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वादियों के प्राकृतिक खजाने को दुनिया में पहुंचाता ‘‘प्योरमार्ट’’

जम्मू-कश्मीर की केसर और मेवों को दिया नया बाजारघाटी के साहिल वर्मा ने मनवाया अपनी मेहनत का लोहालोगों के दरवाजे तक पहुंचा रहे हैं आॅर्गेनिक खाद्य पदार्थजल्द ही देश के विभिन्न हिस्सों में स्टोर खोलने का है इरादा

वादियों के प्राकृतिक खजाने को दुनिया में पहुंचाता ‘‘प्योरमार्ट’’

Saturday March 14, 2015 , 6 min Read

जम्मू के रहने वाले साहिल वर्मा, जो आज देश के एक बड़े आॅर्गेनिक खाद्य सामग्री के आॅनलाईन स्टोर ‘‘प्योरमार्ट’’ के सर्वेसर्वा हैं ने अपना बचपन वादियों में ही गुजारा। केसर और काजू-बादाम जैसे सूखे मेवों के बीच बचपन गुजारने वाले साहिल कहते हैं कि उन्होंने हमेशा से ही बाहर से आने वाले सैलानियों को इन सूखे मेवों के लिये बेकरार देखा।

केसर और सूखे मेवे साहिल को बहुत आसानी से उपलब्ध थे और वे हमेशा यही सोचते कि इन चीजों में ऐसा क्या खास है कि सैलानी इन्हें खरीदने को इनती अहमियत देते हैं। बचपन की यही सोच शायद भविष्य में उन्हें प्योरमार्ट की सोच को धरातल पर उतारने में काम आई।

वादियों में अपना बचपन गुजारने के बाद साहिल पहली बार फार्मेसी की पढ़ाई करने बेंगलूर गए तब उन्हें जड़ों से दूर होने का अहसास हुआ। साहिल याद करते हुए कहते हें कि वह समय उनके जीवन का सबसे कठिन समय था लेकिन पढ़ाई के दौरान ही उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से आये युवाओं और लोगों से मिलने और उनसे दोस्ती करने का मौका मिला। साहित कहते हैं कि इस अनुभव ने जिंदगी के प्रति उनके नजरिये को एकदम से बदल दिया।

साहिल कहते हैं कि जीवन के उस दौर में उन्हें कई अच्छे दोस्त मिले और साथ ही उन्हें जम्मू-कश्मीर के बारे में लोगों के दिलो-दिमाग में फैली भा्रंतियों के बारे में भी पता चला। देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों का वादी के हालातों के बारे में क्या नजरिया है यह जानने में भी उन्हें काफी मदद मिली। साहिल मुस्कुराते हुए बताते हें कि देश के दूसरे हिस्सों से आये लोगों से मिलने के बाद उन्होंने अपना जुड़ाव वादी में फैले आतंकवाद, केसर, मेवे और बर्फ के साथ महसूस किया और तब उन्हें इन चीजों की अहमियत महसूस हुई।

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इसी दौरान साहिल के जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिसने जीवन के प्रति उनका नजरिया ही बदल दिया। उनके एक मित्र के पिता की मृत्यु खानपान संबंधी असावधानियों और आज की व्यस्त दिनचर्या के कारण अचानक हुई। साहिल कहते हैं कि उस समय उन्हें समझ आया कि उनके गृहस्थान यानि जम्मू-कश्मीर की वादियों में मिलने वानी चीजों केसर, काजू-बादाम इत्यादि में इंसानी शरीर को दिल की बीमारियों और अन्य कई शारीरिक कमजोरियों से लड़ने की ताकत देने की क्षमता होती है और इसलिये ही ये चीजें दुनियाभर में इतनी मशहूर हैं।

साहिल बताते हैं कि इस घटना के बाद उनके दिल में ख्याल आया कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे पूरे देश के लोगों तक इन प्राकृतिक चीजों को आसानी से पहुंचाया जा सके। साथ ही साहिल कहते हैं कि इस काम के द्वारा उन्हें लोगों के मन में वादियों को लेकर बनी आतंकवाद की मनोदशा को बदलने का भी एक मौका दिखा।

साहिल ने जब इस प्राकृतिक खजाने को दुनिया तक पहुंचाने की ठानी तब उन्होंने उपनी जीवनसंगिनी से इस बारे में सलाह ली जिन्होंने उनकी इस योजना को साकार करने में उनका पूरा साथ दिया। लेकिन साहिल बताते हैं कि चूंकि उनका परिवार परंपरावादी है इसलिये उन्होंने अपने माता-पिता को इस काम के बारे में भनक भी नहीं लगने दी वर्ना वे लोग उन्हें कभी यह काम नहीं करने देते।

