बेघर हुईं आवारा पशुओं की देखभाल करने वाली अम्मा, पाल रही थीं 400 आवारा कुत्ते
प्रतिमा देवी को जगह खाली करने के लिए सिर्फ 15 मिनट का समय दिया गया। कर्मचारियों ने जानवरों को मारा और उनका खाना भी उठाकर फेंक दिया। इतने कम समय में प्रतिमा अपनी जरूरत तक का पूरा सामान सुरक्षित नहीं कर पाईं।
पुलिस और नगर निगम के कर्मचारी दो ट्रक भरकर सामान ले गए। प्रतिमा देवी के पास अब सिर्फ 30 कुत्ते बचे हैं। उनके पास करीब 13 बिल्लियां थीं, जिनमें से एक की घटना के दौरान मलबे में दबने से मौत हो गई।
दिल्ली हाई कोर्ट के इस निर्देश से पहले जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि आवारा कुत्तों को भी जीने का हक है।
बीते सोमवार, करीब दोपहर 12 बजे दक्षिणी दिल्ली के साकेत इलाके में रहने वाली 65 वर्षीय महिला के आशियाने को अतिक्रमण में हटा दिया गया। महिला का नाम प्रतिमा देवी है, जो करीब 400 आवारा कुत्तों की देख-रेख कर रही थीं। घटना में एक कुत्ते और एक बिल्ली की मलबे में दबकर मौत हो गई। मंगलवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और अमृता सिंह, प्रतिमा देवी से मिलने पहुंचे।
एजेंसी रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमसीडी और दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों ने महिला से जगह खाली करने को कहा और ऐसा न करने पर उन पर और उनके पालतू जानवरों पर गाड़ी चढ़ाने की धमकी भी दी। जानकारी के मुताबिक, प्रतिमा देवी को जगह खाली करने के लिए सिर्फ 15 मिनट का समय दिया गया। कर्मचारियों ने जानवरों को मारा और उनका खाना भी उठाकर फेंक दिया। इतने कम समय में प्रतिमा अपनी जरूरत तक का पूरा सामान सुरक्षित नहीं कर पाईं।
नगर निगम की कार्रवाई दिल्ली हाई कोर्ट के हालिया निर्देश को ध्यान में रखते हुए हुई है। कोर्ट का कहना है कि निजी संपत्ति के सार्वजनिक क्षेत्र में आवारा कुत्तों को पालना आस-पास के माहौल को खराब कर सकता है। कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली के रहवासियों को चेतावनी दी थी कि कुत्तों की वजह से आस-पास के लोगों में डर या असुविधा नहीं पैदा होनी चाहिए।
‘योर स्टोरी हिंदी’ से बातचीत में प्रतिमा देवी उर्फ अम्मा के सहयोगी मनोज ने बताया कि पुलिस और नगर निगम के कर्मचारी दो ट्रक भरकर सामान ले गए। प्रतिमा देवी के पास अब सिर्फ 30 कुत्ते बचे हैं। उनके पास करीब 13 बिल्लियां थीं, जिनमें से एक की घटना के दौरान मलबे में दबने से मौत हो गई।
मनोज जी ने जानकारी दी कि अम्मा, उन्हें बेटा मानती हैं और वह पिछले 13 साल से उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि अब अम्मा के पास जरूरत भर का सामान भी नहीं बचा है। कुत्तों को पालने में मनोज अम्मा का सहयोग करते थे। कुत्तों को अस्पताल ले जाना, उन्हें वैक्सीन लगवाना और उनके लिए खाने का इंतजाम करना, इस तरह के सभी कामों में वह अम्मा का सहयोग करते थे।
प्रतिमा कचरा उठाने का काम करती हैं। प्रतिमा की रोज़ाना आय लगभग 200 रुपए है और इतनी कम आमदनी में भी वह लगभग 400 कुत्तों की देखरेख कर रही थीं। प्रतिमा न सिर्फ उनके खाने-पीने का ध्यान रखती थीं, बल्कि समय-समय पर उनका इलाज करवातीं और उन्हें वैक्सीन भी लगवाती थीं।
प्रतिमा पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम की रहने वाली हैं। कम उम्र में शादी होने और फिर ससुराल में खराब बर्ताव झेलने के बाद वह दिल्ली आ गईं। शुरूआत में उन्होंने लोगों के घरों में खाना बनाकर गुज़ारा किया और फिर कुछ सालों बाद पीवीआर अनुपम के मार्केट में एक सिगरेट की दुकान खोल ली। नगर निगम ने उनकी दुकान हटा दी, जिसके बाद उन्होंने दुकानों से कचरा उठाने का काम शुरू किया।
दिल्ली हाई कोर्ट के इस निर्देश से पहले जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि आवारा कुत्तों को भी जीने का हक है। अपेक्स कोर्ट ने आवारा कुत्तों के बसेरों के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसा कहा था। सुप्रीम कोर्ट, नगर निगम ईकाइयों द्वारा आवारा कुत्तों को रहवासी इलाकों से बाहर करने से संबंधित जारी नियमों के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इस तरह की समस्याएं मुंबई और केरल से ज्यादा सामने आ रही हैं।
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