हेडफोन से सावधान: दुनिया के सवा अरब युवाओं पर मंडरा रहा है बहरेपन का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक स्टडी ने यह खतरनाक चेतावनी दी है कि दुनिया के 1.35 अरब युवा तेज आवाज के कारण बहरेपन का शिकार हो सकते हैं.
मेट्रो में, बस में, दफ्तर में, सड़क पर, पार्क में ठहलते हुए, बेंच पर अकेले बैठे हुए लोग कानों में हेडफोन लगाए मिल जाते हैं. उस हेडफोन में कुछ भी बज रहा हो सकता है. हाई वॉल्यूम में कोई म्यूजिक, वीडियो, पॉडकास्ट या फिल्म. हर कोई अपने हेडफोन और स्मार्ट फोन में खोया हुआ है. आसपास की आवाजें सुननें या चीजों को ठहरकर देखने की किसी को फुरसत नहीं.
लेकिन क्या आपको पता है कि ये हेडफोन आपको बहरा भी कर सकता है. कि दुनिया के सवा अरब युवाओं के ऊपर अपनी श्रवण शक्ति खो देने या पूरी तरह बहरे हो जाने का खतरा मंडरा रहा है. और इस खतरे के लिए जिम्मेदार है आपका हेडफोन, हाई वॉल्यूम में बज रहा म्यूजिक और सीमा से ज्यादा डेसिमल का वो पूरा साउंड, जिससे सुनने और झेलने के लिए आपके कान नहीं बने.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के द्वारा करवाई गई एक ग्लोबल स्टडी में यह बात सामने आई है. इस रिपोर्ट में पिछले 20 सालों में दुनिया के 33 देशों में इसे लेकर की गई स्टडी को एक जगह कंप्रेहेन्सिव तरीके से एकत्रित किया गया है. पिछले 20 सालों में स्पेशिन, फ्रेंच, रशियन, इटालियन, जर्मन और अंग्रेजी भाषाओं में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण और हेडफोन और तेज साउंड की वजह से पैदा होने वाले खतरों पर जितनी भी स्टडी हुई हैं, इस स्टडी में उन सबका सम्मिलित रूप से विश्लेषण है.
यह स्टडी बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुई है.
दुनिया भर के 19000 युवाओं पर किए गए इस अध्ययन से पता चलता है कि तकरीबन 24 फीसदी युवा अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लगातार हाई वॉन्यूम साउंड के संपर्क में हैं. वे हेडफोन पर तेज आवाज में म्यूजिक सुनते हैं और ऐसी जगहों पर खासा वक्त बिताते हैं, जहां काफी शोर होता है, जैसेकि पब, बार, डिस्को और रेस्त्रां जहां तेज म्यूजिक बजता है. ऐसी जगहों पर रोज जाने और वहां काम करने वाले लोग सबसे ज्यादा खतरनाक जद में हैं.
स्टडी के मुताबिक तकरीबन 48 फीसदी युवा पब, बार, डिस्को और तेज म्यूजिक वाले रेस्त्रांओं में जाने के कारण खतरे की जद में हैं. पूरी दुनिया में इस वक्त तकरीबन 1.35 अरब युवाओं पर बहरेपन का खतरा मंडरा रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह हमारे लिए एक चेतावनी भी है. WHO ने इस मामले में हेडफोन और स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों को भी संज्ञान में लेने और इस दिशा में कदम उठाने की बात कही है.
WHO का कहना है कि बढ़ता हुआ ध्वनि प्रदूषण और उससे पैदा हो रहा खतरा एक वास्तविक खतरनाक स्थिति है, जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता.
WHO के मुताबिक आज पूरी दुनिया में तकरीबन 43 करोड़ लोग हियरिंग से जुड़ी किसी न किसी समस्या से जूझ रहे हैं. WHO के अनुमान के मुताबिक 2050 तक यह संख्या 70 करोड़ हो सकती है.
WHO की इस स्टडी में हेडफोन मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के साथ-साथ सरकारों से अपील की गई है कि वे इस समस्या को गंभीरता से लें और इसके मानक तय किए जाएं कि कितनी तेज आवाज में म्यूजिक चलाया जा सकता है. पब, बार, रेस्त्रां आदि के लिए भी नियम तय किए जाने चाहिए.
Edited by Manisha Pandey