काम की प्रारंभिक चुनौतियों का जिक्र करते हुए साहिल बताते हें कि लगभग एक साल तक वे और उनकी पत्नी रजनी देश के विभिन्न शहरों में घूमे और बाजारों में जाकर दुकानदारों को वादियों में मिलने वाले इस प्राकृतिक खजाने के बारे में समझाने का प्रयास किया। साहिल कहते हैं कि उन्हें सबसे ज्यादा हैरानी यह देखकर हुई कि अधिकतर लोगों को केसर की पंखुरी और अखरोट के फल के बारे में बहुत अधिक जानकारी ही नहीं थी। साहिल आगे जोड़ते हैं कि लोगों को जागरुक करने के लिये उन्हें अपने साथ हर समय इन चीजों को लेकर चलना पड़ता था जिससे वे लोगों के दिखा सकें कि असल में दिखती कैसी हैं।

अपनी सफलता की कहानी सुनाते हुए साहिल आगे जोड़ते हैं कि वर्ष 2011 के लगभग के समय में जब भारत में इंटरनेट के द्वारा खरीददारी करने वाले लोगों की संख्या बढ़नी शुरू हो रही थी तभी उन्होंने इस ओर कदम उठाया जो सही समय पर उठाया गया कदम साबित हुआ।

धुन के पक्के साहिल ने इसी दौरान ‘‘प्योरमार्ट’’ की नींव रखी और शुरुआत में सिर्फ प्राकृतिक और मिलावट रहित केसर और अखरोट से अपना काम शुरू किया। साहिल कहते है कि चूंकि स्वास्थ्य के लिये ये दोनों चीजें सबसे अच्छी मानी जाती हैं इसलिये इन दो चीजों से शुरुआत की गई और आज की तारीख में वे पूरे देश में कई आॅर्गेनिक चीजों का व्यवसाय सफलतापूर्वक कर करहे हैं। ‘‘नागालैंड से लेकर कन्याकुमारी तक और कोलकाता से अंडमान तक पूरे देश में शायद की कोई ऐसी जगह हो जहां के लोग इनका प्राकृतिक खजाना इस्तेमाल न कर रहे हो। इसके अलावा हमारे पास कनाडा, दुबई, यूके और अन्य कई देशों से भी लगातार आॅर्डर आ रहे हैं।’’

प्योरमार्ट के बारे में बताते हुए साहिल जोड़ते हैं कि वे लोग जो भी सामान ग्राहकों को उपलब्ध करवा रहे हैं वह पूरी तरह से प्राकृतिक है और स्थानीय किसानों द्वारा उगाया जाता है। साहिल आगे जोड़ते हैं कि ,‘‘हमारा लगातार मानना रहा है कि अगर आप अपने ग्राहकों को अच्छा सामान उपलब्ध करवा रहे हो तो आपको कुछ खास करने की जरूरत नहीं है। बस आप अपने ग्राहकों को खुश रखिये वे खुद ही आपके काम को आगे बढ़ाते रहेंगे। अगर आपने एक बार अपने ग्राहक का भरोसा जीत लिया तो वह आपके लिये किसी बोनस से कम नहीं है’’

साहिल गर्व से बताते हैं कि इतने वर्षों में 99 प्रतिशत ग्राहक उनके द्वारा उपलब्ध सामान से संतुष्ट मिले हैं। ‘‘चूंकि अभी हम लोगों तक अपना सामान पहुंचाने के लिये दूसरों पर निर्भर हैं इसलिये कुछ मामलों में उन लोगों की गलतियों का खामियाजा हमें और हमारे ग्राहकों को भुगतना पड़ता है’’

‘‘ग्राहकों के घर तक सामान पहुंचाना और उनसे भुगतान लेना इस काम की सबसे बड़ी चुनौती है।’’ ग्राहकों के दरवाजे तक सामान पहुंचाने में होने वाली दिक्कतों की वजह से कई बार हमारे ग्राहको का भरोसा टूटता है और हम लगातार इस प्रक्रिया को सुधारने की कोशिश में लगे हुए हैं।

‘‘इस परेशानी का हल निकालते हुए हमने बेंगलूर में एक स्टोर खोला है जहां हम बिना किसी अतिरिक्त दर के ग्राहक के धर तक एक दिन में सामान पहुंचाते हैं। आने वाले दिनों में हमारा प्रयास अन्य शहरों में इस तरह के स्टोर खोलने का है,’’ साहिल आगे बताते हैं।

साहिल की कहानी जहां चाह वहां राह को चरितार्थ करती है। इस काम के द्वारा साहिल ने पूरी दुनिया में जम्मू-कश्मीर को लेकर लोगों के मस्तिष्क में बनी आतंकवाद की छवि को बदलने में भी एक बड़ी भूमिका अदा की है।

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