भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत स्टार्ट-अप्स की कुल संख्या 189: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने घरेलू उद्योगों के पर्याप्त योगदान के साथ, पिछले 5 वर्षों में कई नई ऊंचाइयों को छुआ है, जिससे अंतरिक्ष गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ है.
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
- भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 भारत सरकार द्वारा जारी की गई है, जहां समग्र भारतीय अंतरिक्ष इकोसिस्टम में योगदान देने वाले सभी हितधारकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां परिभाषित की गई हैं.
- निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और उसका समर्थन करने के लिए IN-SPACe द्वारा विभिन्न योजनाएं अर्थात सीड फंडिंग योजना, मूल्य निर्धारण समर्थन नीति, मेंटरशिप समर्थन, NGEs के लिए डिजाइन लैब, अंतरिक्ष क्षेत्र में कौशल विकास, इसरो सुविधा उपयोग समर्थन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर संभावित व्यावसायिक अवसरों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उद्योगों के साथ एनजीई और लगातार बैठक / गोलमेज सम्मेलन घोषित और कार्यान्वित की गईं.
- IN-SPACe ने ऐसे गैर-सरकारी संगठनों द्वारा परिकल्पित अंतरिक्ष प्रणालियों और अनुप्रयोगों की प्राप्ति के उद्देश्य से आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए गैर-सरकारी संस्थाओं के साथ लगभग 51 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे लॉन्च वाहनों और उपग्रहों के निर्माण में उद्योग की भागीदारी बढ़ने की संभावना है.
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत स्टार्ट-अप्स की कुल संख्या लगभग 189 है.
फिलहाल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की गहन अंतर्किश में खोज (डीप स्पेस प्रोब) की कोई योजना नहीं है. हालाँकि, उन्नत अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की निरंतरता, चंद्रमा और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए आगे के अनुवर्ती मिशन.के लिए अवधारणा अध्ययन चल रहे हैं.
अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में "मेक इन इंडिया" पहल अंतरिक्ष क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण, नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण है. अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों क्षेत्रों को पूरा करती है.
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने घरेलू उद्योगों के पर्याप्त योगदान के साथ, पिछले 5 वर्षों में कई नई ऊंचाइयों को छुआ है, जिससे अंतरिक्ष गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ है. प्रमुख उपलब्धियों में एलवीएम 3 और पीएसएलवी के वाणिज्यिक प्रक्षेपण, एसएसएलवी का विकास, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, नेविगेशन उपग्रह, चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग और घूमना, सूर्य का अध्ययन करने का मिशन (आदित्य-एल 1) और मानव अंतरिक्ष उड़ान के प्रदर्शन की दिशा में प्रमुख प्रगति शामिल हैं.
मेक इन इंडिया पहल और उसके परिणाम की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- अंतरिक्ष हार्डवेयर का घरेलू विनिर्माण: महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी और औद्योगिक इकोसिस्टम को क्रमशः इसरो के साथ-साथ IN-SPACe के माध्यम से विकसित किया जा रहा है.
- भारतीय गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अंतरिक्ष प्रणाली और उपग्रह निर्माण सुविधाएं स्थापित की जा रही हैं.
- लॉन्च व्हीकल सिस्टम की प्राप्ति सुविधाएं एनजीईएस द्वारा स्थापित की जा रही हैं.