अब 4 में से 3 शहरी भारतीयों के पास जीवन बीमा है: सर्वे
शहरी भारतीयों के बीच जीवन बीमा को लेकर जागरूकता एवं स्वीकार्यता बढ़ी, प्रोटेक्शन क्वोशंट अब 45 पर पहुंचा.
हाइलाइट्स
- शहरी भारतीयों के बीच जीवन बीमा प्रोडक्ट्स को लेकर बढ़ी हुई जागरूकता से नॉलेज इंडेक्स 61 पर पहुंचा, टर्म लाइफ इंश्योरेंस खरीदते समय कवर और राइडर्स को मिल रही ज्यादा प्राथमिकता
- वित्तीय रूप से दक्षिणी भारत सबसे ज्यादा तैयार है, पश्चिम भारत में पिछले साल की तुलना में आईपीक्यू में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है
- कामकाजी महिलाओं का प्रोटेक्शन क्वोशंट भी बढ़ा, अब कामकाजी पुरुषों की बराबरी पर हैं महिलाएं
- नॉन-डिजिटल की तुलना में डिजिटल-सैवी शहरी भारतीयों का प्रोटेक्शन क्वोशंट 45 के मुकाबले 54 पर रहा
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने हाल ही में अपने फ्लैगशिप सर्वे इंडिया प्रोटेक्शन क्वोशंट (IPQ के छठे संस्करण के निष्कर्ष जारी किए. इस सर्वे को दुनिया की अग्रणी मार्केटिंग डाटा एवं एनालिटिक्स कंपनी कांतार के साथ मिलकर पूरा किया गया है. 25 भारतीय शहरों में 4,700 प्रतिभागियों पर किए गए इस सर्वेक्षण से फाइनेंशियल प्रोटेक्शन को लेकर शहरी भारत की स्थिति सामने आई है. यह आईपीक्यू का छठा संस्करण है और यह सबसे व्यापक एवं लंबे समय से चल रही फाइनेंशियल स्टडीज में से एक है. 'प्रोटेक्शन फॉर ऑल' की थीम के साथ इसमें जेन-जी, महिलाओं, मिलेनियल्स समेत बड़े वर्ग को कवर किया जाता है.
आईपीक्यू 6.0 के मुताबिक, वित्तीय तैयारियों को लेकर शहरी भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है. आज के समय में हर चार में से तीन शहरी भारतीय ने जीवन बीमा लिया हुआ है. आईपीक्यू 5.0 के 43 से बढ़कर प्रोटेक्शन इंडेक्स 45 पर पहुंच गया है, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है. यह प्रोटेक्शन को लेकर देश में बढ़ती जागरूकता एवं प्रोटेक्शन प्रोडक्ट्स की बढ़ती स्वीकार्यता को दिखाता है. नॉलेज इंडेक्स के आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं. नॉलेज इंडेक्स 57 (आईपीक्यू 5.0) से बढ़कर 61 (आईपीक्यू 6.0) पर पहुंच गया है. लाइफ इंश्योरेंस ऑनरशिप का स्तर 73 (आईपीक्यू 5.0) से बढ़कर 75 (आईपीक्यू 6.0) पर पहुंच गया है. पांच साल के अंतराल पर इंडिया प्रोटेक्शन क्वोशंट में शानदार 10 अंकों का उछाल देखने को मिला है. आईपीक्यू 1.0 के 35 से बढ़कर यह आईपीक्यू 6.0 में 45 पर पहुंच गया है. यह दिखाता है कि किस तरह से फाइनेंशियल रेजिलिएंस के लिए शहरी भारतीय लगातार प्रयासरत हैं.
