हर हफ़्ते 5 नए डिज़ाइन्स लॉन्च कर अपने ग्राहकों को लुभाता है यह फ़ैशन ब्रैंड
आप भी हैं फ़ैशन और लाइफ़स्टाइल ट्रेंड्स में रुचि रखने वाले, तो जानें 'ज़िंक लंदन' के बारे में...
ज़िंक लंदन की को-फ़ाउंडर मालिनी सिंघल अपने ब्रैंड का टर्नओवर 1 हज़ार करोड़ रुपए तक पहुंचाना चाहती हैं। ज़िंक लंदन ब्रैंड के डिज़ाइन्स मिलान और लंदन के फ़ैशन कल्चर से काफ़ी प्रभावित हैं। ब्रैंड चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका से फ़ैब्रिक मंगवाता है और फिर इन्हीं पर डिज़ाइन्स तैयार करवाए जाते हैं।
मालिनी बताती हैं कि उन्होंने लोकप्रिय फ़ैशन ब्रैंड 'ज़ारा' से प्रभावित होकर अपना ब्रैंड लेबल लॉन्च करने के बारे में सोचा था। ज़िंक लंदन के को-फ़ाउंडर्स मालिनी, विवेक गोयल और नितिन सिंघल को महसूस हुआ कि भारतीय बाज़ार में विदेशी डिज़ाइन्स की बड़ी तंगी थी।
फ़ैशन और लाइफ़स्टाइल ट्रेंड्स में रुचि रखने वाले हर शख़्स को 'ज़िंक लंदन' का नाम तो पता ही होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महज़ 6 साल पहले शुरू हुए इस स्टार्टअप ने विदेशी डिज़ाइन्स और ट्रेंड्स के माध्यम से भारतीय बाज़ार में अपना ख़ास मुकाम कैसे बनाया? आज हम आपको ज़िंक लंदन की को-फ़ाउंडर और इस ब्रैंड की अवधारणा की प्रमुख सूत्रधार मालिनी सिंघल के बारे में बताने जा रहे हैं।
ज़िंक लंदन की को-फ़ाउंडर मालिनी सिंघल अपने ब्रैंड का टर्नओवर 1 हज़ार करोड़ रुपए तक पहुंचाना चाहती हैं। ज़िंक लंदन ब्रैंड के डिज़ाइन्स मिलान और लंदन के फ़ैशन कल्चर से काफ़ी प्रभावित हैं। ब्रैंड चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका से फ़ैब्रिक मंगवाता है और फिर इन्हीं पर डिज़ाइन्स तैयार करवाए जाते हैं। ज़िंक लंदन भी ज़्यादातर उन्हीं जगहों से फ़ैब्रिक सोर्स करता है, जहां से अधिकतर बड़े ब्रिटिश ब्रैंड्स अपने डिज़ाइन्स के लिए फ़ैब्रिक मंगवाते हैं।
मालिनी बताती हैं कि उन्होंने लोकप्रिय फ़ैशन ब्रैंड 'ज़ारा' से प्रभावित होकर अपना ब्रैंड लेबल लॉन्च करने के बारे में सोचा था। ज़िंक लंदन के को-फ़ाउंडर्स मालिनी, विवेक गोयल और नितिन सिंघल को महसूस हुआ कि भारतीय बाज़ार में विदेशी डिज़ाइन्स की बड़ी तंगी थी। मालिनी लंदन में रहती थीं और वह अक्सर देखा करती थीं कि भारतीय लोग ब्रिटिश ब्रैंड्स के स्टोर्स से कपड़े ख़रीदा करते थे, क्योंकि उनके देश में ऐसे डिज़ाइनर कपड़ों की काफ़ी कमी थी।
मालिनी पहले ही से ऑन्त्रप्रन्योर थीं और ज़िंक की शुरूआत से पहले लेदर बिज़नेस का अनुभव ले चुकी थीं। अपने पुराने ब्रैंड के अंतर्गत वह यूरोपियन मार्केट के लिए हैंडबैग्स और वॉलेट्स का बिज़नेस करती थीं। जब मालिनी और विवेक ने ज़िंक लंदन लॉन्च करने के बारे में सोचा, तब उनके तीसरे साथी नितिन ने आर्थिक निवेश के माध्यम से उनका सहयोग किया।
