अपना सपना पूरा करने के लिए यह यूपीएससी टॉपर रेलवे स्टेशन पर पूरी करता था नींद
घर चलाने के लिए जिसकी बहन और मां बेचती थीं नारियल की पत्तियां, वो बन गया यूपीएससी टॉपर
प्रभाकरण के इस सपने में उनकी परिस्थितियां आड़े आ रही थीं। तंजावुर जिले के पत्तुकोट्टई से संबंध रखने वाले प्रभाकरण के पिता को शराब की बुरी लत है। जिस वजह से उनका पढ़ना मुमकिन नहीं हो पा रहा था। वहीं उनकी मां और बहने घर चलाने के लिए नारियल की पत्तियां इकट्ठा कर के बेचती थीं।
इंजीनियरिंग करने के बाद प्रभाकरण ने तुरंत नौकरी करनी शुरू कर दी। दरअसल बनना वे आईएएस ही चाहते थे, लेकिन घर की कई जिम्मेदारियों की वजह से उन्हें नौकरी करनी पड़ रही थी। उन्होंने चार सालों तक नौकरी की औऱ अपनी बड़ी बहन की शादी करवाई।
कुछ दिनों पहले जब यूपीएससी के परिणाम घोषित हुए तो सिविल सेवा की तैयारी करने वाले देशभर के कई युवाओं के लिए जश्न मनाने का मौका मिला। इस लिस्ट में ऊपर से नीचे तक तमाम ऐसे युवा थे जिनकी कहानी ने हम सभी को प्रभावित किया। ऐसे ही एक युवा हैं तमिलनाडु के तंजावुर जिले में रहने वाले शिवगुरु प्रभाकरण। प्रभाकरण ने 101वीं रैंक हासिल की। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने लकड़ी चीरने की मशीन चलाने से लेकर खेतों में भी काम किया, ताकि अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। प्रभाकरण तंजावुर जिले में डीएम रह चुके कलेक्टर जे. राधाकृष्णन से आईएएस बनने की प्रेरणा ली थी।
लेकिन प्रभाकरण के इस सपने में उनकी परिस्थितियां आड़े आ रही थीं। तंजावुर जिले के पत्तुकोट्टई से संबंध रखने वाले प्रभाकरण के पिता को शराब की बुरी लत है। जिस वजह से उनका पढ़ना मुमकिन नहीं हो पा रहा था। वहीं उनकी मां और बहने घर चलाने के लिए नारियल की पत्तियां इकट्ठा कर के बेचती थीं। लेकिन प्रभाकरण के भीतर कुछ करने की तमन्ना थी। उन्होंने 2008 में पेरियार वेल्लोर गवर्नमेंट टेक्नॉलजी कॉलेज में इंजीनियरिंग में दाखिला ले लिया। सरकारी कॉलेज होने की वजह से फीस के तौर पर उन्हें ज्यादा पैसे नहीं देने पड़े।
लेकिन इंजीनियरिंग कॉलेज में एक बड़ी समस्या अंग्रेजी की थी। क्योंकि उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई तमिल माध्यम के स्कूल से की थी। इस मुश्किल का समाधान उनके एक दोस्त ने दिया। प्रभाकरण के दोस्त ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के पास भेजा जो गरीब छात्रों को ट्रेनिंग देता था। प्रभाकरण वेल्लोर से चेन्नई की यात्रा करते। वे यहां आईआईटी की कोचिंग करने के लिए आते। लेकिन पैसे न होने की वजह से उन्हें स्टेशन पर ही सोना पड़ता। उन्होंने बताया कि वे सेंट थॉमस माउंट स्टेशन पर रात बिताया करते थे। इतना ही नहीं जब क्लासेज नहीं होतीं तो वे मोबाइल चार्जिंग स्टेशन पर काम कर रहे होते।
इंजीनियरिंग करने के बाद प्रभाकरण ने तुरंत नौकरी करनी शुरू कर दी। दरअसल बनना वे आईएएस ही चाहते थे, लेकिन घर की कई जिम्मेदारियों की वजह से उन्हें नौकरी करनी पड़ रही थी। उन्होंने चार सालों तक नौकरी की औऱ अपनी बड़ी बहन की शादी करवाई। उन्होंने अपने छोटे भाई को भी अपने ही खर्चों पर पढ़ाया। इसके बाद वे वापस पढ़ाई करने के लिए लौटे। उन्होंने 2014 में आईआईटी मद्रास से एमटेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे सिविल सर्विस की तैयारी में लग गए। हालांकि शुरुआत के प्रयासों में उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने चौथे प्रयास में प्रभाकरण ने वो कर दिखाया जिसका सपना उन्होंने कई साल पहले देखा था। इस बार उन्होंने अच्छे नंबर से यूपीएससी को क्वालिफाई करते हुए 101वीं रैंक हासिल की।
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