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घर से भागकर अपना बिजनेस करने वाला लड़का आज 1450 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी का है मालिक

घर से भागकर अपना बिजनेस करने वाला लड़का आज 1450 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी का है मालिक

Friday December 22, 2017 , 6 min Read

वो इंसान कोई और नहीं मशहूर शैंपू चिक बनाने वाली कंपनी केवनिकेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक रंगनाथन हैं। उनकी कंपनी शैंपू के अलावा, डेयरी, बेवरेज और सलून के बिजनेस में भी काम कर रही है।

रंगनाथन

रंगनाथन


इस प्रॉडक्ट ने उन्हें इतनी सफलता दी कि आज उनका टर्नओवर 1450 करोड़ जा पहुंचा है। उन्होंने जो फैक्ट्री ली थी उसका किराया हर महीने सिर्फ 300 रुपये था। उन्होंने मशीन और बाकी चीजों पर 3,500 रुपये खर्च किए थे।

दक्षिण भारत में बनने वाला शैंपू पूरे भारत में बिकने लगा था। इतना ही नहीं ये शैंपू श्री लंका, बांग्लादेश, नेपाल, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में भी बिकने लगा। आज उनकी कंपनी में 4,000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं। 

आज से करीब 30 साल पहले की बात है। तमिलनाडु राज्य के एक छोटे से कस्बे कडालोर का रहने वाला एक 22 साल का नौजवान सिर्फ 15,000 रुपये लेकर अपने घर से निकला था। उसका इरादा था कि खुद का कोई बिजनेस शुरू किया जाए। आज उस इंसान की कंपनी का सालाना टर्नओवर 1450 करोड़ रुपयों का है। वो इंसान कोई और नहीं मशहूर शैंपू चिक बनाने वाली कंपनी केवनिकेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक रंगनाथन हैं। उनकी कंपनी शैंपू के अलावा, डेयरी, बेवरेज और सलून के बिजनेस में भी काम कर रही है। दरअसल उनका एक पैतृक शैंपू का बिजनेस था। पिता के देहांत के बाद उनके भाई और उनके बीच अनबन हो गई थी जिस वजह से उन्हें बाहर निकलना पड़ा।

घर से 15,000 रुपये निकलने के बाद रंगनाथन ने सबसे पहले अपने रहने का इंतजाम किया। लेकिन यह जगह उनके घर से सिर्फ कुछ कदमों की दूरी पर ही थी। वह बताते हैं, 'यह एक कमरे का एक छोटा सा घर था जिसका किराया सिर्फ 250 रुपये महीना था। मैंने एक केरोसिन स्टोव खरीदा और एक साइकिल भी ली। ताकि आसानी से कहीं भी आस पास जाया जा सके। मैं अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकल चुका था और अब मैं जिंदगी में आने वाली हर एक चुनौती को स्वीकारने के लिए तैयार था।' वे बताते हैं कि उस वक्त उनके आसपास के लोग उनसे कहा करते थे कि उन्होंने घर छोड़कर कोई गलती कर दी है और उन्हें फिर से एक बार अपने फैसले के बारे में सोचना चाहिए।

लेकिन रंगनाथन ने एक बार जो सोच लिया उस पर टिके रहने वाले इंसान हैं। आज भी वो कोई भी फैसला चुटकी में लेते हैं और उसे सच साबित करके दिखाते हैं। शुरू में तो वह शैंपू के ही बिजनेस में उतरकर अपने भाई से नहीं लड़ना चाहते थे। उन्होंने पोल्ट्री फार्म जैसे बिजनेस में हाथ आजमाने के बारे में सोचा, लेकिन जानकारी होने की वजह से उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि किया क्या जाए। उन्हें लगा कि जानकारी तो सिर्फ शैंपू बनाने की है, तो फिर किसी और बिजनेस में हाथ डालने का जोखिम क्यों लिया जाए। उन्होंने अपने घर से 20 किलोमीटर दूर पुडुचेरी के पास फैक्ट्री लगाने के बारे में सोचा।

सिर्फ एक हफ्ते में ही उन्हें शैंपू बनाने का लाइसेंस ले लिया। उन्होंने चिक ब्रैंड के नाम से शैंपू बनाना शुरू किया जिसका एक छोटा सा 7ml का शैशे सिर्फ 75 पैसे में मिला करता था। इस प्रोडक्ट को लोगों ने इतना पसंद किया कि सिर्फ एक महीने के भीतर वह काफी पॉप्युलर हो गया। इस नाम को चुनने के पीछे के बारे में वह बताते हैं कि उनके पिता का नाम चिन्नी कृष्णन था। वहीं से उन्होंने यह नाम उठाया। इस प्रॉडक्ट ने उन्हें इतनी सफलता दी कि आज उनका टर्नओवर 1450 करोड़ जा पहुंचा है। उन्होंने जो फैक्ट्री ली थी उसका किराया हर महीने सिर्फ 300 रुपये था। उन्होंने मशीन और बाकी चीजों पर 3,500 रुपये खर्च किए थे।

