पानी पूरी को मिला ब्रांड, ‘गपागप’ पूरी करता है हर डिमांड
बिग बाजार में हैं इनके स्टॉलकई तरह की पानी पूरी बनाने में महारतचाट खाने के शौकीन लोगों की खास जगहगपागप ब्रांड के तहत 80 तरह की भेल, 27 तरह की चाट, पोहा और दूसरी चीजें उपलब्धइस काम को नाम दिया है चटर पटरचटर पटर के नाम से 112 अलग अलग तरह की पानी पूरी बेची जाती है
बाहर जाकर चटपटा खाना किसे अच्छा नहीं लगता, लोग ऐसे खाने के शौकीन रहे हैं लेकिन कभी भी ये ब्रांड नहीं बन सका। इंफोसिस में काम करने वाले प्रशांत कुलकर्णी ने जब एक दिन सड़क किनारे पानी पूरी खाई तो फूड पॉइज़निंग के कारण वो बीमार हो गये। इस वजह से 4 महिनों तक वो अपने मनपसंद चटपटे खाने से दूर रहे। उन्होने इस घटना को प्रेरणा के तौर पर लिया और वो पानी पूरी के बारे में जानकारी जुटाने में जुट गये। तब उनको पता चला कि इस उत्पाद का कोई ब्रांड ही नहीं है। इसके बाद प्रशांत ने देश का पहला पानी पूरी ब्रांड ‘गपागप’ शुरू किया।
प्रशांत कुलकर्णी को नौकरी के शुरूआती दिनों में ही लग गया था कि ये उनके बस का काम नहीं है और अक्टूबर, 2011 में उन्होने नौकरी छोड़ अपना अलग संसार बना लिया। उद्यमशीलता पर विश्वास करने वाले प्रशांत को अपना मिलियन डॉलर वाला आइडिया एक बुरे तजुर्बे से मिला। आज उनकी टीम के अलावा आरती और पल्लवी कुलकर्णी भी हैं। ये सभी गपागप ब्रांड के तहत तैयार होने वाले 80 तरह की भेल, 27 तरह की चाट, पोहा और दूसरी चीजों के काम को देखते हैं। उन्होने अपने इस काम को नाम दिया है चटर पटर। चटर पटर के नाम से 112 अलग अलग तरह की पानी पूरी बेची जाती है। इसके अलावा फ्रेंच फ्राइज, चाट पिज्जा, इडली फ्राइज, इडली चाट और खाखरा चाट भी ये लोग चटर पटर के नाम से बेचते हैं।
चटर पटर की शुरूआत बड़ी तेजी से हुई। इसका बिग बाजार के साथ एक समझौता है जिनके हर स्टोर में इनका भी एक स्टॉल होता है। फिलहाल इनकी पहुंच महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में हैं। हाल ही में चटर पटर का एक आउटलेट अहमदाबाद में खुला है। हालांकि ये इतना आसान भी नहीं है। प्रशांत कई समस्याओं से जूझते हैं जैसे लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन। जिसके जरिये ये अपने समान जैसे पानी पूरी का मसाला, भेल के लिये मसाले को इंदौर से दूसरी जगह भेज सकें। हालांकि इन्होने कई लोगों के साथ मिलकर विकल्प ढूंढने की कोशिश की लेकिन इनको सही साथी नहीं मिला जो इनकी जरूरतों को पूरा कर सके और जो इनके बजट मुताबिक काम कर सके।
प्रशांत चाहते हैं कि चटर पटर को वो अंतराराष्ट्रीय ब्रांड बनाये। भारतीय बाजार में हलचल मचाने के बाद उनकी योजना विदेश में भी अपना काम फैलाने की है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया और लंदन से इस काम लेकर कई तरह की पूछताछ हुई है लेकिन उन्होने फिलहाल इस योजना को थाम कर रखा है। वो चाहते हैं कि इस क्षेत्र में विदेश में जाने से पहले देश में मजबूती से अपने पैर जमा लें। प्रशांत का ये सपना बेबुनियाद भी नहीं है, क्योंकि देश में क्विक सर्विस रेस्टोरेंट तेजी से बढ़ रहा है। साल 2011 में ही क्विक सर्विस रेस्टोरेंट उद्योग करीब 1.36 बिलियन डॉलर का था जो हर साल 35 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक ये बाजार 4.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि लोगों के रहन सहन में बदलाव आया है और उनमें खर्च करने की ताकत पहले के मुकाबले बढ़ी है। प्रशांत एक कारोबारी परिवार से आते हैं उनका परिवार का कारोबार ऑटोमोबाइल के लिए ट्यूब बनाने का है। एमबीए करने के बाद प्रशांत ने चटर पटर शुरू करने का फैसला लिया था। उनके साथ जुड़े लोग बताते हैं कि प्रशांत में दूसरों से अलग हट कर सोचने की ताकत है।