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कैसे एक आइडिया को सफल कारोबार में बदला जा सकता है?

कैसे एक आइडिया को सफल कारोबार में बदला जा सकता है?

Wednesday March 09, 2016 , 3 min Read

महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने योर स्टोरी के सहयोग से राजधानी दिल्ली में ‘शक्ति’ नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया। ये मौका था महिलाओं की उपलब्धियों पर जश्न मनाने का। पैनल की चर्चा में योर स्टोरी की तरफ से जय वर्धन ने हिस्सा लिया जिनके साथ पैनल में मौजूद नामचीन लोगों ने प्रासंगिक सवाल ‘एक विचार को कारोबार में कैसे बदला जा सकता है ?’ पर बातचीत की।

सूचना के इस युग में विचारों की बौछार होने लगी है। हमारे सामने रोज नये विचार सामने आ रहे हैं, लेकिन अक्सर हम ऐसे विचारों पर यकीन नहीं करते। ऐसे में सबसे पहला प्रश्न पैदा होता है कि “हमें कब अपने विचारों को हकीकत में बदलने के लिये काम करना चाहिए” इसके जवाब में गूंज की सह-संस्थापक मीनाक्षी गुप्ता का कहना था कि 

“जब वो विचार आपको सोने भी ना दे।”


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एमब्रियो की सोनाली त्रिपाठी का कहना था किसी की भी सर्वोच्च प्राथमिकता समस्याओं का निदान करने की होनी चाहिए। उनका कहना था कि अगर कोई सोचता है कि उसके पास किसी समस्या को दूर करने का विचार है तो उसे आगे आकर काम करना चाहिए। कुछ मामलों में वो विचार नहीं बल्कि ऐसी कोई समस्या होती है जिसके समाधान के लिए स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया जाता है। वी रोसोर्ट की सह-संस्थापक अदिति बलबीर का कहना था कि “भारत में बहुत सारे लोग कुछ खास जगहों पर घर और होटल बनाते हैं और सोचते हैं कि साल के कम से कम दो महीने वो यहां पर गुजारेंगे, लेकिन हालात ऐसे नहीं बनते। ऐसे में वो घर या होटल सिर्फ केयरटेकर के भरोसे रहते हैं और ये एक तरह की बदइंतजामी होती है। इस चीज को देखते हुए विचार आया कि ऐसे रिसार्ट को अपने हाथ में लिया जाये और उनको संभाला जाये। जिसके बाद बेडरोक वेंचर ने फैसला लिया कि वो इस विचार पर निवेश करेगा और इसके लिये पेशेवर सीईओ की नियुक्ति कर इस काम को शुरू करेगा। इस तरह मेरा इस कंपनी में आना हुआ।”

अदिति इस प्रोजेक्ट के साथ काफी करीब से जुड़ीं और जल्दी ही उन्होने यहां पर फुल टाइम काम करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं साल 2012 में सह-संस्थापक के तौर पर उन्होंने इस प्रोजेक्ट को अपनी ओर से भी निवेश किया। इस तरह एक स्टार्टअप तैयार हुआ। स्टार्टअप बनाने से लेकर निवेश हासिल करना किसी भी स्टार्टअप के लिए लगातार चुनौती होती है। चर्चा के दौरान पैनल में मौजूद लोगों के सामने प्रश्न पैदा हुआ कि निवेश के बारे में कब विचार करना चाहिए।

सोनाली के मुताबिक “मैं ये सलाह नहीं दूंगी कि निवेश हासिल करने के लिये विचार करना चाहिए, फिर भी उद्यमियों को निवेशकों के साथ लगातार संपर्क में रहना चाहिए ताकि वो निवेश के तरीकों को जान सकें। वहीं दूसरी ओर उनको अपनी कंपनी पर ही अंतिम भरोसा करना चाहिए।”

पैनल में मौजूद लोगों को मानव संसाधन से जुड़े प्रश्नों का भी सामना करना पड़ा, जो किसी भी संगठन का बड़ा क्षेत्र होता है। चेस्टनट हाइट्स रिसॉर्ट्स की निदेशक शीला लुंकड के मुताबिक “टीम को तैयार करना मुश्किल काम है, इसमें कठिन परिश्रम की जरूरत होती है।” शीला का कहना था कि “हम लोगों के लिये समान रोजगार के मौके लेकर आये हैं और ये हमारे लिये बड़ी उपलब्धि है। हमारे संगठन में कोई कर्मचारी नहीं बल्कि सभी लोग परिवार के सदस्य हैं। हमने ऐसा वातावरण स्थापित करने के लिए काफी मेहनत जो की है।”