Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

बलात्कार से पीडि़त होनेे के बाद हिम्मत नहीं हारी और अपने दर्दनाक अनुभवों को सहेजकर दिया एक किताब का रूप

बलात्कार से पीडि़त होनेे के बाद हिम्मत नहीं हारी और अपने दर्दनाक अनुभवों को सहेजकर दिया एक किताब का रूप

Monday November 23, 2015 , 4 min Read

वाईएस टीमहिंदी

पीटीआई

अनुवादकः निशांत गोयल


नौकरी की तलाश में बांग्लादेश से केरल आई एक महिला ने बलात्कार और अत्याचार से पीडि़त होने के बाद की अनकही पीड़ा और भयानक अनुभवों को भगवान की अपनी धरती पर शब्दों और रंगो से भरे एक इंद्रधनुष में पिरोया है। 34 वर्षीय यह महिला जिसे कुछ महीने पहले कोझिकोड़ में जबरन देह व्यापार में धकेल दिया गया था अब अपने उन दर्दनाक दिनों को एक किताब के रूप में सामने लाई है जिसमें कुछ कविताएं, एक लघुकथा और कुछ पेंटिंग्स उसके न भुलाये जाने वाले अनुभवों को सामने लाते हैं।

image


तीन बच्चों की माँ यह 34 वर्षीय ने महिला कुछ महीनों पहले अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य प्रदान करने के लिये एक नौकरी की तलाश में इस दक्षिणी राज्य में कदम रखा था। बदकिस्मती से इस शहर में आने के बाद वह देह व्यापार में लिप्त कुछ व्यक्तियों का शिकार हो गई और फिर उसके साथ बलात्कार हुआ। हालांकि कुछ समय बाद ही वह उनके चंगुल से निकल भागने में सफल रही और एक सरकारी आश्रय स्थल में शरण लेकर रहने लगी।

संयोग से एक दिन इस महिला के द्वारा काजग पर उकेरे गए उसके अनुभव और रेखाचित्र बेसहारा लोगों के लिये काम करने वाले कोझिकोड स्थित एक एनजीओ ‘आर्म आॅफ जाॅय’ के स्वयंसेवकों के हाथ लग गए। ‘‘छरंद म्ददं डनतनअन’’ के शीर्षक से सामने आई 80 पृष्ठों की यह किताब 18 कविताओं, 20 से भी अधिक रेखाचित्रों और साया के छद्म नाम से लिखने वाली इस महिला द्वारा लिखी गई एक कहानी को अपने में समेटे है। यह किताब सेक्स माफिया के साथ हुए उनके भयानक अनुभवों को बेहद मर्मस्पर्शी तरीके से सामने लाने के अलावा उनके कब्जे से उसके छूट निकलने और उसके बाद आश्रय स्थलों में बिताए गए उसके जीवन को दर्शाती है।

‘आर्म आॅफ जाॅय’ से जुड़े अनूप जी ने पीटीआई को बताया कि साया ने सभी कविताएं और लघुकथा अपनी मातृभाषा बंगाली में लिखीं जिन्हें बाद में पहले अंगेजी और फिर मलयालम भाषा में अनुवादित किया गया। अनूप बताते हैं कि उन्होंने एक व्यक्तिगत डायरी में उकेरी गई इन कविताओं और लघुकथा की एक प्रति को पश्चिम बंगाल में रहने वाले अपने एक मित्र को भेजा जिसने इनका अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया। बाद में उन्होंने लघुकथा का अंगेजी से मलयालम में अनुवाद किया जबकि पत्रकार अनुपमा माली ने कविताओं को मलयालम भाषा में अनुवादित किया।

वे कहते हैं, ‘‘हमनें उन्हें और अधिक आत्मविश्वास देने और अधिक लिखने के लिये प्रेरित करने के इरादे से इसे एक किताब का रूप देते हुए दुनिया के सामने लाने का फैसला किया। यह विश्वास करना बहुत मुश्किल है कि मात्र सातवीं कक्षा तक पढ़ी हुई एक महिला अपनी भावनाओं और विचारों को इतने गहन और बेहतरीन तरीके से प्रतिबिंबित कर सकती है।’’

कुछ दिन पूर्व एक सामाजिक कार्यकर्ता अजिथा ने कोझिकोड टाउन हाॅल में मशहूर कलमकार एमएन कारासेरी को किताब की एक प्रति देकर इसका विमोचन किया। इसके अलावा साया के द्वारा तैयार किये गए रेखाचित्रों की एक प्रदर्शनी भी केरल ललितकला अकादमी की आर्ट गैलरी में आयोजित की गई। स्थानीय पुलिस के मुताबिक यह महिला एरनहीपालम के एक फ्लेट से सेक्स रेकेट संचालकों के चंगुल से भाग निकलने में सफल रही और इसके बाद कुछ स्थानीय लोग 28 मई को उसे लेकर नाडाक्कावु पुलिस स्टेशन पहुंचे।

इसके बाद उसके अनुरोध करने पर पुलिस ने उसे आश्रय स्थल में भिजवाने की व्यवस्था की। कुछ दिनों के बाद ही उसकी निशानदेही पर एक महीला सहित 6 लोगों को यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार किया गया। कुछ समय पूर्व आश्रय स्थल पर रहने के दौरान ही साया ने फर्श की साफ-सफाई में प्रयोग आने वाला घोल पीकर अपनी जान देने का असफल प्रयास भी किया था। अब यह महिला बेकाीरी से अपने अपने वतन और अपने बच्चों के पास वापस लौटने का इंतजार कर रही है जिन्हें उसने इस किताब को समर्पित किया है।