पुलिस स्मृति दिवस: क्यों 10 पुलिसकर्मियों की याद में मनाया जाने लगा ये दिवस? जानिए
ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल पूरे भारत में यह दिवस मनाया जाता है.
देश में हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस (Police Commemoration Day) मनाया जाता है. इस साल यानी 21 अक्टूबर 2022 को भारत 63वां पुलिस स्मृति दिवस मना रहा है. इस दिन को पुलिस-अर्धसैनिक बलों से जुड़े तमाम लोग पुलिस शहीदी दिवस (Police Martyrs' Day) या फिर पुलिस परेड डे (Police Parade Day) के नाम से भी जानते हैं. ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल पूरे भारत में यह दिवस मनाया जाता है.
पुलिस स्मृति दिवस 1959 में उस दिन की याद दिलाता है, जब लद्दाख के हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में चीनी सैनिकों द्वारा बीस भारतीय सैनिकों पर हमला किया गया था, जिसमें दस भारतीय पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी और सात कैद हो गए थे. उस दिन से, शहीदों के सम्मान में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है.
चीन ने कैसे किया हमला?
भारत के तिब्बत में 2,500 मील लंबी चीन के साथ सीमा है. 21 अक्टूबर 1959 के वक्त इस सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी. चीन के घात लगाकर हमला करने से ठीक एक दिन पहले 20 अक्टूबर 1959 को भारत ने तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स के इलाके में तैनात किया था. इस कंपनी को तीन टुकड़ियों में बांटकर सीमा के सुरक्षा की जिम्मेदारी गी गई थी. हमेशा की तरह इस कपंनी के जवान लाइन ऑफ कंट्रोल में गश्त लगाने के लिए निकले. 20 अक्टूबर को दोपहर तक तीनों टुकड़ियों में से दो टुकड़ी के जवान दोपरहर तक लौट आए. लेकिन तीसरी टुकड़ी के जवान उस दिन नहीं लौटे. उस टुकड़ी में दो पुलिस कांस्टेबल और एक पोर्टर था.
21 अक्टूबर की सुबह वापस नहीं लौटे टुकड़ी के जवानों के लिए तलाशी अभियान चलाने की योजना बनाई गई. जिसका नतृत्व तत्कालीन डीसीआईओ करम सिंह कर रहे थे. इस टुकड़ी में लगभग 20 जवान थे. करम सिंह घोड़े पर सवार हुए और बाकी जवान पैदल मार्च पर थे. पैदल चलने वाली सैनिकों को 3 अलग-अलग टुकड़ियों में बांट दिया गया था. तलाशी अभियान के दौरान ही चीन के सैनिकों ने घात लगाकर एक पहाड़ के पीछे से फायरिंग शुरू कर दी. भारत के जवान, जो अपने साथी को खोजने निकले थे, वो हमले के लिए तैयार नहीं थे. उनके पास जरूरी हथियार नहीं थे. इस हमले में 10 जवान शहीद हो गए थे और ज्यादातर जवान घायल हो गए थे, 7 की हालत गंभीर थी.
लेकिन चीन यहीं नहीं रूका, चीनी सैनिकों ने गंभीर रूप से घायल जवान को बंदी बनाकर अपने साथ ले गई. बाकी अन्य जवान वहां से किसी तरह से निकलने में सफल हुए. इस घटना के बाद 13 नवंबर 1959 को शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों के शव को चीनी सैनिकों ने लौटा दिया था. भारतीय सेना ने उन 10 जवानों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ किया. इन्ही शहीदों के सम्मान में हर साल भारत में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है. पुलिस स्मृति दिवस के दिन देश के सुरक्षा बल, चाहे वो राज्य पुलिस हो, केंद्रीय सुरक्षा बल हो या फिर अर्धसैनिक बल हो, सभी एक साथ मिलकर इस दिन को मनाते हैं.
इस घटना के बाद से भारत तिब्बत सीमा की सुरक्षा का जिम्मा एक विशेष सैन्य बल भारत तिब्बत सीमा सुरक्षा बल आईटीबीपी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस को सौंपा गया, जो एक अर्ध सैनिक बल है. लेकिन सीआरपीएफ की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस दौरान भी जारी रही और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल के गठन के बाद उसे सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्त कर देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए पुलिस की सहायता करने की जिम्मेदारी दी गई.
पुलिस स्मृति दिवस की शुरुआत
साल 1960 को हुए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में इस घटना में हुए शहीद पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला भारत सरकार द्वारा लिया गया और हर साल 21 अक्टूबर को देश के लिए जान गवाने वाले इन सभी पुलिसकर्मियों के सम्मान में स्मृति दिवस मनाने का फैसला लिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अक्टूबर, 2018 को दिल्ली में भारत के पहले राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय का उद्घाटन किया था. संग्रहालय का प्रबंधन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा किया जाता है. यह मेमोरियल दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में 6 एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में बना हुआ है. साल 2000 से हर साल इस दिवस पर पुलिस परेड का आयोजन और शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम होता है.