चूजे को बचाने के लिए अस्पताल पहुंचने वाले बच्चे को पेटा ने दिया अवॉर्ड
कहा जाता है कि बच्चे भगवान का दूसरा रूप होते हैं। ये बात गलत नहीं हो सकती क्योंकि वाकई बच्चे इस दुनिया के छल-कपट और झूठ-फरेब से कोसों दूर रहते हैं। उन्हें पता होता है तो सिर्फ प्यार और इंसानियत। इसी महीने 5 अप्रैल को मिजोरम में एक छह साल का बच्चा डेरेक उस वक्त न्यूज में आ गया था जब वह एक छोटे से चूजे को बचाने के लिए अस्पताल पहुंच गया था। अब उस बच्चे को जानवरों की भलाई के लिए काम करने वाली सबसे बड़ी संस्था पेटा ने सम्मानित किया है।
मिजोरम से साईरंग में रहने वाला 6 वर्षीय डेरेक लालचनहिमा घर के पास साइकिल चला रहा था। इसी वक्त उसकी छोटी सी साइकिल के सामने मुर्गी का चूजा आ गया। डेरेक ने संभालते हुए चूजे को बचाने की कोशिश की लेकिन साइकिल का पहिया उस पर चढ़ गया। इसके बाद वह उस चूजे को लेकर अपने पिता के पास गया और उनसे उसे अस्पताल पहुंचाने की गुजारिश करने लगा। उसे नहीं पता था कि वह चूजा मर चुका है। पिता ने उसे समझाया लेकिन वो नहीं माना।
डेरेक ने अपने पास रखे दस रुपये निकाले और उस चूजे को लेकर अस्पताल पहुंच गया। वहां उसने डॉक्टर को दस रुपये देकर उस चूजे को ठीक करने के लिए कहा। इसी वक्त अस्पताल में मौजूद एक नर्स ने डेरेक की तस्वीर अपने मोबाइल पर खींच ली। छोटे से बच्चे की मासूमियत देखकर हर कोई दंग रह गया। इस घटना के बाद इंटरनेट पर डेरेक की तस्वीर इस कहानी के साथ वायरल हो गई। उसे स्कूल की तरफ से भी सम्नानित किया गया।
अब पेटा ने डेरेक को कंपैशनेट किड का अवॉर्ड दिया है। यह अवॉर्ड पेटा द्वारा 8 से 12 साल के बच्चों को दिया जाता है। केरल के एक कलाकार ने डेरेक की एक पेंटिंग भी बनाई जिसमें वह ग्लोब पर खड़ा है और उसके एक हाथ में चूजा है तो दूसरे हाथ में पैसे।
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