पुराने पते को दीजिए, अपना नया पता
चुटकी में आपके बड़े पते को करे छोटा
तुरंत मैसेज भेजना हो तो आपके पास व्हाट्सऐप है, तुरंत वीडियो कॉल के लिए आपके पास स्काइपी है। इंस्टैंट एड्रेस यानी तुरंत पता चाहिए तो आपके पास क्या है!
Zippr नक्शे पर एक ऐसा पर्सनलाइज्ड आईडेंटी-लेयर है, जिसे आप उन लोगों को शेयर कर सकते हैं, जिन्हें आप जानते हैं। किसी के लोकेशन यानी स्थिति की ये अंग्रेजी के चार अक्षर और चार अंकों का (XYZR1234) एक अनोखा मेल है और जिसका इस्तेमाल कर दुकानदार आपकी इजाजत मिलने पर सामान आपके घर पर डिलिवर कर सकता है।
Zippr ने इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत जिप कोड या पिन कोड को मात देने के लिए की है। इस ऐप ने आपके एड्रेस को ठीक उसी तरह छोटा कर दिया है, जिस तरह bit.ly भारी भरकम यूआरएल को छोटा करती है। अगर आप अपनी आदतों पर गौर करें, तो आपको पता चलेगा कि अलग-अलग लोग जो आप से आपका पता मांगते हैं, आप उन्हें अलग-अलग तरीके से अपना पता बताते हैं। अगर वो एक दोस्त है, तो आप उसे किसी लैंडमार्क के साथ अपना पता बताते हैं। अगर बैंक है, तो पूरा डाक पता बताया जाता है। वेंडर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए दोनों का मिला हुआ यानी संपूर्ण पता बताया जाता है।
Zippr का सबसे बड़ा मकसद व्हाट्स योर एड्रेस को व्हाट्स योर जिप्प्र में तब्दील करना है। इसके लिए एक स्केल पर यूजर्स के बर्ताव में बदलाव की जरुरत होती है। यह बदलाव तकनीकी चुनौतियों को बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक ताने-बाने पर भी असर डालता है। यही वजह है कि इसका नाम Zippr रखा गया है, जिससे ये पता चले कि ये जिप कोड है लेकिन ये ज्यादा तेज, ज्यादा कारगर और ज्यादा सटीक है। फिलहाल विभिन्न कारोबार में Zippr प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। अपनी सेवाओं को और तेज करने के लिए 108 EMRI जैसी इमरजेंसी सर्विस से लेकर फास्ट फूड के दिग्गज हेलोकरी.इन, ऑनलाइन शॉपिंग प्लेसेज़, कैब सर्विस सभी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
एक बार आपने इस ऐप को डाउनलोड कर लिया, तो Zippr एड्रेस तैयार करना बस चार कदम दूर होता है और इसी तरह एड्रेस को शेयर करना महज तीन कदम दूर होता है।
संस्थापक के बारे में
आदित्य वुची हैदराबाद में जन्मे और पले-बढ़े हैं। उन्होंने हैदराबाद पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की और सिलिकन वैली में कई स्टार्टअप्स के साथ काम किया। सात साल तक अमेरिका में रहने के बाद वो 2009 में भारत वापस आ गए। यहां आकर उन्होंने देखा कि देश की तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था ने तमाम मौके खोल रखे हैं, जो परेशानी की शक्ल में दिखाई दे रहे हैं। इन समस्याओं में से एक समस्या थी अस्थिर पोस्टल एड्रेस का फॉर्मैट जिसे भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के मुताबिक बदला नहीं गया था।
इसकी वजह से पता बताना न चाहते हुए भी लोगों के लिए एक नियमित काम बन चुका था, लेकिन संचार के लिए आप इसे पूरी तरह से अनदेखा नहीं कर सकते थे। उनके डॉक्टर पिता को हर रोज मरीजों को अपने क्लिनिक का पता बताने की समस्या से दो-चार होना पड़ता था। यह एक ऐसी समस्या थी जिसका समाधान जरूरी था। इसके लिए आज की तकनीक और मोबाइल एडॉप्शन को ध्यान में रखते हुए एक नई पहल की जरुरत थी। Zippr की कल्पना तो 2011 में की गई थी, लेकिन कंपनी की शुरुआत जून, 2013 में हुई। इस काम के लिए ये सही वक्त था क्योंकि इसी दौरान स्मार्टफोन का बाजार ऊपर की ओर बढ़ रहा था।