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उनके चिक शैंपू की पॉप्युलैरिटी धीरे-धीरे पूरे देश में होने लगी। दक्षिण भारत में बनने वाला शैंपू पूरे भारत में बिकने लगा था। इतना ही नहीं ये शैंपू श्री लंका, बांग्लादेश, नेपाल, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में भी बिकने लगा। आज उनकी कंपनी में 4,000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं। जिसमें से 2,000 लोग तो सिर्फ उनके सैलून चेन्स में काम करते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि रंगनाथन का बचपन गांव में ही बीता था। वे ट्यूबवेल में नहाते थे और तालाब में जाकर मछलियां पकड़ते थे। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि वह लड़का आज देश का इतना बड़ा उद्योगपति बन जाएगा। रंगनाथन ने अपनी पूरी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी है।

बचपन गांव में बिताने की वजह से ही उन्हें पेड़ पौधों और प्रकृति से खासा लगाव है। चेन्नई में समुद्र के किनारे 3.5 एकड़ में उनका घर बना है जिसमें सैकड़ों पक्षी भी रहते हैं। उन्होंने अपने घर को एक छोटा सा पक्षी विहार बना दिया है। वे इनके साथ काफी वक्त बिताते हैं। जिंदगी के इस मुकाम पर पहुंचने के लिए रंगनाथन ने काफी संघर्ष किया है। हर कदम पर वे अपनी गलतियों से सीखते रहे और आगे बढ़ते रहे। शुरुआती दिनों में तो उन्हें अपने भाई की कंपनी से ही मुकाबला करना पड़ता था। उनके भाई की कंपनी के शैंपू का दाम 75 पैसे था लेकिन रंगनाथन ने अंडों का एक शैंपू बनाया था जिसका दाम 90 पैसे थे। एक डिस्ट्रीब्यूटर के कहने पर उन्होंने अपने शैंपू का दाम घटाकर 75 पैसे कर दिया था।

सिर्फ एक साल की भीतर ही उन्होंने 6 साल की सेल कर ली थी। 1987 में उनकी शादी आर तनीमोझी से हो गई। ये लड़की कोई और नहीं, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की पोती थीं। हालांकि दोनों लोग अलग-अलग समुदाय से ताल्लुक रखते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया। उस वक्त उनकी कंपनी हर महीने लगभग 3.5 लाख रुपये का सेल करती थी। उन्होंने 1988 में पांच खाली शैशे लौटाने पर एक शैशे मुफ्त शैंपू की कारगर नीति अपनाई थी जिससे उनके शैंपू की बिक्री में काफी उछाल मिला। लेकिन इससे उनके भाई का बिजनेस पूरी तरह से ठप हो गया और पूरे मार्केट पर चिक का कब्जा हो गया।

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1989 में उनकी कंपनी ने एक करोड़ सालाना का टर्नओवर हासिल कर लिया था। उस वक्त तमिल फिल्म इंडस्ट्री की अभिनेत्रियां उनके प्रॉडक्ट का विज्ञापन करती थीं। कुछ ही सालों में उनका टर्नओवर बढ़कर 4.5 करोड़ हो गया। इसके बाद उन्होंने कई तरह के वैरियंट्स वाले शैंपू मार्केट में उतारे। 2001 में 200 करोड़ टर्नओवर का आंकड़ा पार करने के बाद उन्होंने सैलून चेन के बिजनेस में भी कदम रखा। उन्होंने कई और क्षेत्रों में भी अपना व्यापार बढ़ाया। गांव में पढ़ाई करने की वजह से उन्हें अंग्रेजी समझने और बोलने में काफी दिक्कतें हो रही थीं। उन्होंने इस पर भी काफी मेहनत की और फर्राटेदार अंग्रेजी पर पकड़ बना ली। आज वे ऑफिस में अपने कर्मचारियों से अंग्रेजी में ही बात करते हैं।

रंगनाथन के पास कंपनी की पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी है। 2008 में उन्होंने डेयरी बिजनेस में भी कदम रखा। उन्होंने कांचिपुरम की एक डेयरी यूनिट का अधिग्रहण कर लिया था। उन्होंने मुंबई की एक नमकीन कंपनी का भी अधिग्रहण किया जो कि अब स्नैक्स बनाती है। रंगनाथन के बच्चे अमुता, मनु और धारानी अब उनके बिजनेस में हाथ बंटाते हैं और पिता की मदद से अपना भी बिजनेस शुरू करने की कोशिश में हैं।

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