इस करोड़पति महिला ने कभी कोलकाता में बिताया था मौत से भी बदतर बचपन
जिलियन एक सफल ऑन्त्रप्रन्योर, लेखिका, पब्लिक स्पीकर और समाजसेविका हैं। जिलियन यूके में रहती हैं। उनके एक स्पीच सेशन की कीमत 86,500 से 4,30,000 रुपए तक होती है।
उन्होंने अपना बचपन बहुत ही विपरीत हालात में कोलकाता में बिताया। हाल में, यह करोड़पति महिला कोलकाता में समाज सेवा का काम रही है। कोलकाता के उत्तरपारा में उनके 5 स्टडी सेंटर्स हैं, जहां पर लगभग 300 गरीब और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाया जाता है।
जिलियन बताती हैं कि उनका परिवार फुटपाथ पर सोया करता था। वे मांग कर खाने का इंतजाम करते थे। जिलियन तो यहां तक कहती हैं कि उनके परिवार की हालत इतनी खराब थी कि गरीबी शब्द भी उनकी हालत से बेहतर था।
जिस महिला का जिक्र होने जा रहा है, उनकी कहानी न तो किसी फिल्म से कम है और न ही वह किसी सुपरवुमन से। यह आर्टिकल है, लेखिका, समाजसेविका और मोटिवेशनल स्पीकर जिलियन हसलाम के बारे में। उन्होंने अपना बचपन बहुत ही विपरीत हालात में कोलकाता में बिताया। हाल में, यह करोड़पति महिला कोलकाता में समाज सेवा का काम रही है। कोलकाता के उत्तरपारा में उनके 5 स्टडी सेंटर्स हैं, जहां पर लगभग 300 गरीब और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाया जाता है। जिलियन एक सफल ऑन्त्रप्रन्योर, लेखिका, पब्लिक स्पीकर और समाजसेविका हैं। जिलियन यूके में रहती हैं। उनके एक स्पीच सेशन की कीमत 86,500 से 4,30,000 रुपए तक होती है।
फिलहाल वह अपनी दूसरी किताब पर काम कर रही हैं। जिलियन 6 बिजनस और 5 चैरिटी ऑर्गनाइजेशन्स संभाल रही हैं। सिर्फ स्पीच देकर वह सालाना करीबन 2.5 करोड़ रुपए कमा लेती हैं। इन सबके बावजूद, जिलियन कोलकाता में बिताए अपने कठनाई भरे दिनों को नहीं भूलतीं। जिलियन के पिता ब्रिटिश आर्मी में कैप्टन थे और उन्होंने 1947 में बंटवारे के बाद भारत छोड़ने से इनकार कर दिया था। जिलियन के पिता की बहन अपने बच्चों के साथ ब्रिटेन चली गईं, लेकिन उनके पिता ने अपने बच्चों की परवरिश भारत में ही करने का फैसला लिया।
जिलियन के पिता के इस फैसले के बाद उनके परिवार का एक ही साथी था, उनका दुर्भाग्य। कोई भी भारतीय संगठन उनके पिता को नौकरी देने के लिए तैयार नहीं था और इस वजह से परिवार के सामने बड़ा आर्थिक संकट था। जिलियन बताती हैं कि जब वह पैदा हुईं, तब उनके पिता 48 साल के थे और छोटे-मोटे काम करके किसी तरह अपने परिवार की परवरिश कर रहे थे। जिलियन के जन्म से पहले उनके माता-पिता की दो बेटियों कैरल और मिनी की मौत हो चुकी थी।
पुराने दिनों को याद करते हुए जिलियन बताती हैं कि उनका परिवार फुटपाथ पर सोया करता था। वे मांग कर खाने का इंतजाम करते थे। जिलियन तो यहां तक कहती हैं कि उनके परिवार की हालत इतनी खराब थी कि गरीबी शब्द भी उनकी हालत से बेहतर था। जिलियन की सबसे बड़ी बहन किडरपोर के सैंट थॉमस गर्ल्स स्कूल चली गईं, जहां पर कुछ विदेशी निवेशकों की बदौलत उन्हें खाने और रहने की सुविधा भी मिल गई। जबकि जिलियन, उनकी एक और बड़ी बहन डॉना और छोटी बहन वैनेसा अपने माता-पिता के साथ ही रहे।
जिलियन जब तीन साल की थीं, तब उनके पिता को किसी तरह नॉर्थ कोलकाता के दम दम में एक स्कूल में टीचर की जॉब मिल गई। इस जॉब को दिलवाने में उनके पिता के दोस्त ने मदद की। इस नौकरी के बाद हालात कुछ बेहतर हुए। उनके पिता को 500 रुपए महीने की तनख्वाह मिलने लगी और उन्हें रहने के लिए एक छोटा सा कमरा मिल गया। एक बार फिर उनके परिवार पर वक्त की मार पड़ी और उनके मां-बाप के जुड़वा बच्चे किंबरले और ऐलन 6 महीने से कम उम्र में ही मर गए। उनकी मौत कुपोषण के चलते हुई। जिलियन बताती हैं कि परिवार के पास उनके अंतिम संस्कार तक के पैसे नहीं थे। जिलियन के पिता ने चायपत्ती के डब्बों में रखकर उन्हें दफनाया।
मुश्किलें हल तो छोड़िए कम होने का नाम तक नहीं ले रही थीं। बच्चों की दर्दनाक मौत की घटना के बाद अगला झटका तब लगा, जब जिलियन के परिवार को पता चला कि उनके इलाके के नक्सली बड़ी बहन डॉना को अगवा करने की योजना बना रहे थे क्योंकि वह बहुत खूबसूरत थी। गांव वालों ने सलाह दी कि वे लोग भाग जाएं। उनका पूरा परिवार आधी रात को सबकुछ छोड़कर वहां से निकल गया। स्टेशन पर बैठकर डर से कांपते हुए परिवार ने दम दम रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार किया।
