12 साल विज्ञापन की दुनिया में काम के बाद कला के क्षेत्र में रखा कदम, बन गईं उद्यमी
कहते हैं आदमी कई बार लगातार एक ही तरह के काम को करने के बाद कुछ नया और मन को सुकून देने वाला करना चाहता है। ज़ाहिर है ज़िंदा रहने की सबसे बड़ी निशानी है परिवर्तन। परिवर्तन के बाद जीवन ठहर सी जाती है। यही वजह है कि हर सचेतन अपनी ज़िंदगी को लगातार नए तरीके से परिभाषित करता रहता है।
बारह साल से ज्यादा विज्ञापन के क्षेत्र में काम करने के बाद वंदना ने अपनी अंतरात्मा से गहराई से जुड़ने का मन बनाया. और अब से दो साल पहले डोमेन नाम ‘Pretty Pink Pebbles’ को ब्लॉक किया. वह खुद को ‘खुशी डेवलपर’ बुलाना पसंद करती हैं. वे सोचती हैं कि वे एक उद्देश्य के साथ इस दुनिया में आई हैं. दुनिया भर में आनंद और खुशियां बांटों और कला को रोजमर्रा की जिंदगी में लाओ. कला बिरादरी में एना जे के नाम से मशहूर वंदना कहती हैं, ‘हर किसी के पास घर में जगह नहीं है. हर कोई अपने घरों के कोनों को आरामदायक बनाना चाहता है, इस तरह के आर्ट पीस बहुत ही सुविधाजनक साबित होते हैं.’ एना उनके नाम के आखिरी तीन अक्षर हैं और जे उपनाम का पहला अक्षर है. रोचक बात यह है कि एना यहूदी/अमेरिकी नाम है जिसका मतलब शोभा होता है. Pretty Pink Pebbles की शुरुआत एक ब्लॉग के रूप में हुई थी, इसकी वेबसाइट दो हफ्ते पुरानी है. वंदना ने अपनी कला की बिक्री शुरू की और कुछ आर्ट पीस बिक भी गए हैं. वे कहती हैं कि जो फीडबैक मिले हैं वे जबर्दस्त हैं. वंदना के मुताबिक, ‘ऑनलाइन ऑर्ट बड़े पैमाने पर आकार ले रहा है. कलाकार अपनी खुद की छवि भी सुधार रहे हैं. कला को अब बिजनेस दृष्टिकोण भी दिया जा रहा है. मैं कला के लिए एक सकारात्मक विकास की उम्मीद कर रही हूं.’
वंदना एक कलाकार और लेखक हैं जो अपना खुद का ब्रांड Pretty Pink Pebbles विकसित कर रही हैं. कैनवास आर्ट के अलावा वे खूबसूरत और जीवंत केटली और कंकड़ों पर अपनी कला बिखेरती हैं. आगे बढ़ते हुए वंदना हाथ से पेंट किए गए स्कार्फ को पेश करने की सोच रही हैं. वह यह उत्पाद ब्रांड ‘Abstract Harmonies’ के नाम से बाजार में उतारना चाहती हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद वंदना ने दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स एंड टेक्नीकल एजुकेशन से फाइन आर्ट में डिप्लोमा हासिल किया. इससे पहले के अवतार में वंदना बतौर क्रिएटिव प्रोफेशनल काम कर चुकी हैं और लोव लिंटास, ग्रे वर्ल्डवाइड, पब्लिसिस इंडिया, जेडब्ल्यूटी, ड्राफ्ट एफसीबी उल्का जैसी कंपनियों के साथ उन्होंने कई अद्भुत मीडिया अभियान और टीवी विज्ञापन भारतीय कंपनियां जैसे पेप्सी, नेस्ले, सैमसंग, वर्ल्पूल, मारुति सुजुकी, डिश टीवी, डाबर और एचपी के लिए बनाए हैं. वंदना कहती हैं कि ब्लॉग शुरू करने के दो साल में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने खुद से वेबसाइट तैयार की और इंटरनेट की मदद से आंत्रेप्रनर बन गईंं. आर्टिस्ट और आंत्रेप्रनर वंदना कहती हैं, ‘वास्तव में यह कठिन नहीं था और सच्चाई यह है कि इसने मुझे व्यापार को बढ़ाने में मदद की. मैंने पॉप-अप शॉप्स के लिए प्रीमियम स्थानों को चुना और रिटेलिंग की शुरुआत की. मैंने प्रिंटिंग और पैकेजिंग के लिए काफी खर्च किए.’
वंदना खुद को एक कलाकार के रूप में स्थापित करना चाहती हैं. अपने खाली समय वे लिखना पसंद करती हैं. फिलहाल वे छोटी कहानियों के संकलन पर काम कर रही हैं. वे हाथ से पेंट किए गए सामान भी बनाती हैं और कला को लाइफस्टाइल और फैशन के साथ गठजोड़ करना चाहती हैं. वंदना कुछ जूलरी ब्रांड के साथ करार भी करना चाहती हैं ताकि भविष्य में लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स पेश कर सकें. वंदना इस व्यापार के लिए अपनी पूरी बचत लगा चुकी हैं. वंदना की योजना अपनी कला को विविध बनाना चाहती हैं. वे लिमिटेड एडिशन आर्ट कलेक्शन या फिर हाथ से बने आर्ट पेश कर सकती हैं. वंदना कहती हैं, ‘आखिरकार यह कला है और इस कला में गुलाबी डॉट का भी मतलब है. इसका मतलब है कि किसी को भी छोटा महसूस नहीं करना चाहिए. मुझे पक्का विश्वास है कि सब कुछ असाधारण है.’
वे अपने समझदार परिवार पर गर्व महसूस करती हैं. उनका साढ़े सात साल का बेटा भी कला को पसंद करने लगा है. गर्व के साथ वंदना कहती हैं, ‘स्कूल से लौटकर उसका मेरे स्टूडियो की तरफ आना और यह देखना कि मैंने दिन में क्या बनाया है, यह बहुत ही विनम्र अनुभव होता है. उसे पता है कि उसकी मां कुछ रचनात्मक बना रही है और उसके चेहरे पर खुशी देखना बहुत ही कमाल का लगता है. मेरा स्टूडियो खुशी और भावपूर्ण जगह है और वह भी कभी यहां आकर काम करता है. उसे वहां काम करता देख मुझे बहुत खुशी होती है.’
लेखिका-सास्वती मुखर्जी
अनुवाद-आमिर अंसारी