लिंक्डइन ने जारी की समाज को बदलने के लिए काम कर रहे 8 भारतीयों की लिस्ट
लिंक्डइन ने ऐसे प्रोफेशनल्स की लिस्ट तैयार की है जो नवाचारों के माध्यम से समाज को ऊपर उठाने का काम कर रहे हैं। दूरस्थ इलाकों में शिक्षा प्रदान करने से लेकर हेल्थकेयर, ब्लड डोनेशन जैसे कामों में ये शख्सियतें संल्गन रही हैं। आपको हम लिंक्डइन की लिस्ट में शामिल कुछ ऐसे ही लोगों से मिलवाने जा रहे हैं।
दुनिया के पहले वर्चुअल ब्लड डोनेशन प्लेटफॉर्म के संस्थापक किरण ने 2016 में 'सिंपली ब्लड' नाम से अपना संगठन शुरू किया था। किरण के एक मित्र की मां का निधन खून की कमी की वजह से हो गया था।
प्रोफेशनल सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन ने हाल ही में भारत में सामाजिक प्रभाव पैदा करने वाली शख्सियों की लिस्ट का पांचवां संस्करण पेश किया। हर बार जहां टेक्नोलॉजी, सीईओ और फाइनैंस जैसी श्रेणियां रहती थीं वहीं इस बार 'सोशल इंपैक्ट' को भी शामिल किया। लिंक्डइन के ब्रैंड एंड कंज्यूमर मार्केटिंग निदेशक श्रीविद गोपानी कहती हैं, "हर किसी के लिए सफलता के अलग-अलग मायने हैं और लिंक्डन इन का मकसद एक समावेशी सफलता को प्रदर्शित करना है। लिंक्डइन पर हर तरह के लोग रहते हैं। विभिन्न क्षेत्र के लोगों की सफलता दर्शाने के लिए हमने ये लिस्ट जारी की।
उन्होंने कहा, 'आज समाज के लिए काम करना ही मायने रखता है, फिर चाहे वो कंपनी की बात हो या किसी शख्सियत की। हमारी टीम को यह जानने में काफी दिलचस्पी रही कि ये शख्सियतें अपने-अपने क्षेत्र में सामाजिक दायित्व के बारे में क्या कहती हैं।' लिंक्डइन ने ऐसे प्रोफेशनल की लिस्ट तैयार की है जो नवाचारों के माध्यम से समाज को ऊपर उठाने का काम कर रहे हैं। दूरस्थ इलाकों में शिक्षा प्रदान करने से लेकर हेल्थकेयर, ब्लड डोनेशन जैसे कामों में ये शख्सियतें संल्गन रही हैं। आपको हम लिंक्डइन की लिस्ट में शामिल कुछ ऐसे ही लोगों से मिलवाने जा रहे हैं:
विनीत नायर
एचसीएल टेक्नोलॉजीज में बतौर सीईओ काम करते हुए अपने सफल कार्यकाल के बाद विनीत नायर ने 2005 में सामाजिक कार्य में कदम रखा था। अपनी पत्नी अनुपमा नायर के साथ उन्होंने संपर्क फाउंडेशन की स्थापना की। अनुपमा स्पेशल एजुकेशन की विशेषज्ञ हैं। इस फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के स्कूलों को सुधारा जा रहा है। अभिनव के नेतृत्व में एक बड़े सामाजिक परिवर्तन की नींव रखी जा रही है। एक तरह से यह फाउंडेशन प्राइमरी स्कूल में बदलाव करने वाला विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। 2005 से लेकर अब तक संपर्क फाउंडेशन ने 76,000 स्कूलों में 70 लाख बच्चों को संपर्क स्मार्टशाला प्रोग्राम से लाभान्वितत कर चुका है।
किरण वर्मा
दुनिया के पहले वर्चुअल ब्लड डोनेशन प्लेटफॉर्म के संस्थापक किरण ने 2016 में 'सिंपली ब्लड' नाम से अपना संगठन शुरू किया था। किरण के एक मित्र की मां का निधन खून की कमी की वजह से हो गया था। उस घटना ने उन्हें सिंपली ब्लड को स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। किरण कहते हैं, 'इस पहल के पीछे का मूल विचार यह था कि बिना समय गंवाए जरूरतमंदों तक खून पहुंचाया जा सके। इस संगठन ने कई लोगों की मदद की है और मुझे यह सोचकर काफी खुशी होती है।'