उनके मां-बाप अपने चार बच्चे खो चुके थे। इस बात का उनके पिता को इतना गहरा सदमा लगा कि उन्हें ट्रेन में दिल का दौरा पड़ा। उनके पिता को सालवेशन आर्मी के हॉस्पिटल ले जाया गया। सालवेशन आर्मी पूर्व ब्रिटिश सैनिकों की देखभाल करती थी। हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने बताया कि उनके पिता की आंखों की रौशनी चली गई है। उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल कर लिया गया।
परिवार के बाकी सदस्यों को जिंदगी से बेहतर मौत लगने लगी। वे फिर से सड़कों पर रहने को मजबूर हो गए। जिलियन बताती हैं कि उनकी मां दो महिलाओं के लिए काम करने लगीं और इसके बदले में उनके परिवार को एक घर की सीढ़ियों के नीचे रहने की जगह मिल गई। घर की मालकिन उनकी मां को मारती-पीटती भी थी।
ऐसे दर्दनाक हालात में कभी-कभी उन्हें ऐंग्लो-इंडियन समुदाय से आर्थिक सहायता मिल जाती थी। जिलियन की मां ने डॉना को रिश्तेदारों के घर ही रखना मुनासिब समझा, क्योंकि वह खूबसूरत थी और ऐसे हालात में उसको खतरा था। जिलियन कहती हैं कि उनका परिवार सालों तक उस जगह पर ही रहता रहा, जब तक वे बीमार नहीं पड़े। जिलियन बताती हैं कि उनकी मां ने उन्हें और वैनेसा को अपनी जान-पहचान की मैडम क्लिओफास के पास भेज दिया। वह महिला बहुत ही सख्त और निर्दयी थी। क्लिओफा, जिलियन को अंधेरे टॉयलट में बंद कर देती थीं, जहां पर ढेर सारे कॉकरोच हुआ करते थे। जिलियन बताती हैं कि वह डर के मारे चीखती-चिल्लाती थीं और कई बार वह पेशाब तक कर देती थीं।
इसके बाद उनकी मां उन्हें वापस ले आईं और कुछ समय बाद तीनों बेटियों को सैंट थॉमस गर्ल्स स्कूल भेज दिया। जिलियन ने 17 साल की उम्र में यहां से पढ़ाई पूरी की। इस दौरान ही उनके पिता की हालत सुधरी और उनकी आंखों की रौशनी भी वापस आ गई। इसके बाद उन्होंने सालवेशन आर्मी से स्टेनोग्राफी का काम सीखा और कोलकाता की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगे।
1989 में हालात जिलियन पर मेहरबान हुए और वह दिल्ली आ गईं। दिल्ली में उनकी बड़ी बहन बतौर सेक्रेटरी एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगी थीं। उन्होंने भी कोर्स पूरा किया और 1990 में वह भी एक प्राइवेट कंपनी में बतौर सेक्रेटरी काम करने लगीं। उनकी मासिक आय थी 900 रुपए। इस कंपनी को एक साल देने के बाद उन्हें एक जर्मन फर्म में 1,500 रुपए मासिक की नौकरी मिल गई। उन्होंने अपनी मां को भी कोलकाता बुला लिया। इस वक्त तक उनकी मां को कैंसर हो चुका था। उनके पिता अपने बाकी बच्चों के साथ कोलकाता में ही रहे और वहीं नौकरी करते रहे। 1997 में उनकी मां का निधन हो गया।
जिलियन बताती हैं कि उन्होंने अपनी कंपनी से एक साल की सैलरी अडवांस ले ली थी, ताकि वह अपनी मां का इलाज करा सकें। इस वजह से उन्हें एक रेस्ट्रॉन्ट में सिंगर का काम करना पड़ा ताकि वह अपनी बहनों को पाल सकें और कंपनी को पैसा वापस कर सकें। उनकी जिंदगी की पहली बड़ी उपलब्धि थी, जब 1995 में उन्हें बैंक ऑफ अमेरिका के सीईओ अंबी वेंकटेश्वरन की एक्जीक्यूटिव सेक्रेटरी की नौकरी मिली। कई राउंड्स के इंटरव्यूज के बाद 250 लोगों में से उन्हें चुना गया और उन्हें 60 हजार रुपए सालाना का पैकेज मिला। वह बैंक ऑफ अमेरिका के सामाजिक सेवा के कार्यों की भी देख-रेख करती थीं।
पांच साल तक बैंक के साथ काम करने के बाद जिलियन साल 2000 में इंग्लैंड गईं। वहां पर उन्हें एबीएन एएमआरओ बैंक के एमडी की एग्जीक्यूटिव सेक्रेटरी की जॉब मिल गई। अब उनकी सालाना आय £50,000 (43 लाख रुपए) हो गई। इस साल ही उन्होंने एक एनआरआई बैंकर कार्तिक दसवानी से शादी कर ली। कुछ वक्त बाद उन्होंने फुलटाइम काम करना बंद कर दिया और ‘Indian.English’ नाम से एक किताब लिखी। यह उनकी ऑटोबायॉग्रफी थी। पूरी दुनिया में इस किताब की 2,50,000 कॉपियां बिकीं। जिलियन ने मोटिवेशनल स्पीकिंग की ट्रेनिंग ली और अब भारी फीस चार्ज करती हैं। जिलियन की जिंदगी फिल्म जैसी ही है और इस पर एक फिल्म बनाने की प्लानिंग भी चल रही है।
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