'ऑनलाइन फैशन को सफलता के लिए सिर्फ स्टाइल की नहीं, टेक की भी जरूरत'
कोई भी लाइफस्टाइल प्रॉडक्ट बना सकता है, लेकिन दाम और क्वॉलिटी ऐसी चीजें होती हैं जहां से हमारा कोई भी प्रॉडक्ट खास बनता है। फैशन इंडस्ट्री के बारे में टेकस्पार्क्स में श्रद्धा शर्मा के साथ इंटीरियर डिजाइनर सुजैन खान और द लेबल की सीईओ प्रीता।
आज फैशन इंडस्ट्री हर रोज नई तरक्की के साथ आगे बढ़ रही है ऐसे में किसी के लिए भी टॉप पोजिशन हासिल करना एक चुनौती है।
प्रीता ने बताया कि वे एक आम महाराष्ट्रियन फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। जब उन्होंने काम करना शुरू किया था तो उनकी सैलरी महज तीन हजार रुपये थी।
योरस्टोरी के सालाना स्टार्टअप कॉन्फ्रेंस टेकस्पार्क्स के आठवें संस्करण में योरस्टोरी की फाउंडर श्रद्धा शर्मा के साथ बातचीत में द लेबल लाइफ की फाउंडर प्रीता सुख्तांकर और स्टाइल एडिटर सुजैन खान ने भारत में प्राइवेट लेबल बनाने के चैलेंजेस के बारे में बात की। फाइनैंस और टेक्नॉलजी सेशन के बाद सेलिब्रिटी इंटीरियर डिजाइनर सुजैन खान और स्टाइलिस्ट सुख्तांकर ने टेकीप्रिन्योर और फैशन बिजनेस के लोगों को कई सारी बातें बताते हुए टेकस्पार्क्स के स्टेज पर रोशनी बिखेर दी। दोनों महिलाओं ने बताया कि कैसे उन्होंने न केवल टेक्नॉलजी स्टार्टअप के समुंदर में सर्वाइव किया बल्कि उसे पार भी किया। मुंबई बेस्ड स्टार्टअप और ई-कॉमर्स लाइफस्टाइल ब्रांड, द लेबल लाइफ खासतौर पर क्लॉथइंग, एक्ससरीज और होम डिकॉर प्रोडक्ट्स पर काम करता है।
कई सारे राउंड की फंडिंग के बाद द लेबल लाइफ ने तीन नए ब्रैंड्स लॉन्च किए हैं- इनमें होम डिकॉर कैटिगरी होम लेबल भी है जिसे इंटीरियर डिजाइनर सुजैन खान हेड करती हैं। वहीं क्लॉथिंग कैटिगरी का क्लोजेस्ट लेबल बॉलिवुड ऐक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा खान हेड करती हैं वहीं एक्ससरीज कैटिगरी, द ट्रंक लेबल को बिपासा बसु द्वारा हेड किया जाता है। फैशन ब्रांड की भरमार वाले दौर में यह जानना काफी दिलचस्प है कि कैसे द लेबल लाइफ ने खुद के लिए एक जमीन तैयार की है। प्रीता ने बताया कि कस्टमर वक्त के साथ स्मार्ट होते जा रहे हैं, इसलिए हम ब्रैंड के साथ लाइफस्टाइल वाी अप्रोच अपना रहे हैं।
प्रीता ने कहा कि हमारा अप्रोच था कि लाइफस्टाइल की तीन शख्सियतों को एक साथ लाया जाए और उन्हें अपने ब्रैंड के साथ जोड़ा भी जाए। वे हमारी सहयोगी से कहीं ज्यादा हमारी पार्टनर हैं। वहीं सुजैन ने प्राइस, क्वॉलिटी और डिजाइन पर जोर देते हैुए कहा, 'कोई भी लाइफस्टाइल प्रॉडक्ट बना सकता है, लेकिन दाम और क्वॉलिटी ऐसी चीजें होती हैं जहां से हमारा कोई भी प्रॉडक्ट खास बनता है। हम अपने ग्राहकों को अच्छी क्वॉलिटी का प्रॉडक्ट डिलिवर करने पर जोर देते हैं।' श्रद्धा शर्मा ने एक सवाल किया कि कैसे कोई उद्यमी अपने स्टार्टअप में किसी सेलिब्रिटी को पार्टनर बना सकता है तो प्रीता ने काहा कि उस फील्ड का जो विशेषज्ञ होता है उन्हीं सेलिब्रिटीज को अपना ब्रैंड पार्टनर बनाना चाहिए।
प्रीता ने बताया कि वे एक आम महाराष्ट्रियन फैमिली से ताल्लुक रखती हैं। जब उन्होंने काम करना शुरू किया था तो उनकी सैलरी महज तीन हजार रुपये थी। उन्होंने कई पॉप्युलर ब्रैंड्स जैसे, एले, एमटीवी, एलऑफिशियल के साथ 17 अलग-अलग पोजिशंस पर काम किया। इसमें स्टाइलिंग से लेकर सेल्स और मार्केटिंग के काम भी शामिल थे। इससे उन्हें ग्लैमर इंडस्ट्री के लोगों से नेटवर्क बनाने में मदद मिली। आज का मार्केट ऐसा है कि लोग फैशन प्रॉडक्ट्स के लिए सीधे ई-कॉमर्स साइट्स पर जाना पसंद करते हैं। ऐसे में किसी के लिए प्राइवेट लेबल्स क्रिएट करना काफी मुश्किल होता है। इस पर प्रीता और सुजैन ने कहा कि कठिन मेहनत और साथ में काम करके किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
आज फैशन इंडस्ट्री हर रोज नई तरक्की के साथ आगे बढ़ रही है ऐसे में किसी के लिए भी टॉप पोजिशन हासलि करना एक चुनौती है। प्रीता बताती हैं कि, हम काफी सारा रिसर्च करते हैं और कलर्स, ट्रेंड से लेकर फैब्रिक तक की सारी जानकारी सामने निकालकर लाते हैं। इससे ये पता चलता है कि भारत के लोग आखिर किस तरह की चीज चाहते हैं। प्रीता इंटरनेशनल ट्रेंड को दिमाग में रखकर काम करती हैं। सुजैन ने इस पर कहा कि वह फैशन को एक लग्जरी की तरह ट्रीट करती हैं। हालांकि प्रीता से कुछ गलतियां भी हुईं थीं जैसे उन्होंने अपने प्रॉडक्ट पर तो अच्छा-खासा ध्यान दिया, लेकिन मार्केटिंग पर ज्यादा मेहनत न करने की वजह से उन्हें अपेक्षाकृत सही परिणाम नहीं मिले।
सुजैन कहती हैं कि इसीलिए हर किसी को सौम्य रहना चाहिए। अतिआत्मविश्वास से कोई भी प्रॉडक्ट या आइडिया विफल हो सकता है। वह अभी कुछ स्टार्टअप्स में भी निवेश करने के बारे में सोच रही हैं। यह कंपनी अभी यूजेबल पैकिंग का इस्तेमाल कर रही है। आने वाले समय में ये मेकअप इंडस्ट्री में भी हाथ आजमाने के बारे में सोच रहे हैं। कंपनी के पास फंडिंग भी खत्म होने को है इसीलिए वे अब फंडिंग के नए सोर्स तलाश रहे हैं।
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