उदयपुर से शुरू हुए इस स्टार्टअप ने सिर्फ़ 3 सालों में 150 देशों तक फैलाया अपना बिज़नेस
इसे कहते हैं छा जाना: उदयपुर की 32 वर्षीय आस्था खेतान ने 150 देशों तक फैलाया अपना बिज़नेस...
'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' नाम का यह स्टार्टअप अपने ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से देश-विदेश के ग्राहकों को भारतीय कला और शिल्प से लबरेज़ उत्पाद मुहैया करा रहा है। उदयपुर में ही पली-बढ़ीं 32 वर्षीय आस्था खेतान ने 2015 में इसकी शुरूआत की थी और आज कंपनी 150 देशों तक अपना बिज़नेस फैला चुकी है।
देश में कई ऐसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स हैं, जो डेकोरेशन प्रोडक्ट्स उपलब्ध करा रही हैं। आस्था, 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' को बाक़ी प्लेटफ़ॉर्म्स से अलग मानती हैं। आस्था कहती हैं कि उनकी कंपनी प्रीमियर से लेकर लग्ज़री रेंज के प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती है।
स्टार्टअप: द हाउस ऑफ़ थिंग्स
फ़ाउंडर: आस्था खेतान
शुरूआत: 2015
जगह: उदयपुर
सेक्टर: होम ऐंड लाइफ़स्टाइल
फ़ंडिंग: सेल्फ़-फ़ंडेड
भारत में कला और शिल्प की भरमार है। आज हम आपको उदयरपुर आधारित एक ऐसे स्टार्टअप के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने देश की इस धरोहर को पूरे देश में और विदेश में फैलाने का जिम्मा उठाया है। 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' नाम का यह स्टार्टअप अपने ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से देश-विदेश के ग्राहकों को भारतीय कला और शिल्प से लबरेज़ उत्पाद मुहैया करा रहा है। उदयपुर में ही पली-बढ़ीं 32 वर्षीय आस्था खेतान ने 2015 में इसकी शुरूआत की थी और आज कंपनी 150 देशों तक अपना बिज़नेस फैला चुकी है।
2007 में यूके से मार्केटिंग की डिग्री लेने के बाद आस्था ने लंदन आधारित एक डिजिटल मीडिया एजेंसी में काम किया और इसके बाद वह यूनीलीवर से जुड़कर मुंबई आ गईं। आस्था ने नौकरी को पर्याप्त समय ज़रूर दिया, लेकिन वह हमेशा से ही ऑन्त्रप्रन्योर बनना चाहती थीं।
आस्था को हमेशा लगता था कि उदयपुर में लोगों के पास अच्छे और लग्ज़री सामानों के विकल्प न के बराबर हैं और वे स्थानीय बाज़ार के सीमित विकल्पों और ऑनलाइन शॉपिंग पर ही निर्भर हैं। उन्होंने इस कमी को पूरा करने के बारे में सोचा। 2015 में आस्था ने अपनी सोच को मुकम्मल किया और 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' की शुरूआत की, जहां पर घर को सजाने में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों के लिए ग्राहकों के पास विकल्पों की भरमार है।
आस्था ने अपने पैसों से ही इस कंपनी की शुरूआत की। 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स', फ़र्नीचर, लाइटिंग, होम वेयर्स और टेक्सटाइल्स समेत कई अन्य तरह के उत्पादों के ग्राहकों के लिए पेश करता है। ये उत्पाद, 200 से अधिक ब्रैंड्स और दुनियाभर के कलाकारों के मारफ़त उपलब्ध कराए जाते हैं।
अपनी कंपनी के नाम में 'थिंग्स' शब्द के इस्तेमाल पर योर स्टोरी से बातचीत करते हुए आस्था कहती हैं कि उन्होंने इस शब्द का चुनाव इसलिए किया क्योंकि इसके कई मायने हो सकते हैं और इस वजह से उन्हें कैटेगरीज़ के फेर में फंसना नहीं पड़ता। 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' ने विभिन्न ब्रैंड्स के कलात्मक उत्पादों की पूरे भारत में सप्लाई से शुरूआत की थी। आइडिया इतना लोकप्रिय और बिज़नेस के नज़रिए से इतना उपयुक्त साबित हुआ कि महज़ 3 सालों में ही 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' ने 150 देशों तक अपनी पहुंच बना ली है।
आस्था ने ख़ास ज़ोर देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य है कि डिज़ाइन इंडस्ट्री में भारत को आधुनिक प्रयोगों के एक गढ़ के रूप में प्रस्तुत किया जाए, न कि हमारा देश सिर्फ़ कलाकारों और शिल्पकारों का एक जमावड़ा मात्र बनकर रह जाए।
