लखनऊ की ये महिलाएं नैचुरल प्रॉडक्ट बनाकर बचा रही हैं पर्यावरण
'मिट्टी से' पर्यावरण बचा रही हैं लखनऊ की ये महिलाएं...
अधिकतर डिटर्जेंट में फॉस्फेट पाया जाता है जो पर्यावरण के लिए अत्यधिक नुकसानदेय होता है। इससे जलस्रोतों में नुकसानदेय पौधों और कीड़ों की अधिकता हो जाती है। अगर इन प्रॉडक्ट्स में फॉस्फेट नहीं भी होता है तो ऐसे केमिकल्स जरर होते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
लखनऊ के चार दोस्तों ने पर्यावरण को बचाने और लोगों को स्वास्थ्य के अनुकूल ब्यूटी और डेली यूज प्रॉडक्ट बनाने की शुरुआत की है। इस ब्रैंड का नाम 'मिट्टी से' है। 'मिट्टी से' की शुरुआत की कहानी थोड़ी दिलचस्प है।
बाजार में जितने भी ब्यूटी, कॉस्मेटिक और डिटर्जेंट प्रॉडक्ट आते हैं उन सब में भर-भर के केमिकल भरे होते हैं। इनमें से कुछ केमिकल ऐसे होते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ही आपके शरीर को भी खतरे में डालते हैं। इन प्रॉडक्ट्स में जो केमिकल होता है वह त्वचा, आंखों और शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। अधिकतर डिटर्जेंट में फॉस्फेट पाया जाता है जो पर्यावरण के लिए अत्यधिक नुकसानदेय होता है। इससे जलस्रोतों में नुकसानदेय पौधों और कीड़ों की अधिकता हो जाती है। अगर इन प्रॉडक्ट्स में फॉस्फेट नहीं भी होता है तो ऐसे केमिकल्स जरर होते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसी वजह से पर्यावरणविद लगातार चिंता जता रहे हैं, लेकिन किसी का ध्यान उस पर नहीं है। आखिर हम अगर पर्यावरण को खत्म कर देंगे तो हमारा अस्तित्व कहां बचेगा? हालांकि नेचुरल और ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट्स की थोड़ी बहुत शुरुआत हो गई है, लेकिन अभी इसका उतना क्रेज नहीं है जितना कि होना चाहिए। लखनऊ के चार दोस्तों ने पर्यावरण को बचाने और लोगों को स्वास्थ्य के अनुकूल ब्यूटी और डेली यूज प्रॉडक्ट बनाने की शुरुआत की है। इस ब्रैंड का नाम 'मिट्टी से' है। 'मिट्टी से' की शुरुआत की कहानी थोड़ी दिलचस्प है।
तुबा, फैज, रफी, अरुण और फाखरा पर्यावरण और शरीर को नुकसान न पहुंचाने वाले प्रॉडक्ट खोज रहे थे। लेकिन उन्हें ऐसे प्रॉडक्ट पाने में काफी मुश्किल हुई। फाखरा बताती हैं, 'प्रकृति का नियम काफी सुंदर है। उसका प्रोसेस देखकर काफी प्रेरणा मिलती है। हमें लगा कि मानव अपने फायदे के लिए प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा रहा है। वह प्रकृति के चक्र को तोड़ देता है और वहीं से मुश्किल खड़ी होती है।' ये चारो लोग अलग-अलग क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। तुबा बायोटेक्नॉलजी प्रोफेशनल हैं, अरुण आयुर्वेद के जानकार हैं, फैज को तेल और केमिकल की परख है तो वहीं रफी ने अमेरिका से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है।
इनमें सो दो लोगों ने छह साल पहले लखनऊ और बेंगलुरु में खुद से ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट बनाने की शुरुआत की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद सभी ने एक साथ मिलकर एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और उसका नाम रखा, 'मिट्टी से'। यह ब्रैंड ऐसे प्रॉडक्ट बनाता है जिनमें हानिकारक केमिकल्स नहीं होते। इनमें बॉडी केयर, हेयर केयर, फेसवॉश, तेल, क्लींजर, शैंपू और कपड़े धुलने के प्रॉडक्ट भी होते हैं। किसी भी प्रॉडक्ट की कीमत 1,000 से ज्यादा नहीं होती। फाखरा ने कहा, 'हम बताना चाहते हैं कि बिना लोगों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए भी हम बिजनेस से फायदा कमा सकते हैं।'
इको फ्रेंडली हो जाने की चुनौतियां
बिना केमिकल के 100 फीसदी नेचुरल प्रॉडक्ट बनाना आसान भी नहीं है। इसमें कई सारी चुनौतियां होती हैं। लोग भी अभी इन प्रॉडक्ट को लेकर जागरूक नहीं हैं। टीम के किसी भी सदस्य के पास बिजनेस का अनुभव नहीं था, इसलिए सीखने का भी मौका मिला। सबने कठिन मेहनत की और 'मिट्टी से' को यहां तक पहुंचाया। 'मिट्टी से' के कई सारे प्रॉडक्ट ऐसे भी हैं जिन्हें कई सारी चीजों में इस्तेमाल किया जा सकता है। अधिकतर प्रॉडक्ट्स को महिला और पुरुष दोनों इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे- बॉडी ऑयल को चेहरे पर भी लगाया जा सकता है, शरीर पर भी और फटी एड़ियों में भी वह उतना ही कारगर है। वैसे ही फेस सीरम को किसी भी तरह की स्किन के लिए यूज किया जा सकता है।
सारे प्रॉडक्ट्स लखनऊ में बनते हैं, फैज और तुबा पूरी टीम के साथ काम में लगे रहते हैं। कच्चा माल मध्य प्रदेश, राजस्थान, यूपी और कश्मीर से भी मंगाया जाता है। ये प्रॉडक्ट हाथों से बनाए जाते हैं इसलिए किसी भी तरह के साइड इफेक्ट की गुंजाइश नहीं रहती है। ये पाउडर और तेल के रूप में होते हैं इसलिए इनमें आर्टीफीशियल प्रिजर्वेटिव मिलाने की जरूरत नहीं पड़ती। इन्हें थोड़ा-थोड़ा करके बनाया जाता है इसलिए ये हमेशा फ्रेश ही रहते हैं। पिछले तीन सालों में 'मिट्टी से' की बिक्री और कस्टमर में काफी इजाफा हुआ है। अब टीम इको फ्रेंडली पैकेजिंग के बारे में भी सोच रही है। इनकी योजना है कि इन्हें विदेशों में भी निर्यात किया जाए। अभी ये 'मिट्टी से' की वेबसाइट के अलावा अमेजन पर भी उपलब्ध हैं।ठ
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