नवीनतम आंकड़े फाइनेंशियल वेल-बीइंग में सुधार की तस्वीर भी दिखा रहे हैं. शहरी भारतीयों की वित्तीय सुरक्षा का स्तर आईपीक्यू 5.0 के 63 प्रतिशत की तुलना में आईपीक्यू 6.0 में 65 प्रतिशत पर पहुंच गया है. हालांकि अभी महामारी के पूर्व के स्तर पर पहुंचने में समय लगेगा. पिछले साल के आंकड़ों से तुलना करें तो मेट्रो शहर इस साल 50 पॉइंट के बहुत नजदीक पहुंच गए हैं. मेट्रो शहरों में प्रोटेक्शन क्वोशंट 49 पॉइंट रहा. दूसरी ओर टियर 2 शहरों में लाइफ इंश्योरेंस ऑनरशिप और एडॉप्शन स्थिर बना हुआ है और आईपीक्यू मात्र 36 पॉइंट पर है. पिछले साल के ही अनुरूप, दक्षिण भारत 49 पॉइंट के प्रोटेक्शन क्वोशंट के साथ वित्तीय रूप से सबसे सुरक्षित जोन बना हुआ है. इसके बाद पश्चिम भारत का स्थान है, जहां वित्तीय तैयारियों का स्तर आईपीक्यू 5.0 के 42 से बढ़कर आईपीक्यू 6.0 में 46 पॉइंट पर पहुंच गया है. उत्तर एवं पूर्वी भारत क्रमश: 41 एवं 40 पॉइंट के साथ फाइनेंशियल प्रोटेक्शन के मामले में पीछे हैं.
आंकड़ों में जनसांख्यिकी से जुड़े अहम तथ्य भी सामने आए हैं. इसमें देखने को मिला है कि मिलेनियल्स भी वित्तीय तैयारियों के मामले में बड़ी उम्र के लोगों के नजदीक ही हैं. दोनों के अंक क्रमश: 45 और 46 हैं. दूसरी ओर, जेन जेड इस मामले में सबसे कम सुरक्षित है और इस पीढ़ी का प्रोटेक्शन क्वोशंट 42 पर है. ऐसा इंश्योरेंस ऑनरशिप कम होने के कारण है. फाइनेंशियल प्रोटेक्शन के मामले में कामकाजी महिलाओं ने उल्लेखनीय प्रगति की है. उनका प्रोटेक्शन क्वोशंट 47 पॉइंट रहा है, जो कामकाजी पुरुषों के ही बराबर है. इससे इस मामले में जेंडर गैप कम हुआ है. उल्लेखनीय है कि इस समय 10 में से 8 कामकाजी महिलाएं लाइफ इंश्योरेंस में इन्वेस्ट कर रही हैं.
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रशांत त्रिपाठी ने कहा, "पिछले पांच संस्करणों में इंडिया प्रोटेक्शन क्वोशंट शहरी भारत में फाइनेंशियल प्रोटेक्शन की स्थिति के आकलन का सही पैमाना बन गया है. साल-दर-साल आईपीक्यू मजबूत, व्यापक और ज्यादा समावेशी हो रहा है. हर चार में से तीन शहरी भारतीयों ने आज के समय में लाइफ इंश्योरेंस लिया हुआ है. विभिन्न वर्गों की वित्तीय समझ में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल रहा है. इस तस्वीर ने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, टेलर्ड प्रोडक्ट्स बनाने और जागरूकता के मामले में संभावनाओं के ज्यादा द्वार खोले हैं. इनसे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि देश में इंश्योरेंस की पहुंच बढ़े. साथ ही इससे 2047 तक प्रत्येक व्यक्ति तक इंश्योरेंस पहुंचाने के लक्ष्य को समर्थन मिलेगा."
कांतार की साउथ एशिया, इनसाइट्स डिवीजन की एमडी एवं चीफ क्लाइंट ऑफिसर सौम्या मोहंती ने कहा, "जीवन बीमा को लेकर जागरूकता बढ़ाने और देशभर में वित्तीय सुरक्षा की बढ़ती जरूरत को सामने लाने के लिए हमें मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के साथ गठजोड़ की खुशी है. भारत के सबसे लंबे समय से चल रहे अध्ययनों में शुमार इंडिया प्रोटेक्शन क्वोशंट सर्वे लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर के लिए आंकड़ों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां देने के मामले में महत्वपूर्ण टूल की तरह काम करता है. छह वर्षों के इस अंतराल में आईपीक्यू के आंकड़ों ने वित्तीय आदतों, सेविंग्स पैटर्न और शहरी भारतीयों के बीच इंश्योरेंस की व्यापकता को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां सामने रखी हैं, जो इसे देश की वित्तीय तैयारियों का अति आवश्यक मानक बना देता है."