कुछ प्रोडक्ट्स ऐसे भी थे, जिन्हें कंपनी किसी अन्य ब्रैंड की मदद से उपलब्ध नहीं करा पा रही थी। इस बात का हल निकालने के लिए कंपनी ने अपने लेबल के अंतर्गत डिज़ाइनिंग और मैनुफ़ैक्चरिंग शुरू कर दी। आई. ई. वी. ओ., कंपनी की अपनी मैनुफ़ैक्चरिंग यूनिट है। कंपनी के उत्पादों का कलेक्शन सिर्फ़ उनके ही प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध है। आस्था ने बताया कि उनकी टीम पूरी दुनिया में घूमती है और उम्दा से उम्दा निर्माताओं के साथ मिलकर काम करती है।
देश में कई ऐसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स हैं, जो डेकोरेशन प्रोडक्ट्स उपलब्ध करा रही हैं। आस्था, 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' को बाक़ी प्लेटफ़ॉर्म्स से अलग मानती हैं। आस्था कहती हैं कि उनकी कंपनी प्रीमियर से लेकर लग्ज़री रेंज के प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराती है। आस्था ने बताया कि उनकी कंपनी अपने ग्राहकों तक मुख्य रूप से ब्लॉग्स के ज़रिए पहुंचती है और इससे उनके उत्पाद और बिज़नेस को एक ख़ास तरह का फ़ायदा मिलता है। साथ ही, कंपनी अपने ग्राहकों को उच्च-स्तरीय कॉन्टेन्ट भी उपलब्ध करा पाती है।
ब्लॉग्स के अलावा सोशल मीडिया से भी कंपनी को पर्याप्त बिज़नेस मिलता है। सोशल मीडिया मार्केटिंग की स्ट्रैटजी के बारे में जानकारी देते हुए आस्था ने बताया कि पहले तो कंपनी अपने ग्राहकों को ठीक तरह से समझती है और जानती है कि उनके इंटरेस्ट क्या हैं; भौगौलिक पृष्ठभूमि का क्या है; मैरिटल स्टेटस क्या है; और उनकी उम्र क्या है आदि। इन सभी के माध्यम से संभावित उपभोक्ताओं (पोटेंशियल कन्ज़्यूमर्स) तक पेज टारगेटिंग के ज़रिए पहुंच बनाई जाती है। आस्था कहती हैं कि ई-मेल मार्केटिंग के ज़रिए ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद मिलती है।
आस्था के मुताबिक़, 50 प्रतिशत से ज़्यादा यूज़र्स को सामान ख़रीदने से पहले और बाद में पर्सनल सपोर्ट की अपेक्षा होती है। आस्था मानती हैं कि यूज़र्स को पर्सनलाइज़्ड सर्विस मुहैया कराने की रणनीति ही उन्हें बाक़ी वेंचर्स से अलग बनाती है। कंपनी, अपने क्लाइंट्स को उनकी अपेक्षाओं के मद्देनज़र, सबसे उपयुक्त उत्पाद का चुनाव करने में मदद करती है।
कंपनी की वेबसाइट पर हर महीने लगभग 8 हज़ार विज़िटर्स आते हैं। आस्था ने जानकारी दी कि उनके पास लगभग 80 प्रतिशत ग्राहक ऐसे हैं, जो पहला उत्पाद ख़रीदने के 6-8 महीनों के भीतर ही दूसरे ऑर्डर की मांग करते हैं।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर्स की आपूर्ति के लिए कंपनी ने थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स वेंडर्स के साथ पार्टनरशिप कर रखी है। आस्था मानती हैं कि सही तकनीक का चुनाव करना, सबसे बड़ी चुनौती थी और उनके लिए उदयुपर में वेबसाइट बनाने के लिए कोडर्स और डिवेलपर्स को ढूंढना और हायर करना बेहद मुश्किल काम था।
आस्था कहती हैं कि 'द हाउस ऑफ़ थिंग्स' एक ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म है और इसलिए सही तकनीक की इसमें बेहद अहम भूमिका है। आस्था मानती हैं कि उनके बिज़नेस की बदौलत स्थानीय अर्थव्यवस्था को पर्याप्त बल मिला है। आस्था कहती हैं कि वह अपनी कंपनी के माध्यम से उदयपुर के स्थानीय कलाकार और शिल्पकार समुदायों के उत्पादों को ग्लोबल मार्केट तक पहुंचा रही हैं। कंपनी के सीएसआर प्रोजेक्ट्स के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि उनका ब्रैंड,उदयपुर की स्थानीय सामाजिक संस्थाओं-ट्रस्ट, सांस्कृतिक संगठनों और गैर-लाभकारी संगठनों के साथ भी काम करती रहती है और सामाजिक भलाई के कामों में पैसा भी लगाती रहती है।
आस्था बताती हैं कि उनका ब्रैंड हर कलाकार से उसका एक्सक्लूसिव डिज़ाइन ही लेता है और अपने प्लेटफ़ॉर्म पर उसे जगह देता है। आस्था मानती हैं कि यह रणनीति उनके प्लेटफ़ॉर्म को एक्सक्लूसिव बनाती है और इसलिए कई बार ऐसा होता है कि यूज़र किसी ख़ास प्रोडक्ट की तलाश में उनकी वेबसाइट पर आता है।
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