दुनिया को हंसाते-हंसाते रुला गए 'फिर हेरा फेरी' के डायरेक्टर नीरज वोरा
अपनी राइटिंग, डायरेक्शन और बेजोड़ कॉमेडी से करोड़ों फिल्म दर्शकों का दिल जीतने वाले नीरज वोरा को विनम्र श्रद्धांजलि...
नीरज वोरा वो शख़्स, जो फिल्मों के साथ-साथ थियेटर में भी सक्रिय थे। साथ ही कई फिल्मों के लेखक भी रहे। उन्होंने 'रंगीला', 'अकेले हम अकेले तुम', 'ताल', 'जोश', 'बदमाश', 'चोरी चोरी चुपके चुपके', 'आवारा पागल दीवाना' जैसी फिल्मों के संवाद लिखे। अपनी राइटिंग, डायरेक्शन और बेजोड़ कॉमेडी से करोड़ों फिल्म दर्शकों का दिल जीतने वाले नीरज आज सुबह तड़के इस दुनिया से चले गए। इस खबर को सुन बरबस ही लोगों की आंखें नम हो गईं। आईये जानें नीरज के जीवन को थोड़ा और करीब से...
नीरज वोरा के साथ एक और त्रासदी यह रही कि उनके परिवार में कोई नहीं है। उनकी पत्नी और माँ पहले ही गुजर चुकी हैं। उनकी कोई संतान नहीं है। ऐसे में परिवार के नाम पर नीरज के दोस्त ही उनका सहारा रहे।
अपनी राइटिंग, डायरेक्शन और बेजोड़ कॉमेडी से करोड़ों फिल्म दर्शकों का दिल जीतते रहे नीरज वोरा आज सुबह तड़के इस दुनिया से चले गए। इस खबर से बरबस लोगों की आंखें भर आईं। 19 अक्टूबर, 2016 को उन्हें हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक आया था। उसके बाद उन्हें दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। वहां वे कोमा में चले गए। इसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। पिछले 10 महीने से वह कोमा में थे। उनकी उम्र 54 साल थी। आज गुरुवार सुबह करीब 4 बजे अंधेरी (मुंबई) के कृति केयर हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली।
सांसद, एक्टर और कॉमेडियन परेश रावल ने ट्वीट कर नीरज की मौत की जानकारी दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- 'Neeraj Vora - The writer n director of Phir Hera Pheri n many hit films is no more ...Aum Shanti' आज दोपहर बाद करीब 3 बजे सांताक्रूज श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार होने जा रहा है। दिल्ली स्थित एम्स में हालत में कुछ सुधार के बाद उनके दोस्त एवं प्रसिद्ध निर्देशक फिरोज नाडियाडवाला मार्च, 2017 में उन्हें मुंबई ले आए। तब से नीरज उन्हीं के यहां रह रहे थे। कोमा की हालत में फिरोज नाडियाडवाला नीरज की पूरी जिम्मेदारी उठा रहे थे। यहां तक कि फिरोज ने जुहू स्थित अपने घर 'बरकत विला' के एक कमरे को ही आईसीयू में कन्वर्ट करा दिया था।
फिरोज के मुताबिक, मार्च 2017 से नीरज के लिए चौबीसों घंटे एक नर्स, वॉर्ड ब्वॉय और कुक रहता था। इसके अलावा फिजियोथेरेपिस्ट, न्यूरो सर्जन, एक्यूपंक्चर थेरेपिस्ट और जनरल फिजिशियन हर हफ्ते विजिट पर आते थे। इस कमरे की दीवारों पर नीरज की तमाम फिल्मों की तस्वीरें लगाई गईं, ताकि उन्हें देखकर शायद उनकी याद्दाश्त ठीक हो सके। कमरे के एक कोने में टीवी के साथ उनकी फिल्मों की तमाम डीवीडी भी रखी गईं, जिस पर उनकी फिल्में चलाई जाती रहीं। नीरज की इस हालत के चलते उनकी निर्माणाधीन फिल्म 'हेराफेरी-3' दर्शकों तक पहुंचने से रह गई। इस फिल्म में जॉन अब्राहम, अभिषेक बच्चन, परेश रावल, श्रुति हासन नजर आने वाले थे।
