विक्रम अग्निहोत्री बिना हाथ के पैरों के सहारे चलाते हैं कार
आपको जानकर हैरानी होगी कि वह हाथ से होने वाले काम पैरों के सहारे कर लेते हैं। विक्रम को तैरना आता है और वह कार भी चला लेते हैं।
विक्रम हर अधिकारी से गुहार लगा रहे थे कि एक बार उनकी ड्राइविंग को देख तो लिया जाए। इसके बाद उप परिवहन आयुक्त उनकी ड्राइविंग देखने के लिए आए। और उन्हें लाइसेंस मिल गया।
उनके पास एक ऑटोमेटिक गियर शिफ्ट वाली कार है और वह स्टीयरिंग अपने दाएं पैर से पकड़ते हैं और बायां पैर एक्सेलरेटर पर रहता है। अपनी कार के दाहिने ओर ही विक्रम ने ब्रेक और एक्सेलरेटर लगवाए हैं।
इंसान के पास अगर साहस हो तो वह कुछ भी कर सकता है। इस बात को सच साबित करने वाले शख्स का नाम है विवेक अग्निहोत्री। इंदौर के रहने वाले विक्रम जब सात साल के थे तभी उनके दोनों हाथ करंट की वजह से खराब हो गए थे जिन्हें बाद में काटना पड़ा। लेकिन हाथों की कमी उनकी जिंदगी में कोई बाधा नहीं बनी। आपको जानकर हैरानी होगी कि वह हाथ से होने वाले काम पैरों के सहारे कर लेते हैं। विक्रम को तैरना आता है और वह कार भी चला लेते हैं। रेग्युलर स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले विक्रम के पास मास्टर डिग्री है और वह मोटिवेशनल स्पीकर होने के साथ ही गैस एजेंसी भी चलाते हैं।
हालांकि विक्रम पहले से ही अपने सारे काम खुद से कर लेते थे। लेकिन तीन साल पहले उन्हें यह अहसास हुआ कि वह अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए दूसरों पर क्यों निर्भर रहें। यही सोचकर उन्होंने ऑटोमेटिक गियर शिफ्ट वाली कार खरीदी, लेकिन मुश्किल वाली बात ये थी कि उन्हें कोई भी कार ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट कार चलाना सिखाने के लिए राजी नहीं हो रहा था। हर कोई यही सोचता था कि बिना हाथ के कोई कैसे कार चला सकता है। लेकिन बड़ी से बड़ी चुनोतियों का सामना कर चुके विक्रम के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी। अंत में उन्होंने खुद से ही कार सीखने का फैसला कर लिया। उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो देखकर कार चलाने की टेक्निक सीखी।
खैर किसी तरह वह कार चलाना तो सीख गए लेकिन इसके बाद की मुश्किल थी आरटीओ ऑफिस से ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करना। परिवहन विभाग के अधिकारी यह मानने को राजी ही नहीं थे कि बिना हाथों वाला इंसान कार भी चला सकता है। उन्होंने दिसंबर 2014 में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें जब लाइसेंस नहीं मिला तो विक्रम ने प्रदेश के परिवहन मंत्री से लेकर केंद्रीय परिवहन मंत्री और परिवहन मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री तक अपनी बात रखी। विक्रम हर अधिकारी से गुहार लगा रहे थे कि एक बार उनकी ड्राइविंग को देख तो लिया जाए। इसके बाद उप परिवहन आयुक्त उनकी ड्राइविंग देखने के लिए आए। विक्रम ने उन्हें भी कार में बैठाकर भी मुश्किल रास्तों पर गाड़ी चला कर दिखा दी।
इसके बाद पिछले साल अक्टूबर में आरटीओं ने उन्हे लाइसेंस जारी कर दिया। उनके पास एक ऑटोमेटिक गियर शिफ्ट वाली कार है और वह स्टीयरिंग अपने दाएं पैर से पकड़ते हैं और बायां पैर एक्सेलरेटर पर रहता है। अपनी कार के दाहिने ओर ही विक्रम ने ब्रेक और एक्सेलरेटर लगवाए हैं। विक्रम ने लाइसेंस मिलने से अब तक 22,000 किलोमीटर गाड़ी चलाई है। अब वह लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की चाहत में हैं। वह वाइटल स्पार्क वेलफेयर सोसाइटी के चेयरमैन हैं और मोटिवेशनल लेक्चर्स देते हैं। विक्रम एक गैस एजेंसी भी चलाते हैं और साथ में एलएलबी भी कर रहे हैं।
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