'सिंपली ब्लड' ने अपने सदस्यों के माध्यम से रक्तदाताओं का एक विशाल नेटवर्क तैयार कर लिया है। नेटवर्क में शामिल लोग सिर्फ नाम गिनाने के लिए नहीं हैं, बल्कि जीपीएस टेक्नोलॉजी और ऐप डेटाबेस के आधार पर वे मदद करने के लिए भी हमेशा तत्पर रहते हैं। किसी को भी खून की जरूरत होती है तो वह इस ऐप के माध्यम से सैकड़ों रक्तदाताओं तक पहुंच सकता है।
रचना शर्मा
प्रतिष्ठित हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की पूर्व छात्रा, रचना शर्मा सामाजिक पहल 'विजन 2021- शांति के लिए दस लाख युवा' की फाउंडर हैं। सामूहिक चेतना की शक्ति का उपयोग करके मानव चेतना का विकास करने सहायता के लिए एक ढांचा, डिजाइन, मंच और संसाधन प्रदान करने के इरादे से शुरू किया गया यह संगठन भारत में युवा क्रांति को सुविधाजनक बनाने के लिए दुनिया के स्थापित/उभरते नेताओं को एकजुट करता है। उन्हें उम्मीद है कि समाजिक चेतना का निर्माण करके उभरते भारत के लिए एक ऐसा बल उत्पन्न किया जाए जो राज्य, क्षेत्र और देश के विकास में सहायक हो सके। वह मानवीय मदद और सामाजिक कार्यों की मदद से सामूहिक चेतना को प्रभावित करने में यकीन रखती हैं।
रचना भारत में महिला हिंसा के खिलाफ चलने वाले अभियान की गुडविल एम्बैस्डर भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में काफी वक्त तक काम करते हुए उन्होंने कई अनुभव बटोरे और उन पर दो किताबें भी लिखीं।
रुचि खेमका
विभिन्न क्षेत्रों में 15 साल तक काम करने के बाद रुचिका खेमका अब डच बैंक की सामाजिक दायित्व की शाखा को संभालती हैं। सामाजिक दायित्व के क्षेत्र को संभालने की वजह से उन्हें फर्म के विभिन्न हितधारकों के साथ काम करना पड़ता है। उनके नेतृत्व में कंपनी शिक्षा और सामुदायिक प्रभाव जैसे स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छ ऊर्जा और कौशल विकास के क्षेत्र में व्यक्तिगत परिवर्तकों के साथ काम कर रही है।
वह कहती हैं, 'देश के बड़े सामाजिक-आर्थिक एजेंडे के निर्माण की दिशा में एक उत्साही होने के नाते मैं एक स्थिर विचार रखने वाली नेता बनने की इच्छा रखती हूं। मेरा जुनून बच्चों और युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम करने में लगा रहता है। मेरा दृढ़ यकीन है कि कॉर्पोरेट सेक्टर में समाज को बदलने की शक्ति और ऊर्जा है।" डच बैंक का दावा है कि उसने महज बीते एक साल में 120,000 युवाओं बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण पहुंचाने में मदद की। इतना ही नहीं हजारों लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी हुई सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं।
सानू मैथ्यू
सानू जीएमआर वरलक्ष्मी की सीएसआर हेड हैं। यह कंपनी सामाजिक दायित्व के तहत कृषि, खाद्य और पोषण, सामुदायिक विकास, शिक्षा और रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल और आजीविका जैसे क्षेत्रों के लिए काम करती है। सानू मैथ्यू सामाजिक आधारभूत संरचना विकसित करने और समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए काम कर रही हैं। यह फाउंडेशन आठ राज्यों, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में काम करता है।
