तकरीबन 200 साल पहले हुई थी वह महिला, जिसे दुनिया का पहलो सबमरीन टेलिस्‍कोप बनाया था, जिसे अंडरवॉटर टेलिस्‍कोप भी कहते हैं.

उस महिला का नाम था सारा माथेर. आगे चलकर सारा की बेटी ने अपनी मां के बनाए सबमरीन टेलिस्‍कोप को और विकसित किया.

सारा के काम का वही महत्‍व है, जो किसी इमारत में नींव का होता है. आज सबमरीन साइंस बहुत विकसित हो चुका है. पानी के भीतर की दुनिया के बारे में हम बहुत कुछ जानते हैं. उसे जानने के वैज्ञानिक टूल्‍स बहुत विकसित हो चुके हैं. लेकिन ये जो इतनी लंबी यात्रा हमने तय ही है, उसका पहला कदम तो सारा ने ही बढ़ाया था.

बहुत पुरानी है. 1796 में अमेरिका के न्‍यूयॉर्क शहर में सारा पॉटर स्टिमन का जन्‍म हुआ. सारा के बचपन, उसके परिवार और जिंदगी के बारे में और कोई जानकारी नहीं मिलती. उस जमाने में ऐसे ही होता था. न औरतें खुद अपनी कहानी बतातीं, न कोई और उन्‍हें दर्ज करने की जहमत उठाता था.

दो सौ-ढ़ाई सौ पहले जन्‍मी खोजी महिलाओं के बारे में बस इतना पता चलता है कि उनके पति का क्‍या नाम था. वो इसलिए क्‍योंकि अकसर या तो उनके आविष्‍कार को उनके पति के नाम से पेटेंट कराया गया था या फिर पेटेंट वाले सरकारी कागज पर उसके पति का नाम दर्ज होता था.

याद है न, ये वो समय था, जब महिलाएं अपने आप अपने जीवन का कोई फैसला नहीं ले सकती थीं. न बैंक अकाउंट खुलवा सकती थीं, न घर सकती थीं, न ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सकती थीं, न पढ़ सकती थीं और न नौकरी कर सकती थीं, अगर कागज पर उनके मेल गार्जियन यानि पिता या पति का साइन न हो तो.

तो सारा माथेर के बारे में भी हम इतना ही जानते हैं कि 1819 में 23 बरस की उमर में सारा की शादी हैरोल माथेर नाम के एक आदमी से हुई थी और वह सारा स्टिमन से बन गईं सारा माथेर. उन्‍होंने अपनी बाकी की जिंदगी हैरोल और अपने दो बच्‍चों के साथ न्‍यूयॉर्क के ब्रुकलिन में गुजारी.

16 अप्रैल, 1845 को सारा माथेर को उनके आविष्‍कार का पेटेंट मिला, जिसे उन्‍होंने नाम दिया था- सबमरीन टेलिस्‍कोप. यह टेलिस्‍कोप पानी के भीतर की चीजों को देखकर उसका परीक्षण कर सकता था.

अब सवाल यह उठता है कि पानी के भीतर की चीजों को देख सकने वाला यह टेलिस्‍कोप आखिर किस-किस काम आ सकता था. आज की दुनिया की बात करें तो पानी के भीतर डूबे जहाज, हवाई जहाज, गायब हो गए लोगों और पानी के भीतर किए जाने वाले कंस्‍ट्रक्‍शन में सबमरीन टेलिस्‍कोप का इस्‍तेमाल होता है. वैज्ञानिक अध्‍यनों के अलावा पनडुब्‍बी, युद्धपोत (लड़ाई वाला जहाज) वगैरह में भी इसका इस्‍तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है.

  

सारा की बनाई मशीन पानी के भीतर ढ़ाई सौ फुट यानी 76 मीटर अंदर तक देख सकती थी. यह बड़ी सी पारदर्शी ट्यूब थी, जिसके भीतर लाइट लगी हुई थी. आज से डेढ़ सौ साल पहले वैज्ञानिकों ने इस मशीन का इस्‍तेमाल पानी के भीतर रहने वाली मछलियों और जीव-जंतुओं के अध्‍ययन के लिए किया. इसके अलावा अगर कोई पानी में डूब जाए या कोई जहाज डूब जाए तो भी ढ़ाई फीट नीचे और चारों दिशाओं में तकरीबन 500 फीट तक देख सकने वाले इस टेलिस्‍कोप के जरिए उसे खोजा जा सकता था.

यह मशीन पानी के भीतर मनुष्‍य की दुनिया और उसके नियंत्रण को विस्‍तार देने की दिशा में एक क्रांतिकारी खोज थी. सारा की खोज मेडिकल साइंस के क्षेत्र में भी उपयोगी साबित हुई. एंडोस्‍कोपी में जिस तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाता है, वह उसी टेक्‍नोलॉजी का विकसित रूप है, जिसका इस्‍तेमाल सारा ने सबमरीन टेलिस्‍कोप बनाने के लिए किया था.

सुंदर तो ये होता कि सारा की कहानी हमें और विस्‍तार से पता होती. वैज्ञानिक खोजों के इतिहास वाली किताब में यह सब विस्‍तार से लिखा होता कि सबमरीन टेलिस्‍कोप बनाने की सारा की यात्रा कैसे शुरू हुई. उस राह मे  क्‍या चुनौतियां और मुश्किलें आईं. क्‍या उस दौर के साइंटिफिक जरनल और अखबारों ने सारा के बारे में कुछ लिखा था.

हम ये सब नहीं जानते. लेकिन फिर भी हम शुक्रगुजार भी हैं और गर्व भी महसूस करते हैं सारा माथेर पर. आज विज्ञान और मनुष्‍यता जिस जगह खड़ी है, उसमें एक बड़ा योगदान सारा का भी है. एक स्‍त्री के रूप में हमारे लिए यह कहानी और भी ज्‍यादा कीमती हो जाती है क्‍योंकि अब तक तो हमें यही बताया गया था कि दुनिया के सारे महान आविष्‍कार पुरुषों ने किए.

आज हम जानते हैं कि ये सच नहीं है. बस औरतों को उनके काम का श्रेय बहुत देर से मिला.

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