सिर्फ एक झपकी, और ब्रेन को करें फिर से एक्टिव
दिन में केवल एक झपकी न सिर्फ याददाश्त को बढ़ाती है, बल्कि दिमाग को दुरुस्त भी करती है।
शरीर एक मशीन की तरह है, लगातार चलते रहने से उसे एक बार दिन में और एक बार रात में आराम की ज़रूरत होती है। रात का आराम थोड़ा लंबा होता है, लेकिन दिन का आराम छोटा और कारगर होता है। दिन में दिन भर की थकान हो या काम का तनाव, व्यस्त दिनचर्या में यदि थोड़ा-सा समय नैप यानि की अपनी झपकी को दे दिया जाये, तो यकीनन शरीर पहले से ज्यादा एक्टिव महसूस करेगा।
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दिन में सिर्फ एक झपकी न केवल याददाश्त बढ़ाती है, बल्कि आपके दिमाग को भी दुरुस्त करती है। यूनिवर्सिटी अॉफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ता और उनकी टीम ने अपनी रिसर्च में पाया है, कि दोपहर में नैप यानि की झपकी लेने वालों की सीखने की क्षमता में तेज़ी से वृद्धि होती है और दिमाग फ्रेश होकर बेहतर तरीके से काम करता है।
ये सच है कि यदि शरीर लंबे समय से कोई काम कर रहा है और दिमाग को थोड़ी भी देर का आराम नहीं दिया गया है, तो दिमाग सोचने समझने की क्षमता में स्लो होना शुरू कर देता है। लगातार दिन भर जागने वाले कर्मचारियों और छात्रों का मस्तिष्क काम को सुचारू रूप से करने, चीज़ों को याद रखने और किसी भी नई चीज़ को सीखने की क्षमता खोने लगता है। यूनिवर्सिटी अॉफ एरीजोना के मनोविज्ञानिओं की एक टीम ने जब बच्चों पर नैपिंग के प्रभाव का अध्ययन किया, तो उनका नतीजा भी चौंकाने वाला निकला। झपकी लेने वाले शिशु बेहतर लर्नर पाये गये। कुछ सीखने के बाद नींद लेने वाले बच्चे चीज़ों को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम पाये गये और जिन्हें सोने नहीं दिया गया, वे रात आते-आते तक चिड़चिड़े हो गये थे। बच्चों में क्या, ऐसी चीज़ें वयस्कों में भी देखने को मिल जाती हैं। दिन में एक छोटी-सी झपकी भी काम को फ्रेश तरीके से करने में सहायता प्रदान करती है और यदि झपकी न ली जाये, तो एक अजीब तरह की थकान शरीर को घेरे रहती है।
नींद के बाद दिमाग अपने आपको पुनर्व्यवस्थित कर लेता है और ये क्रिया सीखने के लिए बेहद आवश्यक होती है। नींद के दौरान मस्तिष्क स्विच अॉफ नहीं होता। फर्क सिर्फ इतना है, कि जब शरीर जाग रहा होता है, तो अलग तरह से एक्टिव रहता है। वैज्ञानिकों की एक शोध से ये बात सामने आई है, कि मस्तिष्क की मेमोरी पावर सीमित और शॉर्ट टर्म होती है।
कुछ तथ्यों को लॉन्ग टर्म मेमोरी में भेजने और नई जानकारियों के भंडारण के लिए स्पेस बनाने के लिए मस्तिष्क को नींद की ज़रूरत पड़ती है। ऐसे में दिमाग कहीं अधिक एक्टिव और फ्रेश महसूस करता है। एस शोध में करीब 40 लोंगों पर तुलनात्मक अध्ययन किया गया, जिनमें से 20 लोगों ने दोपहर में 90 मिनट की नींद ली और 20 जागे रहे। ऐसा समय-समय पर होने वाली कई तरह की शोधों में सामने आया है। इसलिए ज़रूरी है, कि आप अॉफिस में हों या घर में 20-30 मिनट की एक छोटी नैप ज़रूर ले लें। घर में तकिया है बिस्तर है आराम करने के लिए, लेकिन दफ्तर में ये सहूलियत नहीं, तो क्यों न अपनी डेस्क पर ही गर्दन टिका कर खुद को एक छोटा आराम दे दिया जाये। ऐसा करके शरीर के साथ-साथ ब्रेन को भी आराम मिलेगा। क्योंकि शरीर एक मशीन की तरह है, जिसे दिन में एक छोटे आराम और रात में लंबे आराम की ज़रूरत होती है।
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