कैसे इस महिला ने इंदौर को बना दिया देश का सबसे स्वच्छ शहर
स्वच्छता के मामले में मेयर मालिनी गौड़ ने इंदौर शहर को 434 शहरों में से पहुंचाया पहले नंबर पर...
इंदौर को देश का सबसे साफ शहर बनाने के पीछे वहां के लोगों के साथ-साथ मेयर मालिनी गौड़ का भी काफी योगदान रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण में इंदौर शहर को लगातार हर वर्ष अधिक नंबर मिल रहे हैं। इसीलिए 2015 में जहां यह शहर 180वें नंबर पर था वहीं 2016 में 25वें नंबर पर आ गया।
मालिनी गौड़ कहती हैं कि जिस दिन प्रधानमंत्री ने देश को स्वच्छ बनाने की अपील की थी उसी दिन से हमने इंदौर को एकदम से साफ करने का संकल्प ले लिया था। वह पूरे आत्मविश्वास के साथ कहती हैं कि 2018 में भी शहर की रैंकिंग बरकरार रहेगी।
शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया था। इंदौर को देश का सबसे साफ शहर बनाने के पीछे वहां के लोगों के साथ-साथ मेयर मालिनी गौड़ का भी काफी योगदान रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण में इंदौर शहर को लगातार हर वर्ष अधिक नंबर मिल रहे हैं। इसीलिए 2015 में जहां यह शहर 180 वें नंबर पर था वहीं 2016 में 25वें नंबर पर आ गया। इसके बाद 2017 में 434 शहरों में इसे पहला स्थान प्राप्त हुआ। मालिनी गौड़ बताती हैं कि ये लोगों का सफाई के प्रति विश्वास और सम्मान है जिस वजह से शहर को देश के सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव हासिल हुआ।
मेयर बताती हैं कि यह इसलिए भी संभव हो पाया क्योंकि शहर के सफाई कर्मचारियों और नागरिकों ने अपना-अपना कर्तव्य समझा। सबसे पहले शहर में मौजूद 1 हजार से भी ज्यादा कचरा पेटियों को हटाना था। इसके बाद 4 लाख घरों से खुद कचरा उठाने की व्यवस्था पर काम किया गया। कचरा उठाने वाली गाड़ियों को ठीक किया गया। मेयर ने अपने स्तर पर खुद ही सारे कामकाज की मॉनिटरिंग की। जो कर्मचारी या सफाईकर्मी काम में लापरवाही बररते दिखे उन्हें चेतावनी दी गई। मालिनी गौड़ कहती हैं कि उन्हें यकीन नहीं था कि इंदौर को पहला स्थान मिल जाएगा।
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वैसे तो हर शहर में सार्वजनिक जगहों पर न थूकने की चेतावनी लिखी होती है, लेकिन उस पर अमल कम ही हो पाता है। इंदौर शहर में थूकने पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। बीते एक साल में लोगों से काफी जुर्माना वसूला गया जिसे साफ-सफाई के कामों में खर्च किया जा रहा है। मेयर मालिनी गौड़ कहती हैं कि जिस दिन प्रधानमंत्री ने देश को स्वच्छ बनाने की अपील की थी उसी दिन से हमने इंदौर को एकदम से साफ करने का संकल्प ले लिया था। वह पूरे आत्मविश्वास के साथ कहती हैं कि 2018 में भी शहर की रैंकिंग बरकरार रहेगी। अब शहर के प्रदूषण के स्तर में भी काफी गिरावट आई है।
इंदौर शहर की सफलता को देखते हुए भारत के अलग-अलग करीब 250 शहरों की नगरपालिकाएं अपने प्रतिनिधियों को इंदौर भेज रही हैं ताकि वे भी कुछ सीख ले सकें। मेयर मालिनी गौड़ इन दिनों शहर में पॉलिथीन के प्रयोग को प्रतिबंधित करने और शहर की दोनों नदियों की सफाई पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। वह कहती हैं कि शहर की सड़क ऐसी होनी चाहिए कि वहां बैठकर खाना खाया जा सके। मेयर ने कहा कि इंदौर को पहला स्थान मिलने के बाद जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं। और इस स्थिति को बरकरार रखने के लिए लगातार मेहनत की जरूरत पड़ेगी।
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