खुद का ब्रेकफास्ट करने से पहले हर रोज एक हजार लोगों को खिलाता है ये शख्स
स्कूल का एक औसत छात्र जिसे शुरू में सीखने में कठिनाई होती थी वह अब सुल्तान उल उलूम कॉलेज, हैदराबाद से बैचलर ऑफ फार्मेसी कर रहा है। 25 सदस्यों के एक संयुक्त परिवार से आने वाले सुजातुल्लाह साझा (शेयरिंग) करने की खुशी का अनुभव करते हुए बड़े हुए हैं।
रोजाना 3,500 रुपये के दैनिक खर्च के साथ, वह अब अस्पताल के परिसर के आसपास हर दिन 700 से 1,000 लोगों को खिलाता है। गर्मियों के दौरान, सुजातुल्लाह ने लगातार पानी के शिविरों का आयोजन किया और सर्दियों में कंबल वितरण ड्राइव आयोजित करते हैं।
रोटी, कपड़ा और मकान हर किसी की जरूरत होती है। लेकिन देश में ऐसे लोग भी हैं जिनके पास इनमें से कुछ भी नहीं है। ये लोग सड़कों पर रहकर गुजारा करते हैं और रोटी के लिए किसी नेक इंसान का इंतजार! कई बार इन बेसहारा लोगों को देखकर हमारे अंदर दया का भाव आता है लेकिन हम उतने सक्षम नहीं होते कि इन लोगों के लिए कोई ठोस उपाय कर पाएं। हालांकि जिससे जितना बन पड़ता है वो करता है। एक ऐसा ही शख्स है मोहम्मद सुजातुल्लाह। हैदराबाद का ये 24 वर्षीय शख्स हर रोज सुबह अपना नाश्ता करने से पहले 1000 लोगों को खिलाता है। एक टिपिकल कॉलेज स्टूडेंट रात में देर से सोने के बावजूद सुबह-सुबह जल्दी जागता है, और क्लास में जाने से पहले जल्दी-जल्दी नाश्ता तैयार कर लोगों को खिलाता है। ये सोचने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन मोहम्मद सुजातुल्लाह इसे बड़े ही अलग ढंग से करते हैं। सुजातुल्लाह हर रोज पहले करीब एक हजार लोगों को नाश्ता कराते हैं फिर अपना नाश्ता करने बैठते हैं।
सुजातुल्लाह जल्दी उठते हैं और हर सुबह-सुबह 7.30 बजे के लगभग अपना घर छोड़ देते हैं। जिसके बाद वह हैदराबाद में कोटी मातृत्व अस्पताल पहुंचते हैं, जहां 300 गरीब मरीज पहले ही कतारबद्ध हैं और भोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 15 मिनट के भीतर, वह एक या दो स्वयंसेवक के साथ, उनको गर्म उपमा परोसता है। और अपने अगले गंतव्य निलोफर चिल्ड्रन हॉस्पिटल के लिए चला जाता है। इस सरकारी अस्पताल में औसत 700 अन्य लोग फुटपाथ पर एक बेचैन रात बिताने के बाद अपना खाली पेट लिए लाश्ते का इंतजार कर रहे हैं। सुजातुल्लाह उन्हें भी नाश्ता खिलाने के बाद अपने कॉलेज जाते हैं।
सुजातुल्लाह कहते हैं कि "छोटे जिलों और आसपास के गांवों से गरीब करीब 90 प्रतिशत लोग सरकारी अस्पतालों में आते हैं। सुविधाओं की कमी के कारण, वे सड़क पर सोते हैं और बिना सुबह का भोजन किए अपना दिन चलाते हैं। सुजातुल्लाह आगे कहते हैं कि "मैं उन लोगों को मुफ्त में भोजन देना चाहता था जो हम खुद खाते हैं। हम इन मरीजों के लिए देशी घी में बना उपमा परोसते हैं।" 485 दिनों से यह दिनचर्या खराब मौसम, खराब स्वास्थ्य या अन्य अप्रत्याशित कारणों के बावजूद सुजातुल्लाह के दैनिक कार्यक्रम का एक हिस्सा बन गई है। और ऐसा कभी नहीं होता जब वह हर सुबह-सुबह इन दोनों जगहों पर दिखाई न पड़े।
मूमेंट ऑफ यूरेका
स्कूल का एक औसत छात्र जिसे शुरू में सीखने में कठिनाई होती थी वह अब सुल्तान उल उलूम कॉलेज, हैदराबाद से बैचलर ऑफ फार्मेसी कर रहा है। 25 सदस्यों के एक संयुक्त परिवार से आने वाले सुजातुल्लाह साझा (शेयरिंग) करने की खुशी का अनुभव करते हुए बड़े हुए हैं। लेकिन सच्ची खुशी उसे तब प्राप्त हुई जब उसने एक बार तय किया कि अगर वह कॉलेज एग्जाम में पास हो गया तो 10 लोगों को भोजन कराएगा।
