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दक्षिण भारत की पहली महिला ड्राइवर पर बनी फिल्म ने कनाडा में जीता अवॉर्ड

दक्षिण भारत की पहली महिला ड्राइवर सेल्वी...

दक्षिण भारत की पहली महिला ड्राइवर पर बनी फिल्म ने कनाडा में जीता अवॉर्ड

Thursday December 14, 2017 , 4 min Read

 सेल्वी भारत के पितृसत्तात्मक समाज में बाकी लड़कियों की तरह है, जिसकी 14 साल की उम्र में ज़ोर जबरदस्ती, मार पीट कर शादी करवा दी गयी। एक दिन हताश होकर उसने भागने का रास्ता चुना और महिला ड्राइवर बन गयी।

सेल्वी

सेल्वी


उनके जीवन पर बनी डॉक्यूमेंट्री एक आकर्षक, मजबूत और बहादुर महिला की कहानी है जो तमाम तकलीफों से उबरकर खुद के लिए नयी ज़िन्दगी बनाने की उम्मीद देती है।

 सेल्वी को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा पहली महिला का ख़िताब दिया जा रहा है। सेल्वी ने 100 विशिष्ट महिलाओं में जगह बनाई, जिन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है। 

सेल्वी, दक्षिण भारत की पहली महिला ड्राइवर हैं। उनके जीवन की प्रेरक कहानी पर एक फिल्म बनाई गई 'ड्राइविंग विद सेल्वी', जिसने कनाडा में ख़िताब जीत लिया। अलीशा पालोस्की ने दिल छू लेने वाली कहानी को कैमरे पर उतारा है। अलीशा कनाडा की फिल्म निर्माता और सच्ची घटनाओं पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली स्वतंत्र प्रोडक्शन कंपनी आई फॉल्स की अध्यक्ष हैं। यह डॉक्यूमेंट्री एक आकर्षक, मजबूत और बहादुर महिला की कहानी है जो तमाम तकलीफों से उबरकर खुद के लिए नयी ज़िन्दगी बनाने की उम्मीद देती है। सेल्वी भारत के पितृसत्तात्मक समाज में बाकी लड़कियों की तरह है, जिसकी 14 साल की उम्र में ज़ोर जबरदस्ती, मार पीट कर शादी करवा दी गयी। एक दिन हताश होकर उसने भागने का रास्ता चुना और महिला ड्राइवर बन गयी।

पितृसत्तात्मक समाज में रूढ़िवादियों से लड़कर पहले गाड़ी चला सीखना , फिर अपनी टैक्सी कंपनी शुरू करना, शैक्षणिक समाज की अगुवाई करना और फिर शोषित महिलाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरना, सेल्वी की प्रेरक कहानी में ये सब दिखता है। पालोस्ती ने सेल्वी के निराशा से लेकर उम्मीद के इस सफर को फिल्माने के लिए 10 साल लगाये। इसे 100 अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया। सेल्वी ने इसके ज़रिये कनाडा और अमेरिका जैसे 15 देशों में सफर किया। फिल्म को नीदरलैंड, जॉर्डन, पेरू, और यूएस कनाडा दिखायी जा रही है और इसे 2018 में कुछ और जगहों पर दिखने की योजना है।

सेल्वी की एक तस्वीर

सेल्वी की एक तस्वीर


पालोस्की, उनकी टीम और खुद सेल्वी ने पहले चरण को बहुत तेज़ी से शुरू किया और 25 दिनों के बस टूर के ज़रिये फिल्म को उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक दिखाई गयी। इसका उद्देश्य आमजनों और शैक्षणिक संस्थाओं के सहयोग से फिल्म को सामाजिक सीख के रूप में लागू करना था। 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर सेल्वी के साथ टूर शुरू हुआ। जब से ये शुरू हुआ, इसने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के शहरी झुग्गियों से लेकर गाँव तक सफर किया। इसके ये बाद 25 नवम्बर से 10 दिसंबर तक कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में घूमी। इस दौरान कर्नाटक के मैसूरु, मंड्या, बंगलुरु और बेल्लारी, आंध्र प्रदेश के चितोड़, और तेलंगाना के हैदराबाद तक लोगों को जागरूक किया गया।

डॉक्यूमेंट्री का पोस्टर

डॉक्यूमेंट्री का पोस्टर


कैम्पेन के निष्कर्षों को दो समारोहों के ज़रिये प्रदर्शित किया गया, जिसका आयोजन कनाडा उच्चायोग ने किया था। 4 दिसम्बर को बंगलुरु और 8 दिसम्बर को दिल्ली में प्रदर्शन किया गया, और इसके सामाजिक असर पर चर्चा की गयी। इस इवेंट में सर्कार के प्रतिनिधि, कैम्पेन पार्टनर,बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इसके अलावा सेल्वी को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा पहली महिला का ख़िताब दिया जा रहा है। सेल्वी ने 100 विशिष्ट महिलाओं में जगह बनाई, जिन्हें ये सम्मान दिया जा रहा है। पालोस्की कहती हैं "यूनिसेफ के मुताबिक हर साल सेल्वी की तरह 50 लाख भारतीय लड़कियों की शादी 18 साल से पहले करा दी जाती है। मैं शुक्रगुज़ार हूँ ऐसी लड़कियों की जो इस कैम्पेन का हिस्सा बनी। "

वो कहती हैं कि हम ऐसे सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं को ढूंढ रहे हैं, जो सेल्वी के साथ मिलकर बाल विवाह और महिला हिंसा के खिलाफ और महिला सशक्तिकरण के लिए काम करे। फिल्म को कई पुरस्कार मिले हैं। जिनमें टॉप टेन ऑडियंस, आईडीएफए अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ ट्रुथ टू पॉवर, रियल एशियाई फिल्म फेस्टिवल 2015, मरव्विक अवार्ड, एटलांटा फिल्मफेस्टिवल अवार्ड 2015, यॉर्कटॉन फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म डायरेक्टर 2015 शामिल हैं। 

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