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कॉन्ट्रैक्ट से लिए खेतों में मिर्च लगा लाखों कमा रहे छत्तीसगढ़ के किसान जगन्नाथ

कॉन्ट्रैक्ट से लिए खेतों में मिर्च लगा लाखों कमा रहे छत्तीसगढ़ के किसान जगन्नाथ

Wednesday September 19, 2018 , 4 min Read

घाघ महराज ने सच कहा है कि 'उत्तम खेती, मध्यम बान, निषिध चाकरी, भीख निदान'। इस कहावत को साबित किया है छत्तीसगढ़ के एक ऐसे कम पढ़े-लिखे किसान ने, जिसने सात महीने के भीतर मिर्च बेचकर एक करोड़ रुपए कमा लिए। उसकी खेती का दायरा भी बीस एकड़ से बढ़कर पचास एकड़ तक पहुंच गया।

मिर्च से भारी मुनाफा कमाने वाले किसान जगन्नाथ राय

मिर्च से भारी मुनाफा कमाने वाले किसान जगन्नाथ राय


जगन्नाथ राय भी तीस एकड़ से ज्यादा जमीन किराए पर लिए हुए हैं। उनके पास खुद की कुल 20 एकड़ जमीन है। किराए पर ली जमीन का वह इसके हर साल बीस हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किराया देते हैं।

शिक्षा, पढ़ाई-लिखाई से कहीं ज्यादा मायने रखती आदमी की खुद की अक्ल और मेहनत। हमारा देश ऐसी अनगिनत मिसालों से भरा पड़ा है। बलरामपुर (उ.प्र.) के गांव बेलवा दम्मार निवासी निरक्षर कल्लू रेडियो पर प्रसारित किसान कार्यक्रमों को सुनकर नए-नए तरीकों से मेंथा, सब्जी और गन्ने की खेती करने लगे। वह आज अपने इलाके के किसानों के लिए मिसाल बने हुए हैं। उनकी खेती की कमाई से ही पढ़-लिखकर आज उनके बेटे विदेशों में अच्छी नौकरियां कर रहे हैं। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं, बस्तर (छत्तीसगढ़) के सातवीं पास एक ऐसे किसान की, जिसने अपनी मिर्च की खेती से सात महीने में ही एक करोड़ रुपए कमा लिए।

बस्तर का एक गांव है मालगांव, यहीं के पांच भाइयों में एक हैं जगन्नाथ राय। मिर्च की खेती से उन्हें ऐसी बेतहाशा कमाई हुई है कि अब उनके पास खुद का ट्रैक्टर, रोटर, थ्रेशर, केजविल, कल्टीवेटर जैसी खेती की आधुनिक मशीने हैं। मिर्च की कमाई से ही उनकी खेती का दायरा सात एकड़ से बढ़कर पचास एकड़ तक पहुंच चुका है।

स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह से आधुनिक तकनीक से मिर्च की खेती ने जगन्नाथ राय के परिवार के जीवन में बहार ला दी है। परंपरागत धान की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती करने वाले इस किसान की प्रेरणा से इलाके के कई किसान मिर्च के साथ ही बैंगन, टमाटर, लौकी और अन्य सब्जियों की खेती करने लगे हैं। जगन्नाथ बताते हैं कि कभी वह छत्तीसगढ़ से सटे राज्य ओडिशा के उमरकोट से आकर यहां बस गए थे। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार छोटे किसानों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चला रही है, जिसका लाभ उन्हें भी मिला है।

राष्ट्रीय बागवानी मिशन और राज्य सरकार की अन्य योजना का लाभ लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने सब्जियों की खेती शुरू कर दी है। किसानों को उनकी मेहनत और उन्नत तकनीक से मिर्च की खेती से अच्छी आमदनी होने लगी है। इस समय बस्तर जिले के सात विकास खंडों में मिर्च की खेती में बस्तर और जगदलपुर ब्लॉक सबसे आगे हैं। जगन्नाथ बताते हैं कि उन्होंने लगभग 15 साल पहले मिर्च की खेती की शुरुआत की थी। उन्होंने सात एकड़ में मिर्च की फसल लगाई। उम्मीद से अधिक मुनाफा होने पर साल-दर-साल यह रकबा बढ़ता गया, जो अब एकड़ तक पहुंच चुका है। स्थानीय स्तर पर मिर्च की खपत कम होने के कारण वे इसे रायपुर और नागपुर तक भेज रहे हैं। कीमत भी अच्छी मिल रही है। कई किसान तो पट्टे पर जमीन लेकर मिर्च की खेती करने लगे हैं।

जगन्नाथ राय भी तीस एकड़ से ज्यादा जमीन किराए पर लिए हुए हैं। उनके पास खुद की कुल 20 एकड़ जमीन है। किराए पर ली जमीन का वह इसके हर साल बीस हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किराया देते हैं। गांव वालों की मानें तो किराए पर खेती को लेकर जगन्नाथ की पहले कोई रुचि नहीं थी। जब उन्हें सब्जियों की खेती से ज्यादा मुनाफा होने लगा तो उन्होंने गांव वालों से किराए पर जमीन लेनी शुरू कर दी। मल्चिंग तकनीक से समय और पैसे की बचत ने जगन्नाथ को मालामाल कर दिया।

वह मल्चिंग तकनीक से पैदावार ले रहे हैं जिसमें मिट्टी को पॉलीथिन से ढंक दिया जाता है। पॉलीथिन में जगह-जगह छेद होते हैं, जिसमें पौधे रोपे जाते हैं। इस तकनीक से पैसे के अलावा समय की भी बचत होती है। जगन्नाथ बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर मिर्च की खपत कम होने के चलते वे इसे रायपुर और नागपुर तक भेज रहे हैं जहां पर रेट अच्छा होने से लाभ भी उम्मीद के मुताबिक मिल रहा है। वह इस समय सरकारी बीज की बजाय वीएनआर 435 प्रजाति के बीज का उपयोग कर रहे हैं, जिसे लेकर अब तक कोई शिकायत उन्हें नहीं मिली है। हाल कुछ वर्षों से पूरे छत्तीसगढ़ में किसानों का तेजी से मिर्च की खेती में रुझान बढ़ा है।

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