सफलतापूर्वक एग्जाम पास करने के बाद सुजातुल्लाह ने अपना वादा पूरा करने का फैसला लिया। सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन जहां वह भोजन वितरित करना चाहते थे, वहां पहुंचने पर उन्हें समझ आया कि लोगों के लिए वास्तव में भोजन का क्या मतलब है। याद करते हुए सुजातुल्लाह कहते हैं कि "एक बच्चा मेरी शर्ट खींच रहा था, जबकि दूसरे धैर्यपूर्वक चमकती आँखों से देख रहे थे। मुझे एहसास हुआ कि भूख क्या है। वास्तव में इसका क्या मतलब है। मैंने इतनी खुशी कभी महससू नहीं की जितनी उस दिन उन्हें खाना खिलाना के बाद महसूस हुई।"
रेलवे स्टेशन पर उन्हें खाना खिलाने के बाद वह अपने घर लौट आया। उसने अपने परिवार को इस समस्या के लिए एक महीने में एक दिन की कमाई समर्पित करने के लिए राजी कर लिया। सुजातुल्लाह के काम में जुनून और दृढ़ संकल्प को देखते हुए, उनके परिवार ने आगे आने के लिए उनकी मदद की, सप्ताह में तीन से चार बार भोजन को लगभग 150 लोगों को बांटना शुरू किया।
सुजातुल्लाह कहते हैं कि "आराम में रहने वाले लोग शायद ही भूखे और कुपोषित लोगों की पीड़ा को महसूस करते होंगे। मेरा इरादा उन खाद्य पदार्थों को जो हम खाते हैं, उन लोगों को देने का था जो प्रिवलेज्ड हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम हैदराबाद के तीन सितारा होटल से शुद्ध घी में बना पौष्टिक भोजन प्राप्त करते हैं।" रोजाना 3,500 रुपये के दैनिक खर्च के साथ, वह अब अस्पताल के परिसर के आसपास हर दिन 700 से 1,000 लोगों को खिलाता है। गर्मियों के दौरान, सुजातुल्लाह ने लगातार पानी के शिविरों का आयोजन किया और सर्दियों में कंबल वितरण ड्राइव आयोजित करते हैं।
मील का पत्थर हासिल किया
इस सीढ़ी को आगे बढ़ने और अपने काम को औपचारिक बनाने के लिए, सुजातुल्लाह ने 2016 में Humanity First Foundation हैदराबाद, एक गैर-लाभकारी, गैर-सरकारी संगठन स्थापित किया और अपने मुक्त भोजन ड्राइव के साथ नई परियोजनाओं की शुरुआत की। सबसे उल्लेखनीय है पहल है परियोजना परिवर्तन, सड़कों पर छोड़ दिए गए लोगों की जिंदगी बदलना और हैदराबाद सड़कों पर गंदे फुटपाथों पर रहने वाले लोगों के जीवन को बदलना। सुजातुल्लाह उनके जीवन को सुधारने के लिए फुटपाथ पर रहने वालों को समझाते हैं। और उनके बदलाव और पुनर्वास के लिए कैश और आवश्यक सहायता भी प्रदान करते हैं। सुजातुल्ला कहते हैं कि "आवश्यक परामर्श के बाद, हम उन्हें बेहतर रहने के लिए उम्मीद की किरण देते हैं। हमने बुजुर्गों के घरों के साथ सहयोग किया है, और यदि वे आश्वस्त हैं, पुलिस की अनुमति लेते हैं, तो हम उन्हें उन आवास घरों में स्थानांतरित कर देते हैं जहां पर्याप्त देखभाल दी जाती है।"
दान दाताओं और स्वयंसेवकों के समर्थन के साथ, वे झोपड़ियां में नियमित चिकित्सा शिविरों का संचालन करते हैं और चेक-अप के बाद नि: शुल्क दवाइयां भी बांटते हैं। हैदराबाद के क्षेत्रों में और उसके आसपास सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए संगठन द्वारा किए गए अन्य कामों में, अनाथालयों और विकलांगों के घरों का दौरा कर राशन वितरण करना है। फाउंडेशन विभिन्न समुदाय-उन्मुख सामाजिक परियोजनाओं के लिए क्राउड फंडिंग अभियान चल रहा है। फाउंडेशन का लक्ष्य सेवा और उदारता की संस्कृति को बढ़ावा देना है।
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