यूपी का पहला स्मार्ट गांव: दो युवाओं ने ऐप की मदद से बदल दिया गांव का नजारा
रायबरेली के योगेश साहू ने बनाया ऐसा ऐप जिसकी मदद से गांव के लोग न केवल पूरी दुनिया से जुड़ गए हैं, बल्कि हर तरह की जानकारी से अप-टू-डेट भी रहने लगे हैं...
रायबरेली के लालगंज के रहने वाले योगेश साहू ने अपने दोस्त रजनीश बाजपेयी के साथ मिलकर एक ऐप बनाया जिसका नाम 'स्मार्टगांव' है। इस ऐप की मदद से गांव के लोग न केवल पूरी दुनिया से जुड़े रहते हैं बल्कि किसी भी जानकारी और सूचना के लिए उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
भारत के गांवों में इंटरनेट का इस्तेमाल हर साल 26 फीसदी बढ़ रहा है। इन दोनों ने इसी को आधार बनाकर एक एप विकसित किया। इस एप ने इस गांव की तस्वीर बदल दी।
समाज और देश बदलने की बातें तो हर कोई करता है लेकिन हकीकत में खुद से प्रयास करने वाले कितने लोग हैं? उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के दो आईटी प्रोफेशनल युवा एक ऐप बनाकर अपने गांव के हजारों लोगों की जिंदगी बदल रहे हैं। रायबरेली के लालगंज के रहने वाले योगेश साहू ने अपने दोस्त रजनीश बाजपेयी के साथ मिलकर एक ऐप बनाया जिसका नाम 'स्मार्टगांव' है। इस ऐप की मदद से गांव के लोग न केवल पूरी दुनिया से जुड़े रहते हैं बल्कि किसी भी जानकारी और सूचना के लिए उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
लालगंज तहसील के अंतर्गत आने वाला गांव तौधकपुर कभी पिछड़ा गांव माना जाता था। लेकिन अब यही गांव तेज गति से विकसित हो रहा है। गांव में सीसीटीवी कैमरा से लेकर कूड़ेदान और स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। इन बुनियादी सुविधाओं के अलावा गांव में एक आदर्श प्राथमिक विद्यालय भी है। स्कूल में ही बच्चों और गांव के लोगों के लिए हेल्थ कैंप भी लगते हैं। गांव के लोगों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करने के लिए वाई-फाई भी लगा है और बिजली की आपूर्ति 18-20 घंटे है। ये सभी सुविधाएं स्मार्टगांव ऐप पर ट्रैक की जा सकती हैं। तौधकपुर का हुलिया बदला हैं रजनीश बाजपेयी और योगेश साहू नें।
गांव को हाईटेक बनाने का आइडिया ये रजनीश और योगेश को पीएम मोदी के एक भाषण को सुनने के बाद आया। साल 2015 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान पीएम ने सैन जोस सेंटर में एक भाषण में कहा था, “कभी मेरे देश में हमलोग सुना करते थे कि भारत से ब्रेन ड्रेन को रोकने के लिए कुछ करना पड़ेगा, भारत की धरती कई ‘मोती’ पैदा करती है…ये ब्रेन ड्रेन ब्रेन गेन भी बन सकता है।” इस भाषण को सुनने के बाद रजनीश और योगेश ने स्मार्ट गांव एप बनाने की सोची। भारत के गांवों में इंटरनेट का इस्तेमाल हर साल 26 फीसदी बढ़ रहा है। इन दोनों ने इसी को आधार बनाकर एक एप विकसित किया। इस एप ने इस गांव की तस्वीर बदल दी।
इस गांव को स्मार्ट गांव में बदलने में तीन साल का लंबा वक्त लगा। इस दौरान इस गांव के निवासियों, ग्राम प्रधान, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और रायबरेली के सीडीओ ने काफी मेहनत की। इनकी बदौलत ही इस गांव में डिजिटल क्रांति आ सकी। इस गांव की तस्वीर सफलतापूर्वक बदलने के बाद योगेश और रजनीश ने अब छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के 6 गांवों की तकदीर बदलने की ठानी है।
इन दोनों युवाओं ने अगले दो साल में 10 गांवों को स्मार्ट बनाने पर काम करने की योजना बनाई है। ग्रामिण इलाकों में इस डिजिटल प्लेटफॉर्म की जागरुकता फैलाने के साथ साथ शहरी लोग, कॉरपोरेट्स और एनआईआई का सपोर्ट फाउंडर्स के लिए काफी अहम है। साथ ही ग्रामिण विकास से जुड़़े बाकी स्टार्टअप की सुविधाएं इस प्लेटफॉर्म से जोडकर रजनीश और योगेश स्मार्ट भारत का सपना पूरा करने की ओर बढ़ रहे है। योगेश कहते हैं कि उनका अगला लक्ष्य शहरी नागरिकों, अप्रवासी भारतीयों और कॉर्पोरेट के बीच जागरूकता बढ़ाना है ताकि वे आगे आकर इस काम में उनकी मदद कर सकें।
यह भी पढ़ें: इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने बनाया पानी बचाने वाला स्मार्ट वॉशबेसिन, मोबाइल पर मिलेगा अलर्ट