जहरीली गैसों का भंडार है आपके स्मार्टफोन की बैटरी
जिन्दगी की राह आसान करने वाले स्मार्ट फोन, लैप टॉप, टैबलेट आदि उपकरणों में प्रयोग होने वाली लिथियम आयन बैटरी हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। ज्यादा देर तक ऐसे उपकरणों को चार्ज करना, जर्जर बैटरी और खराब चार्जर से ऐसी गैसों का उत्सर्जन बढ़ जाता है।
आज कल दुनिया भर की सरकारें लिथियम आयन बैटरी को बेहतर विकल्प के रूप में देखती हैं और इसके उपयोग को प्रोत्साहित कर रही हैं। जबकि ये बैटरियां हमारे स्वास्थ्य के लिए हद से ज्यादा हानिकारक हैं।
स्मार्टफोन का दखल जितनी तेजी से हमारी जिंदगी में बढ़ रहा है उससे भी अधिक तेजी से उससे जुड़े खतरे बढ़ते जा रहे हैं। जिन्दगी की राह आसान करने वाले स्मार्ट फोन, लैप टॉप, टैबलेट आदि उपकरणों में प्रयोग होने वाली लिथियम आयन बैटरी हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। ज्यादा देर तक ऐसे उपकरणों को चार्ज करना, जर्जर बैटरी और खराब चार्जर से ऐसी गैसों का उत्सर्जन बढ़ जाता है। आज कल दुनिया भर की सरकारें लिथियम आयन बैटरी को बेहतर विकल्प के रूप में देखती हैं और इसके उपयोग को प्रोत्साहित कर रही हैं। जबकि ये बैटरियां हमारे स्वास्थ्य के लिए हद से ज्यादा हानिकारक हैं।
एक ताजा अध्ययन के अनुसार, 'स्मार्टफोन की बैटरी से 100 से अधिक खतरनाक गैसें निकलती हैं।' चीन की सिंघुआ यूनिवर्सिटी और अमेरिका के इंस्टीट्यूट ऑफ एनबीसी डिफेंस के शोधकर्ताओं के अनुसार, लीथियम बैटरियों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड समेत 100 से अधिक खतरनाक गैसों की पहचान की गई है। इनसे त्वचा, आंखों और नासिका मार्ग में जलन होने के अलावा पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। अधिकतर लोग तो यह भी नहीं जानते कि रिचार्ज होने वाले उपकरणों की बैटरी का अधिक गरम होना और घटिया स्तर के चार्जर का उपयोग भी खतरनाक हो सकता है।
20 हजार बैटरियों पर किया रिसर्च
इस स्टडी के लिए 20 हजार लीथियम आयन बैटरियों को काम में लिया गया। इनको आग पकडऩे के तापमान तक गर्म किया गया। इस दौरान बहुत सी बैटरियां फट गईं और उन्होंने कई जहरीली गैसें छोड़ीं। इसमें यह भी सामने आया कि बैटरियां कई बार चार्जिंग के दौरान या अन्य तरीकों से ओवरहीट होने पर भी ऐसे फट सकती हैं और नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनमें यह भी बात सामने आई की यदि आप कार में या किसी बंद जगह पर हों और कार्बन मोनॉक्साइड बैटरियों से निकलती रहे तो यह घातक साबित हो सकती है। हालांकि भले ही यह कम मात्रा में निकल रही हो।
प्रमुख शोधकर्ता और इंस्टीट्यूट ऑफ एनबीसी डिफेंस की प्रोफेसर जी सन के मुताबिक, 'आजकल दुनियाभर के कई देशों की सरकारें इलेक्ट्रानिक वाहनों से लेकर मोबाइल उपकरणों के लिए लीथियम-आयन बैटरियों को बढ़ावा दे रही हैं। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आम लोगों को ऊर्जा के इस स्त्रोत के पीछे के खतरे के प्रति सचेत किया जाए।'
इन खतरनाक बैटरियों पर लगे रोक
शोधकर्ताओं ने इन खतरनाक गैसों से बचने का आग्रह किया है। आजकल दुनिया के कई देशों की सरकारें मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक से चलने वाली गाड़ियों में लीथियम बैटरियों को यूज कर रही है। आम लोगों को इस बड़े खतरे से सावधान रहना चाहिए। कोबाल्ट आॅक्साइड से बनी लीथियम बैटरी में एनर्जी डेन्सिटी ज्यादा होती है। आमतौर पर लीथियम बैटरी उपयोग में भी ज्यादा आती है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार बैटरी में विस्फोट होने के कारण कई कंपनियों को अपने उपकरणों को बाजार से वापस मंगवाना पड़ा है। डेल कंपनी ने बैटरी में विस्फोट की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर वर्ष 2006 में अपने लाखों लैपटॉप को बाजार से बाहर किया था। सैमसंग ने भी बैटरी में आग लगने की घटनाओं के कारण अपने लाखों सैमसंग ग्लैक्सी नोट-7 को बाजार से वापस मंगवाया ।
डॉ. सन के मुताबिक, 'यह चिन्ता का विषय है कि लिथियम आयन बैटरी से खतरनाक गैस के रिसाव और उसके उद्गम के बारे में अभी तक ठोस अध्ययन नहीं हुआ है।' ये गैसें पर्यावरण के लिए भी खतरा उत्पन्न करती हैं। इन 100 गैसों में सर्वाधिक खतरनाक कार्बन मोनो ऑक्साइट गैस तो कम समय में काफी खतरनाक सिद्ध हो सकती है। बंद छोटी कारों और बंद विमान के केबिन में कार्बन मोनो आक्साइड का रिसाव बेहद खतरनाक हो सकता है।
खतरें से बचने के उपाय
बैटरी गर्म होने पर मोबाइल का उपयोग न करें। बैटरी को फुल से थोड़ा कम चार्ज करें। सोने जाने से पहले मोबाइल चार्जिंग से हटा दें। बैटरी को बार-बार चार्जिंग पर न लगाए। मोबाइल को कंपनी चार्जर से ही चार्ज करें। USB या डाटा बैंक से मोबाइल चार्ज करने से बचें।