Zippr आदित्य का दूसरा स्टार्टअप है। पहला स्टार्टअप मिडियामिंट नाम की कामयाब डिजिटल मीडिया कंपनी है, जो बड़ी एजेंसियां और प्रकाशकों के लिए डिस्प्ले, वीडियो और मोबाइल ऐड कैंपेन चलाती है।
आदित्य इस स्टार्टअप के साथ पूरी तरह जुड़े रहे हैं। वो कहते हैं, “एकमात्र संस्थापक होने के नाते मैंने Zippr में उतने ही पैसे निवेश किए जिससे कि एक अच्छा प्रोडक्ट बाजार में लाया जा सके और ग्राहक जिसका अनुभव कर सकें। इसके बाद ही हम अपनी कमाई की बात सोचें। ऐसे में जब हम अगले दौर के लिए पैसे इकट्ठा करने की सोच रहे हैं, तब हम ऐसी जगहों की तलाश करेंगे जहां निवेशक न सिर्फ पैसे लगाएं बल्कि ये भी जानें कि हमारे कारोबारी माहौल में कैसे रहा जाता है। अतिरिक्त फंडिंग के जरिए हम लोग दूसरे प्लेटफॉर्म का विकास कर और मार्केटिंग में निवेश कर ग्राहकों से जुड़े रह सकते हैं। हमलोग ऐसे वफादार ग्राहकों का आधार तैयार कर रहे हैं, जो हमारे प्लेटफॉर्म को लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं।”
Zippr के अनूठे तोहफे
Zippr एक लोकेशन मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म है, जो यूजर्स को एक यूनिक कोड (इसे Zippr कहा जाता है) के जरिए निजी या कारोबारी लोकेशन को तैयार करने, उसे मैनेज करने और शेयर करने में मदद करता है।
Zippr एक एंड्रॉयड या iOS ऐप में मिलता है और इसका एपीआई फ्रेमवर्क बहुत ही मजबूत और बैकएंड इंफ्रास्ट्रक्चर से समर्थित है जो लाखों की लेन-देन करने में सक्षम है।
बाजार और टारगेट ऑडियंस
उनका ये मॉडल ग्राहकों और कारोबार दोनों के लिए एक प्लेटफॉर्म के साथ साथ सर्विस प्रदान करने वाला भी होता है। इसमें एक प्रीमियम Zippr कस्टम लोकेशन कोड भी है। इसे आप आवेदन कर प्राप्त कर सकते हैं जैसे- NIKY8080।
वैसे तो ये अभी तक घर-घर तक पहुंचने वाला ब्रांड नहीं बन पाया है, लेकिन इनका टारगेट ऑडियंस काफी विस्तृत है। खासकर, कोई भी जो अपना पता बताने में समय खर्च और मेहनत करते हैं, वो इसके टारगेट ऑडियंस हैं। लोकेशन आधारित सेवा प्रदान करने वाले कारोबारियों को Zippr से अपने कारोबार को बढ़ाने और उसे प्रभावी ढंग से करने में मदद मिल रही है।
Zippr के संस्थापक और सीईओ आदित्य कहते हैं, “हमलोग सेवा प्रदान करने वाली कुछ बड़ी कंपनियों के साथ बात कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर के 10 लाख से ज्यादा ग्राहक हैं। ये अपने कारोबार में Zippr का इस्तेमाल कर उसे आसान बनाना चाहते हैं। हमें देश के 16 राज्यों में एंबुलेंस सेवा प्रदान करने वाली कंपनी जीवीके ईएमआरआई के साथ इस तरह के पहले करार का एलान करते हुए गर्व हो रहा है। 108 हेल्पलाइन अब एक Zippr कोड मांगता है और बिना पता, लैंडमार्क या रास्ता पूछे सीधे एंबुलेंस को जरूरत की जगह भेज दिया जाता है। इसके इस्तेमाल में टाइम-टू-रेस्पॉन्स यानी जवाब देने के समय में 30% तक की कमी आई है और यही वजह है कि इस पहल को बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है। हमलोग इस सेवा को दूसरी इमरजेंसी सेवाओं, जैसे महिला सुरक्षा से भी जल्द जोड़ने की कोशिश करेंगे।”
Zippr कार्ड में शेयर और मैसेज आइकन होता है, जिसकी मदद से आप एड्रेस को सोशल मीडिया पर बड़ी आसानी से मेल, मैसेज या शेयर कर सकते हैं। आप इस सेवा पर एक नजर डालें और हमें इस नई सेवा के बारे में अपनी राय बताएं।