मालिना का कहना है कि लंदन में पर्याप्त समय बिताने के बाद वह ऐसा मानती हैं कि धीरे-धीरे भारतीय महिलाएं भी आरामदायक पहनावे की ओर आकर्षित हो रही हैं और ऐसे ही डिज़ाइन्स को प्राथमिकता दे रही हैं। मालिनी ने तय किया कि वह भारत वापस आकर कोलकाता से अपने ब्रैंड की शुरूआत करेंगी और नियमित तौर पर लंदन भी आती-जाती रहेंगी। साथ ही, उन्होंने क़ीमत के फ़ैक्टर को भी ख़ासतौर पर ध्यान में रखा ताकि भारतीय ऑडियंस के लिए कपड़े उनके बजट से बाहर न हो जाएं।
भारत में दो स्टोर्स के साथ ज़िंक लंदन की शुरूआत की गई। 2012 में लॉन्च हुआ ब्रैंड का पहला कलेक्शन हाथों-हाथ बिक गया और उसके बाद से कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मालिनी ने एक ख़ास तथ्य पर ज़ोर देते हुए बताया कि उनकी एक विशेष मार्केटिंग स्ट्रैटजी है, जिसके तहत ब्रैंड हर हफ़्ते पांच नए डिज़ाइन्स लॉन्च करता है और वह मानती हैं कि यही वजह है कि पिछले 6 सालों से उनका ब्रैंड लगातार आगे बढ़ता जा रहा है।
टारगेट कस्टमर्स के बारे में जानकारी देते हुए मालिनी ने बताया कि उनका ब्रैंड मुख्य रूप से 25-30 साल के लोगों को आकर्षित करने की कोशिश करता है। मालिनी मानती हैं कि उनके ग्राहक कंपनी के इनोवेटिव डिज़ाइन्स को हमेशा ही सराहते आए हैं। मालिनी ने बताया कि शुरूआती सफलता के बाद कोर टीम ने बाक़ी दोस्तों से भी फ़ंडिंग जुटाई, जिनमें अजय और रुचि गुप्ता, सकाते और प्रतिभा खैतान शामिल थे। ये सभी लंदन की ऑन्त्रप्रन्योर कम्युनिटी के जाने-पहचाने नाम हैं। इसके बाद ब्रैंड को क्रिस मैथियस और अनुराग दीक्षित के माध्यम से भी फ़ंडिंग मिली। ये दोनों ही पूरी दुनिया के सबसे सफल इंटरनेट ऑन्त्रप्रन्योर्स में शुमार होते हैं। 2017 में ज़िंक लंदन को बनयान ट्रीन ग्रोथ कैपिटल IIइन्स्टीट्यूशनल प्राइवेट इक्विटी फ़ंडिंग मिली, जिसकी मदद से कंपनी को आगे बढ़ने में काफ़ी मदद मिली।
फ़िलहाल ज़िंक लंदन भारत के 75 शहरों में मौजूद है। ज़िंक लंदन, पैन्टलून्स, शॉपर्स स्टॉप और सेंट्रल जैसे मल्टी ब्रैंड स्टोर्स पर भी उपलब्ध है। साथ ही, ब्रैंड सभी बड़े ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स के ज़रिए भी बिज़नेस करता है। करीबन डेढ़ साल पहले कंपनी के सामने आई अभी तक की सबसे बड़ी चुनौती का ज़िक्र करते हुए मालिनी ने बताया कि अचानक ब्रैंड की सेल्स काफ़ी गिरने लगी और कंपनी का कैश बैलेंस ज़ीरो हो गया। मालिनी बताती हैं कि इस झटके से उनकी टीम को इस बात का अनुभव मिला कि तेज़ी से सफलता और बड़े ऑडियंस तक बढ़ते हुए कैश बैलेंस को कैसे व्यवस्थित किया जाता है। मालिनी का मानना है कि वह एक बेहद अच्छी ऑन्त्रप्रन्योर हैं और इसकी वजह यह है कि वह कभी भी हार नहीं मानतीं। मालिनी का सपना है कि वह ज़िंक लंदन को एक बिलियन डॉलर ब्रैंड बनाएं।
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