सरकारी स्कूल का यह अध्यापक स्कूल के 120 भूखे बच्चों को हर सुबह कराता है नाश्ता
चेन्नई के इस स्कूल में 120 बच्चे पढ़ते हैं और इन बच्चों के सुबह के नाश्ते का इंतजाम यहीं के अध्यापक पीके इलामरन करते हैं। नाश्ते में लगने वाला खर्च इलामरण खुद अपनी जेब से देते हैं।
इलामरण कक्षा 7वीं और 9वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाते हैं। उन्होंने कक्षा 1 से लेकर 10वीं तक के उन बच्चों की एक लिस्ट बनाई जो सुबह घर से खाना खाकर नहीं आते थे। अब इन बच्चों को सुबह होते ही नाश्ता दिया जाता है।
सरकारी सिस्टम में लाख खामियां होने के बावजूद हमें अक्सर ऐसी प्रेरणादायी कहानियां सुनने को मिल जाती हैं जिसमें अच्छे अध्यापकों या किसी अच्छे स्कूल का जिक्र होता है। तमिलनाडु के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले जी. भगवान और बिहार के मदन यादव का नाम ऐसे अध्यापकों में शुमार किया जा सकता है। भगवान की अच्छाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब उनका तबादला दूसरे स्कूल के लिए हुआ तो उनके स्कूल के बच्चे उनसे लिपटकर रोने लगे। हालांकि बच्चों की दुआएं रंग लाईं और उनका तबादला फिलहाल के लिए रुक गया।
कुछ ऐसी ही कहानी बिहार के एक टीचर मदन यादव की है। बिहार के जिस इलाके में वह बच्चों को पढ़ाते हैं वहां कोई भी व्यक्ति कभी बाहर ही नहीं गया। ऐसी जगह वे बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं और बच्चों का पूरा ख्याल रखते हैं। हम बात करने जा रहे हैं चेन्नई के उत्तरी हिस्से कोडुंगायुर के एक स्कूल की। यहां का स्कूल बाकी की जगहों वाले सरकारी स्कूल के जैसा ही है। लेकिन यहां शुरू हुई एक अनोखी पहल इसे बाकी सभी स्कूलों से अलग बना देती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक चेन्नई के इस स्कूल में 120 बच्चे पढ़ते हैं और इन बच्चों के सुबह के नाश्ते का इंतजाम यहीं के अध्यापक पीके इलामरन करते हैं। नाश्ते में लगने वाला खर्च इलामरण खुद अपनी जेब से देते हैं। उन्होंने बीते जुलाई माह से इसकी शुरुआत की थी। हालांकि यह बात उनके दिमाग में कई सालों से चल रही थी। इलामरण देखते थे कि स्कूल आने वाले अधिकतर बच्चे बिना खाना खाए घर से निकल पड़ते हैं। इससे उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। काफी सोच विचार के बाद उन्होंने फैसला किया कि अब इस समस्या का समाधान करना है।
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए इलामरण कहते हैं, 'सुबह बच्चों को खाना परोसते समय जो वक्त बीतता है वो अनमोल होता है। हम बच्चों के लिए पास से ही इडली और पोंगल की व्यवस्था करते हैं।' इलामरण कक्षा 7वीं और 9वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाते हैं। उन्होंने कक्षा 1 से लेकर 10वीं तक के उन बच्चों की एक लिस्ट बनाई जो सुबह घर से खाना खाकर नहीं आते थे। अब इन बच्चों को सुबह होते ही नाश्ता दिया जाता है। 7:30 से 8:00 बजे तक दसवीं कक्षा के बच्चों को नाश्ता मिलता है तो वहीं 8:20 से 8:50 बजे तक पहली से 9वीं कक्षा के बच्चों को नाश्ता दिया जाता है।
चेन्नई के कई सरकारी स्कूलों में अब इस पहल को शुरू करने का प्लान बनाया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट की मानें तो यह स्कूल सितंबर से अब गरीब बच्चों की फीस भी माफ करने की योजना बना रहा है।
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