15 साल के निर्भय ने एक साल में पूरी की बी.टेक की पढ़ाई, अब पीएचडी की प्लानिंग
1 साल में B.Tech करने वाला 15 साल का निर्भय...
इस बार गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) का कॉन्वोकेशन कुछ हटकर था क्योंकि बाकी तमाम रेग्युलर छात्र-छात्राओं के साथ 15 साल के निर्भय को भी इंजीनियरिंग की डिग्री दी गई।
निर्भय ने एसएएल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की है। उसने सिर्फ एक साल में अंतिम परीक्षा पास करते हुए 8,23 प्रतिशत सीजीपीए हासिल किया।
15 साल की उम्र में बच्चे क्या करते हैं? जाहिर सी बात है स्कूल की पढ़ाई और बोर्ड एग्जाम के चक्कर में फंसे होते हैं और भविष्य की तैयारियां कर रहे होते हैं कि स्कूल से निकलने के बाद उन्हें क्या करना है। लेकिन गुजरात के भुज के रहने वाले 15 वर्षीय छात्र निर्भय की कहानी हैरान कर देने वाली है। उन्होंने इतनी सी उम्र में ही बी.टेक कंप्लीट कर लिया है। इस बार गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) का कॉन्वोकेशन कुछ हटकर था क्योंकि बाकी तमाम रेग्युलर छात्र-छात्राओं के साथ 15 साल के निर्भय को भी इंजीनियरिंग की डिग्री दी गई। निर्भय ने सिर्फ एक साल में ही बी.टेक की पढ़ाई पूरी कर सबको हैरत में डाल दिया है।
जीटीयू के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि इतनी कम उम्र के बच्चे ने बी.टेक की डिग्री हासिल की है। गुजरात के सीएम विजय रुपाणी ने गत 12 जनवरी को तमाम छात्रों के साथ निर्भय को भी डिग्री प्रदान की। निर्भय ने एसएएल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में इंजीनियरिंग की है। उसने सिर्फ एक साल में अंतिम परीक्षा पास करते हुए 8,23 प्रतिशत सीजीपीए हासिल किया। निर्भय ने कहा, 'मुझे हर 40 से 50 दिनों में अपने सेमेस्टर एग्जाम के लिए परीक्षा देनी होती थी। मैं हर दिन लगभग 6 घंटे की पढ़ाई किया करता था। उन 50 दिनों में मैं 6 अलग-अलग विषयों के लगभग 4,000 पन्ने पढ़ लेता था। '
निर्भय ने बताया कि सभी सेमेस्टर में उसने ऐसा किया। स्पोर्ट्स के शौकीन निर्भय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्य सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि AICTE और GTU के बगैर ऐसा संभव नहीं हो पाता। उसने 8, 9, 10, 11 और 12वीं की परीक्षा भी एक साल में ही दी थी। उसने इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (IGCSE) सिस्टम के तहत यह परीक्षाएं पास की थीं। यह प्रोग्राम कैंब्रिज इंटरनेशनल एग्जामिनेशन के द्वारा संचालित किया जाता है। निर्भय के पिता इंजीनियर हैं वहीं मां एक डॉक्टर हैं। उन्होंने निर्भय को आगे की पढ़ाई कम समय में पूरा कराने के लिए एडमिशन कमिटी फॉर प्रोफेशनल कोर्सेज (ACPC) और (AICTE) के सामने यह मामला भेजा था, जहां से अनुमोदन मिलने के बाद निर्भय की पढ़ाई शुरू हुई।
निर्भय ने 2016 में बी. टेक. के लिए अपना एनरोलमेंट करवाया था और 2017 अक्टूबर में उसने बी.टेक की परीक्षा भी पास कर ली। निर्भय को कई सारे आईआईटी संस्थानों से अब पीएचडी करने करने का ऑफर मिला है, लेकिन उसने बताया कि वह कई सारी पीएचडी करने की बजाय एक खास रिसर्च पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहता है। उसने बताया कि वह भारत में रक्षा के क्षेत्र में कई सारे रिसर्च सेंटर स्थापित करना चाहता है। अभी वह फिलहाल आईआईटी गांधीनगर के सहयोग से 'सुपर कंडक्टिंग सिंक्रोनस मशीन' पर शोध कर रहा है। यह तकनीक फाइटर प्लेन और सबमरीन में इस्तेमाल की जाती है।
इस प्रॉजेक्ट के बाद वह पीएचडी करने के बारे में सोचेगा। निर्भय के पिता धवल ठाकर खुद भी एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और अपने बेटे की सफलता में उन्होंने काफी योगदान दिया है। धवल ने बताया कि करीब दस साल पहले निर्भय के टीचरों ने बताया कि उनका बेटा पढ़ाई में काफी कमजोर है और इसलिए उसे सीनियर केजी में दोबारा पढ़ाई करनी होगी। इससे धवल काफी व्यथित हुए और उन्होंने अपने बच्चे को खुद ही शिक्षा देने के बारे में सोचा। उन्होंने निर्भय के लिए ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जिसमें किताबी ज्ञान को रटने से ज्यादा सीखने पर फोकस था। धवल का मानना है कि सीखने की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए जिसमें बच्चे भी रुचि ले सकें।
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