अपने ड्रोन से 14 साल के लड़के ने सरकार के साथ की 5 करोड़ की डील
हाईस्कूल के छात्र हर्षवर्धन ने सिर्फ एक साल में तकनीक की मदद से ऐसा ड्रोन बनाया है, जिससे युद्ध के मैदान में जमीन में दुश्मनों द्वारा बिछाई गई लैंडमाइंस का पता आसानी से लगाया जा सकेगा।
लैंड माइंस को ड्रोन के जरिए ही डीएक्टिवेट भी किया जा सकेगा। इस साल जनवरी में हुई ग्लोबल समिट 2017 में इस प्रॉजेक्ट के लिए गुजरात सरकार ने हर्षवर्धन के साथ 5 करोड़ का करार किया है।
हर्षवर्धन ने बताया कि उन्हें टीवी में युद्ध की कहानी देखकर ऐसा ड्रोन विकसित करने का आइडिया आया।
कभी-कभी कम उम्र के बच्चे भी ऐसा कारनामा कर बैठते हैं, कि लोग हतप्रभ रह जाते हैं। ऐसा ही एक कारनामा किया है, 14 साल के हर्षवर्धन जाला ने। हर्षवर्धन ने तकनीक के क्षेत्र में वो कमाल कर दिखाया है जो किसी वैज्ञानिक के आविष्कार से कम नहीं। हाईस्कूल के छात्र हर्षवर्धन ने सिर्फ एक साल में तकनीक की मदद से ऐसा ड्रोन बनाया है, जिससे युद्ध के मैदान में जमीन में दुश्मनों द्वारा बिछाई गई लैंडमाइंस का पता आसानी से लगाया जा सकेगा। इतना ही नहीं उस लैंड माइंस को ड्रोन के जरिए ही डीएक्टिवेट भी किया जा सकेगा। इस साल जनवरी में हुई ग्लोबल समिट 2017 में इस प्रॉजेक्ट के लिए गुजरात सरकार ने हर्षवर्धन के साथ 5 करोड़ का करार किया है।
गुजरात के साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने हर्षवर्धन के इस ड्रोन से प्रभावित होकर 5 करोड़ की डील की है। इस ड्रोन से युद्ध क्षेत्र में लैंडमाइंस का पता लगाकर उसे डिफ्यूज किया जा सकेगा। हर्षवर्धन ने बताया कि उन्हें टीवी में युद्ध की कहानी देखकर ऐसा ड्रोन विकसित करने का आइडिया आया। उन्होंने कहा, 'किसी भी युद्ध में सबसे ज्यादा सैनिकों की जान लैंडमाइंस की वजह से ही खतरे में रहती है। इसलिए ऐसी कोई मशीन विकसित करना जरूरी है जो लैंडमाइन का पता लगाकर उसे डिफ्यूज कर सके।' 10वीं में पढ़ने वाले हर्षवर्धन के दोस्त जहां बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर रहे थे वहीं हर्षवर्धन अपने बिजनेस की प्लानिंग कर रहे थे।
सिर्फ 2 प्रोटोटाइप्स की कीमत 2 लाख रुपये है। खास बात यह है कि इस ड्रोन को बनाने का पैसा उनके पैरेंट्स से ही मिला।
हर्षवर्धन ने सबसे पहले एक लैंडमाइन डिटेक्टर रोबोट बनाया, लेकिन बाद में उन्हें लगा कि यह काफी भारी है। रोबोट बनाने के बाद उन्होंने सोचा कि लैंडमाइंस इतनी शक्तिशाली होती हैं कि वनह रोबोट को भी पल भर में तहस-नहस कर देंगी। क्योंकि लैंडमाइन के ऊपर जरा सा भी भार पड़ने पर वह ब्लास्ट हो जाती है। इसके बाद उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसा विकसित किया जाए जिससे लैंडमाइंस पर भार भी न पड़े और उसका पता भी लगाया जा सके। फिर हर्षवर्धन ने ड्रोन बनाने के बारे में सोचा क्योंकि यह हवा में रहकर ही माइंस का पता लगा सकता था।
हर्षवर्धन ने ड्रोन बनाने का काम उन्होंने 2016 में शुरु कर दिया था। अभी भी वह अपने इस प्रॉजेक्ट पर लगे हुए हैं और उन्होंने इसके तीन प्रोटोटाइप्स भी तैयार कर लिए हैं। इसकी कीमत अभी सिर्फ 5 लाख है। सिर्फ 2 प्रोटोटाइप्स की कीमत 2 लाख रुपये है। खास बात यह है कि इस ड्रोन को बनाने का पैसा उनके पैरेंट्स से ही मिला। हालांकि तीसरा ड्रोन जिसको बनाने में लगभग 3 लाख का खर्च आया उसे राज्य सरकार द्वारा मिले फंड से बनाया गया है। अपने आइडिया के बारे में विस्तार से बताते हुए हर्षवर्धन ने कहा, 'ड्रोन में इंफ्रारेड, थर्मल मीटर और आरजीबी सेंसर लगा हुआ है। साथ ही मकैनिकल शटर के साथ 21 मेगापिक्सल का कैमरा भी है। जिससे हाई रिजॉल्यूशन की पिक्चर्स भी आसानी से क्लिक की जा सकती है।'
ड्रोन में 50 ग्राम का बम भी फिट किया गया है जिसकी मदद से लैंडमाइन को पल भर में ध्वस्त किया जा सकता है। जमीन की सतह से दो फीट ऊपर उड़ने पर आठ स्क्वॉयर मीटर के क्षेत्र में प्लांट की गई लैंडमाइंस का पता इस ड्रोन के जरिए लगाया जा सकेगा। एक बार लैंडमाइंस का पता लग गया तो यह बेस स्टेशन पर तुरंत इन्फॉरमेशन भी भेज देगा। हर्षवर्धन ने अपने इस अविष्कार का एक पेटेंट भी करवा लिया है। उन्होंने अपनी कंपनी भी बना ली है जिसका नाम एयरोबोटिक्स है। उनके पिता अकाउंटेंट हैं और मां घर का कामकाज संभालती हैं।
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