गरीबी और मुश्किल भरी जिंदगी के बीच कानपुर के इस युवा ने बनाई 'सुपरबाइक'
लकड़ी काटने की मशीन पर मैकेनिक का काम करने वाले पिता के बेटे ने बनाई ऐसी बाइक जो पेट्रोल के साथ-साथ बैट्री से भी चलती है...
कानपुर के कल्याणपुर इलाके में बारा सिरोही में रहने वाले वीरेंद्र शुक्ला ने आर्थिक मुश्किलों के बीच नई तकनीक पर काम करने का फैसला किया। वीरेंद्र ने इस बाइक को आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं को दिखाई तो उन्होंने भी वीरेंद्र के प्रयास की सराहना की।
वीरेंद्र ने बताया कि साल भर पहले उन्होंने बिजली से चलने वाली सिलाई मशीन को देखकर इलेक्ट्रिक बाइक बनाने का ख्याल आया था और फिर उन्होंने अपनी ही हीरो हॉन्डा ग्लैमर बाइक पर प्रयोग करना शुरू किया।
भारत जुगाडुओं का देश है। हर शहर में आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो अपनी जुगाड़ू सोच से सबको हैरत में डाल दे। कानपुर के एक युवा ने मुश्किल हालातों में जिंदगी बिताते हुए सुपर बाइक बनाई है। इस बाइक की खासियत ये है कि ये बैट्री और पेट्रोल दोनों से चलती है। कानपुर के कल्याणपुर इलाके में बारा सिरोही में रहने वाले वीरेंद्र शुक्ला ने आर्थिक मुश्किलों के बीच नई तकनीक पर काम करने का फैसला किया। वीरेंद्र ने इस बाइक को आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं को दिखाई तो उन्होंने भी वीरेंद्र के प्रयास की सराहना की। वीरेंद्र ने इस बाइक को सिर्फ 20 हजार रुपये में तैयार किया है।
भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बाइक की स्पीड भी बाकी की बाइकों के जैसे है। 30 साल के वीरेंद्र का जीवन हमेशा आभावों में बीता है। उन्होंने बताया, 'मेरे पिता राम शरण शुक्ला लकड़ी काटने की मशीन पर मैकेनिक का काम करते थे। मां राजकुमारी शुक्ला हाउस वाइफ है। मेरे 4 भाई-बहन हैं जिनमें मैं तीसरे नंबर पर हूं।' वीरेंद्र ने बताया कि उनके पिता के पास कोई नियमित जॉब नहीं थी। इस वजह से बचपन काफी मुश्किल में बीता। किसी तरह उन्होंने 2012 में इंटरमीडिएट तक पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद वीरेंद्र के सिर पर घर की जिम्मेदारियां आ गईं और उनकी शादी करा दी गई। 2015 में गौरी के साथ उनकी शादी हो गई। लेकिन शादी के एक साल बाद ही उन पर मुसीबतें आ गईं। उनकी पत्नी की तबीयत खराब हो गई। जांच करवाया तो पता चला कि उनके दिल में छेद है। इलाज के लिए काफी पैसों की जरूरत थी। वीरेंद्र ने किसी तरह पैसे जुटाकर अपनी पत्नी का इलाज करवाया। अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए उन्होंने शादी-विवाह में वीडियोग्राफी करनी शुरू कर दी। लेकिन इससे भी उन्हें जो आमदनी होती वो पत्नी के इलाज में खर्च हो जाते।
वीरेंद्र ने बताया कि साल भर पहले उन्होंने बिजली से चलने वाली सिलाई मशीन को देखकर इलेक्ट्रिक बाइक बनाने का ख्याल आया था। उन्होंने अपनी ही हीरो हॉन्डा ग्लैमर बाइक पर प्रयोग करना शुरू किया। सालभर की मेहनत और मशक्कत के बाद वे अपने काम में सफल रहे। उन्होंने सिर्फ 20 हजार रुपये के खर्च में बैट्री से चलने वाली बाइक बना डाली। वीरेंद्र ने इस बाइक को ऐसे डिजाइन किया है कि उसकी बैट्री से घर में जरूरत पड़ने पर लाइट भी जलाई जा सकती है।
अपनी बाइक के फायदे गिनाते हुए वीरेंद्र कहते हैं कि यह बाइक प्रदूषण रहित है, इससे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होगा। बार-बार बाइक की सर्विस नहीं करानी पड़ेगी। एक बार चार्ज होने पर 60 से 80 किलोमीटर चलेगी। इलेक्ट्रिक बाइक चलाने वाले प्रति व्यक्ति को सालाना 25 से 30 हजार रुपए का फायदा होगा। पेट्रोल की खपत बाइक में न होने पर देश को भी फायदा होगा, पेट्रोल आयात में कमीं आएगी। बाकी बाइकों में पर महीने 400 से 500 रुपए सर्विसिंग के लगते हैं जबकि इस बाइक में मेंटिनेंस न के बराबर है।
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