हर चुनौती से जीत: CashKaro की स्वाति भार्गव की कहानी सिखाती है मुश्किलों से पार पाना
स्वाति की कहानी साहस, लगन और इच्छाशक्ति से भरी है. वह हमें याद दिलाती है कि अपने सपनों को कभी छोड़ना नहीं चाहिये, चाहे चुनौतियाँ कुछ भी हों. सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए उन्होंने कभी भी दृढ़ संकल्प और मजबूती का साथ नहीं छोड़ा.
स्वाति की एनर्जी उनके इर्द-गिर्द हर किसी पर असर डालती है और उनकी मुस्कुराहट में एक चमक है. वह जहाँ भी जाती हैं, अपने पॉजिटिव ऑरा, शानदार शख्सियत और संतुलित स्वभाव से उस जगह को रौशन कर देती हैं. उनकी यात्रा केवल उद्यमिता में सफल होने की कहानी भर नहीं है, बल्कि मानवीय जोश की मजबूती का सबूत भी देती है. छोटी सी उम्र में ही अचानक उनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल देने वाला एक ऐसा मोड़ आया जिसने उन्हें चिंता में डाल दिया था.
इसकी शुरुआत दो दशक पहले हुई थी, जब वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई कर रही थीं. उस वक्त उन्हें किडनी में समस्या होने लगी. उनके माता-पिता उन्हें वापस अंबाला लाना चाहते थे, ताकि अपनी प्यारी बेटी की देखभाल कर सकें. हालांकि, स्वाति को तो दुनिया जीतनी थी. इसलिये उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया. बाद में उन्होंने बेहतरीन काम करते हुए और एक सफल उद्यमी के तौर पर भी कॉर्पोरेट दुनिया में अपना दमखम साबित किया.
स्वाति कई सालों तक अपनी सेहत की परेशानियों से जूझती रहीं, लेकिन अपनी महत्वाकांक्षाओं पर उनका असर नहीं होने दिया. उनसे मिलने वाले लोग अक्सर पूछते थे कि इस स्थिति में वह सामान्य रूप से काम कर पाएंगी या नहीं. लेकिन उन्होंने केवल एक विचार के आधार पर अपनी सबसे अच्छी कोशिश की. विचार यह था कि सफलता के लिये कड़ी मेहनत से समझौता नहीं किया जा सकता.
साल 2022 में कड़ी मेहनत, दृढ़ता और लगन के चलते उन्हें
के लिये एक निवेशक मिल ही गया. लेकिन फंडरेजिंग के बीच में ही उनके डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दे दी. और स्वाति ने दोबारा सोचे बगैर अपनी जिन्दगी के इन दोनों महत्वपूर्ण पहलूओं को एक साथ संभालने का फैसला किया.इसके बाद उनका सामना एक अस्त-व्यस्त और थका देने वाले रुटीन से हुआ. जितना संभव हो सका, स्वाति ने निवेशक के कॉल्स और अस्पताल की जाँचों को साथ-साथ मैनेज किया. 3 नवंबर को फंडरेजिंग की आधिकारिक घोषणा हो गई. इसके तीन दिन बाद, 6 नवंबर को उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिये अस्पताल में भर्ती किया गया.
आज वह फिट हैं और अपने दम पर खड़ी हैं. अपनी सेहत को लेकर वह प्रतिबद्ध हैं और उनकी लाइफस्टाइल बेहद सक्रिय है. वह अपने दिन की शुरूआत पॉजिटिव तरीके से करने में यकीन रखती हैं. सुबह के वक्त वह अपने पास मौजूद हर चीज के लिये दुनिया को धन्यवाद देती हैं और जिन्दगी उनके सामने जो लेकर आती है, उसे अपना लेती हैं.
सेहत की तकलीफों ने उन्हें जीवन को महत्व देने का सबक दिया है और समझाया है कि उसे हल्के में नहीं लेना चाहिये. पुरानी तकलीफें उन्हें अपनी जिन्दगी को पूरी शिद्दत से जीने की याद दिलाती हैं. बुरे वक्त ने उन्हें आभारी बनना सिखाया है और यह भी पता चला कि जीवन क्षणभंगुर है. स्वाति के पास जो कुछ है, यानी जीवन की दृढ़ता, सेहत, छोटे-छोटे अनदेखे आशीर्वाद, बड़ी जीत, वह इन सबके लिए आभारी हैं.
स्वाति का मानना है कि जीवन की किसी चुनौती से जूझने का सबसे बढि़या तरीका है खुद पर भरोसा बनाये रखना. वह कहती हैं, “मुश्किल वक्त से गुजरने वाले हम अकेले नहीं हैं. दुनिया में मिलने वाले हर इंसान से बात की जाए, तो वह खुद को मिली कुछ चुनौतियों के बारे में जरूर बताएगा. हर मुश्किल वक़्त हमें एक मौका देता है कि हम अपनी क्षमताओं और आत्मविश्वास को और मजबूत कर सकें. जब हम मुश्किलों का सामना करते हैं, तब हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी आत्मशक्ति ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है.”
स्वाति आगे कहती हैं, “जीवन में हर चुनौती हमें एक नया सबक सिखाती है और हमें और भी मजबूत बनाती है. मुश्किलों के समय में धैर्य और संकल्प रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह हमें आगे बढ़ने में मदद करता है. अगर हम अपनी कमजोरियों को समझें और उन पर काम करें, तो कोई भी ताकत हमें रोक नहीं सकती. आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहना ही सच्ची सफलता की कुंजी है”.
स्वाति की कहानी साहस, लगन और इच्छाशक्ति से भरी है. वह हमें याद दिलाती है कि अपने सपनों को कभी छोड़ना नहीं चाहिये, चाहे चुनौतियाँ कुछ भी हों. सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए उन्होंने कभी भी दृढ़ संकल्प और मजबूती का साथ नहीं छोड़ा. वह कई लोगों के लिये एक प्रेरणा हैं और लोगों को जीवन में कभी हार न मानने के लिये प्रेरित करती हैं, फिर चाहे कुछ भी हो जाए.