वोरा ने फिल्म 'दौड़' की स्क्रिप्ट भी खुद लिखी थी और इस फिल्म में चाकोजी का किरदार भी निभाया था। नीरज वोरा के साथ एक और त्रासदी यह रही कि उनके परिवार में कोई नहीं है। उनकी पत्नी और माँ पहले ही गुजर चुकी हैं। उनकी कोई संतान नहीं है। ऐसे में परिवार के नाम पर नीरज के दोस्त ही उनका सहारा रहे। बॉलीवुड इंडस्ट्री में आमिर खान और परेश रावल का नाम नीरज के अच्छे दोस्तों में शामिल हैं। दोनों ही सितारे वोरा को बरकत विला में देखने जाते रहते थे। 22 जनवरी 1963 को गुजरात के भुज में जन्मे नीरज ने अपनी पहचान बतौर राइटर, डायरेक्टर और कॉमेडियन बनाई। वह 'फिर हेरा फेरी', 'खिलाड़ी 420' जैसी फिल्मों के निर्देशक रहे जबकि अक्षय कुमार, सलमान खान के साथ कई हिट फिल्मों में अहम किरदार निभाए।
वे थियेटर में भी सक्रिय थे। साथ ही कई फिल्मों के लेखक भी रहे। उन्होंने 'रंगीला', 'अकेले हम अकेले तुम', 'ताल', 'जोश', 'बदमाश', 'चोरी चोरी चुपके चुपके', 'आवारा पागल दीवाना' जैसी फिल्मों के संवाद लिखे। उन्होंने रंगीला (1995), सत्या (1998), बादशाह (1999), पुकार (2000), बोल बच्चन (2012) और वेलकम बैक (2015) जैसी कई फिल्मों में काम किया। बचपन से ही उनका रुझान आर्ट फील्ड में था। पिता पंडित विनायक राय नंदलाल वोरा ने उन्हें हारमोनियम पर बॉलीवुड सॉन्ग्स की धुन निकालना सिखाया था। 6 साल की उम्र में नीरज ने थिएटर शुरू कर दिया था। कॉलेज के दिनों में उन्होंने कई ड्रामा में काम किया और अवॉर्ड भी जीते।
इसके बाद आमिर खान स्टारर 'होली' में उन्होंने एक्टिंग की, जिसे केतन मेहता ने डायरेक्ट किया था। यह फिल्म साल 1984 में प्रदर्शित हुई थी। उसके बाद उन्होंने राजू बन गया जेंटलमैन, रंगीला, अकेले हम अकेले तुम, मन, बादशाह, हेल्लो ब्रदर जैसी फिल्मों में काम किया। हालांकि, नीरज को बॉलीवुड में मुकाम मिला आमिर खान स्टारर 'रंगीला' (1995) से, जिसके डायलॉग्स उन्होंने लिखे थे। इस फिल्म में उनका छोटा सा रोल भी था।
नीरज ने कभी भी हिंदी सिनेमा में आने की ख्वाइश नहीं रखी थी। उन्होंने बेहद छोटी उम्र में ही अपने पिता से तार-शहनाई की शिक्षा लेनी आरम्भ कर दी, उसके बाद उन्होंने गुजरात थिएटर ज्वाइन कर लिया। उनकी लगन देखकर उनके पिता ने उन्हें गुजरती सिनेमा में जाने लिए उत्सहित किया। उन्होंने निर्देशन की दुनिया में कदम वर्ष 2000 में फिल्म 'खिलाड़ी 420' से रखा था। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में अक्षय कुमार, महिमा चौधरी और गुलशन ग्रोवर नजर आये थे। इस फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर काफी अच्छी कमाई की थी। इस फिल्म के बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई बेहतरीन फ़िल्में निर्देशित कीं।
यह भी पढ़ें: आज ही के दिन राज कपूर को रुलाया था शैलेंद्र ने