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भाषा ही हमारी पहचान, हम इसे मिटने नहीं देंगे-श्रद्धा शर्मा

भाषा ही हमारी पहचान, हम इसे मिटने नहीं देंगे-श्रद्धा शर्मा

Friday March 11, 2016 , 3 min Read



भाषा असल में हमारा संस्कार है। भाषा हमारी तहजीब है। भाषा हमारी जिंदगी है। 

योरस्टोरी के तहत शुरु किए गए कार्यक्रम भाषा के शुरुआती कार्यक्रम में बात करते हुए योर स्टोरी की संस्थापिका और एडिटर इन चीफ श्रद्धा शर्मा ने कहा कि दरअसल भाषा महोत्सव करने के पीछे एक अहम कारण है। चूंकि योर स्टोरी अब 12 अलग-अलग भाषाओं में प्रेरणादायक कहानियां आपके सामने रखता है इसलिए भाषा महोत्सव की सख्त जरूरत है। लोग अपनी बात अपनी भाषा में करें तभी देश का विकास होगा। श्रद्धा शर्मा ने इस सिलसिले में अपने बचपन की एक घटना से रु-ब-रू कराया। 


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श्रद्धा ने कहा, 

“मेरी मां चाहती थी कि उनके बच्चे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ें। अच्छी अंग्रेजी बोले। इसलिए हम बच्चों का एडमिशन अंग्रेजी स्कूल में कराया गया। जब पहली बार पैरेंट टीचर्स मीटिंग की बारी आई तो मेरी मां आईं। मां चूंकि अंग्रेजी नहीं बोल पाती थीं इसलिए टीचर के सामने मुझे खराब लगे लगा। मैंने मां की जगह ले ली और मैं उनकी तरफ से बोलने लगी। चूंकि मैं अंग्रेजी बोल पा रही थी इसलिए मैंने किसी तरह उस दिन को संभाल लिया। जब मैं दसवीं क्लास में थी तो मां फिर से आईं। मैंने फिर से मां की जगह लेने की कोशिश की। लेकिन इस बार मां ने मुझे डांटा। उन्होंने कहा कि तुम अंग्रेजी बोलो पर मुझे हिन्दी बोलने में कोई शर्म नहीं। बच्चों को अच्छी पढ़ाई करने की ज़रूरत है मुझे हिन्दी में ही बात करने दो।”

कहने का मतलब है कि ज़रूरी नहीं कि जो अंग्रेजी बोलते हैं वही सबसे अच्छे हैं। जो हिन्दी बोलते हैं उनको शर्म करने की बात नहीं है। जो जिस भाषा में बात करता है, वही उसकी खूबसूरती है। हर किसी की भाषा उसके लिए अहम है। कोई भी भाषा किसी से कम नहीं होती। श्रद्धा शर्मा ने बताया कि जब वो दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ने के लिए आईं तो उन्हें इस बात की चिंता होने लगी कि यहां उनके जैसे बहुत हैं। उन्होंने बताया, 

“जब मैं किसी से बात करती तो हम शब्द का इस्तेमाल करती मैं की जगह। हम का इस्तेमाल करते ही दिल्ली के लोग हंसने लगते। वाकई ‘हम’ में बहुत शक्ति है। हम हैं तो योर स्टोरी है। हम हैं तो देश है। हम हैं तो दुनिया है। मैं में तो सबकुछ बिखर जाता है। इसलिए हम हैं तभी विकास हो सकता है।”


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एक और जरूरी बात, किसी भी भाषा के किसी भी शब्द के बदले दूसरे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता। जिस शब्द का जो मतलब अंग्रेजी में है उसका रिप्लेसमेंट हिन्दी में नही हो सकता है और हिन्दी के किसी शब्द का अंग्रेजी का शब्द नहीं बदल सकता। कहने का मतलब है कि हर भाषा की अपनी अहमियत है। श्रद्धा शर्मा ने कहा, 

“किसी भाषा की किसी दूसरी भाषा से तुलना नहीं की जा सकती। इसलिए हर भाषा की अपनी अहमियत है। और हमें इसकी इज्जत करनी है।”