वह कहती हैं, 'मैंने 17 साल इस क्षेत्र में बिताए हैं जिसमें सात साल सीएसआर और नौ साल डेवलपमेंट फंडिंग को समर्पित हैं। इस वजह से मैं दुनिया और समाज के लिए बेहतर सोच पाती हूं।' जीएमआर के माध्यम से वह शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्र में की गई पहलों के माध्यम से पिछड़े समुदायों की जिंदगी बदलने की राह पर काम कर रही हैं।
शीतल मेहता
प्राथमिक शिक्षा और साक्षरता पर सीआईआई नेशनल कमेटी की सदस्य और बॉम्बे चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की सीएसआर कमेटी की सदस्य हेड शीतल मेहता महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड की सीएसआर पहलों को संभालती हैं। वह 2001 से केसी महिंद्रा एजुकेशन ट्रस्ट की कार्यकारी निदेशक भी हैं। उनके नेतृत्व में, के सी महिंद्रा एजुकेशन ट्रस्ट ने वंचित तबके की लड़कियों की शिक्षा पर जोर देने के साथ-साथ युवा लड़कियों को कौशल विकास के प्रशिक्षण पर काफी जोर दिया। लड़कियों को वित्तीय सहायता जैसी मदद भी इस ट्रस्ट द्वारा दी जाती है।
श्रुति कपूर
आईआरएमए ( IRMA) अहमदाबाद की पूर्व छात्रा श्रुति दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से भी पढ़ी हैं। वह एक डेवलपमेंट प्रोफेशनल हैं। उन्हें सरकारी और गैर-सरकारी विकास संगठनों में काम करने का तीन साल का कार्य अनुभव है। वह 2014 से 2016 तक सहगल फाउंडेशन में एक सहायक कार्यक्रम लीडर के तौर पर सीधे जुड़ी रही हैं। अभी फिलहाल वह मैकिंजी सोशल इनिशिएटिव के साथ बतौर प्रोग्राम मैनेजर काम कर रही हैं। यह संस्था कौशल विकास के क्षेत्र में काम कर रही है।
पिछले तीन सालों में उन्होंने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के साथ क्षमता निर्माण, ग्रामीण स्तर के संस्थानों को मजबूत करने, जीवन कौशल शिक्षा और स्कूल प्रबंधन समितियों के साथ गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम किया है।
महबूब वारिस
महबूब 'पेशेंट प्राइमस' नाम के संस्थान के संस्थापक है। उन्होंने 2017 में इस कंपनी की स्थापना की थी जो कि भारत में डिजिटल हेल्थकेयर सर्विस प्रदान करती है। इसमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी आधारित समाधान शामिल होते हैं। महबूब कहते हैं, 'मेरे भीतर विज्ञान और प्रोद्योगिकी को लेकर एक अलग तरह का जुनून है। मैं दुनिया को एक सकारात्मक प्रयास के जरिए बदलना चाहता हूं।' बीते पांच सालों तक महबूब ने सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के संस्थानों के साथ मिलकर काम किया। उन्हें पचा चला कि डॉक्टर और मरीज के बीच एक खाई बनी रहती है जिसे वे पाटना चाहते हैं।
'पेशेंट प्राइमस' उपभोक्ताओं को ऑनलाइन वीडियो और ऑडियो कंसल्टेशन उपलब्ध कराता है। इतना ही नहीं यह ब्लॉग के माध्यम से लोगों को कई तरह की बीमारियों और समस्याओं से परिचित भी कराता है। जिसमें लोगों को साफ-सफाई के लिए जागरूक रहने को कहा जाता है।
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