बनना चाहते हैं करोड़पति, तो आप भी जानें, कि क्या है Bitcoin और Litecoin
क्रिप्टोकरंसी का जमाना: बिटकॉइन है सोना तो लाइटकॉइन को मानें चांदी...
आज के हाईटेक समय में जमाना अत्याधुनिक हो गया है, जहां बात नोट और ऑनलाइन पेमेंट से काफी आगे निकल चुकी है। मार्केट में अब ऐसी आभासी मुद्राएं आ गई हैं, जिन्हें न तो देखा जा सकता है और न ही छूकर अनुभव किया जा सकता है। इन्हें सिर्फ ऑनलाइन व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि इन करंसी की कीमत इतनी ज्यादा है कि अगर किसी के पास दस बिटकॉइन हैं तो वह करोड़पति है...
हालांकि बिटकॉइन अकेली क्रिप्टोकरंसी नहीं है। इसके अलावा कई सारी वर्चुअल करंसी मार्केट में आ गई हैं जो कि अच्छे-खासे ग्रोथ के साथ आगे बढ़ रही हैं। ऐसी ही एक करंसी है लाइटकॉइन।
बिटकॉइन में माइनिंग और ट्रांजैक्शन टाइमिंग को लेकर कई सारी समस्याएं हैं। तीन साल बाद आई करंसी लिटकॉइन के संस्थापक चार्ली ली ने इन सारी समस्याओं को लाइटकॉइन में दूर करने का प्रयास किया है।
समय के साथ-साथ करंसी के रूपों में भी बदलाव हो रहा है। किसी समय में वस्तुओं के बदले दूसरी वस्तुओं का आदान प्रदान होता था, जिसे वस्तु विनिमय कहा जाता है। उसके बाद सिक्कों का प्रचलन बढ़ा उसके बाद जमाना आधुनिक हुआ और नोट आ गईं। लेकिन आज के हाईटेक समय में जमाना अत्याधुनिक हो गया जहां बात नोट और ऑनलाइन पेमेंट से आगे निकल चुकी है। अब ऐसी आभासी मुद्राएं आ गई हैं जिन्हें न तो देखा जा सकता है और न ही छूकर अनुभव किया जा सकता है। इन्हें सिर्फ ऑनलाइन व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि इन करंसी की कीमत इतनी ज्यादा है कि अगर किसी के पास दस बिटकॉइन हैं तो वह करोड़पति है।
विदेशी मार्केट में खोजी गईं ये करंसी काफी तेजी से विकसित हो रही हैं। हाल ही में इस प्रचलित करंसी को अमेरिका के एक शेयर बाजार में लिस्ट किया गया जिसके बाद इसकी कीमत 18,000 डॉलर के स्तर पर पहुंच गईं। यानी कि एक बिटकॉइन का दाम 12 लाख रुपये हो गया। बिटकॉइन नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी है। इसका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा सकता है। इसका आविष्कार 2008 के आसपास संतोषी नाकामातो नामक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने किया था। वह गायब हो चुके हैं, लेकिन कई डेवलपर्स और आंत्रप्रेन्योर्स ने बिटकॉइन को अपनाया है। अब हजारों कंपनियों, लोगों और नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशंस में ग्लोबल बिटकॉइन इको सिस्टम है, जो बिटकॉइन को आगे डेवेलप कर इस टेक्नोलॉजी पर आधारित सर्विसेज मुहैया कराते हैं।
भारत में भी वर्चुअल करेंसी के लिए जबरदस्त गुंजाइश है। हालांकि इसे अभी भारत सरकार ने मान्यता देने से इनकार कर दिया है, लेकिन बिटकॉइन फास्ट, सस्ता और सुरक्षित माध्यम है। मिसाल के तौर पर यह क्रेडिट कार्ड्स से ज्यादा सुरक्षित है, जहां फ्रॉड की काफी घटनाएं होती हैं। अगर आप ऑनलाइन बिजनेस चलाते हैं, तो आप इसके जरिए फ्रॉड से बच सकते हैं। साथ ही, पैसे बचाने के अलावा कई नए कस्टमर्स तक पहुंच सकते हैं। कंज्यूमर्स के लिए कई ऐसी ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉप हैं, जहां वे बिटकॉइन के जरिए खरीदारी कर सकते हैं। आमतौर पर कारोबारी बिटकॉइन ट्रांजैक्शन पर डिस्काउंट ऑफर कर रहे हैं, क्योंकि इस पर उन्हें बचत होती है।
इसकी अच्छी बात यह है कि इसमें किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं है। आप फ्री में बिटकॉइन सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि बिटकॉइन अकेली क्रिप्टोकरंसी नहीं है। इसके अलावा कई सारी वर्चुअल करंसी मार्केट में आ गई हैं जो कि अच्छे-खासे ग्रोथ के साथ आगे बढ़ रही हैं। ऐसी ही एक करंसी है लाइटकॉइन। इसे बिटकॉइन का सबसे करीबी माना जा सकता है, क्योंकि इसका कठिनाई स्तर भी बिटकॉइन से मिलता जुलता है। कॉइनमार्केटकैप वेबसाइट के अनुसार पिछले सप्ताह लाइटकॉइन अभी तक के सर्वकालिक उच्च स्तर (106.22 डॉलर) पर था जबकि 2017 की शुरुआत में यह 4 डॉलर पर था। 2017 में इसमें 2,300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है।
क्या है अंतर?
बिटकॉइन में माइनिंग और ट्रांजैक्शन टाइमिंग को लेकर कई सारी समस्याएं हैं। तीन साल बाद आई करंसी लिटकॉइन के संस्थापक चार्ली ली ने इन सारी समस्याओं को लाइटकॉइन में दूर करने का प्रयास किया है। जहां बिटकॉइन एक ब्लॉक को हर दस मिनट में प्रोसेस करता है वहीं लाइटकॉइन को इस काम में सिर्फ 2.5 मिनट लगते हैं। लाइटकॉइन के पास बिटकॉइन के मुकाबले ज्यादा तकरीबन 4 गुना टोकन हैं। इसके अभी 8.4 करोड़ टोकन में 5.4 करोड़ टोकन प्रचलन में हैं। हालांकि इसे पूरी तरह से माइन होने में सौ से भी ज्यादा साल लग जाएंगे। क्योंकि इसका माइनिंग डिफिकल्टी रेट काफी ज्यादा है।
दूसरा बड़ा फर्क इन दोनों करंसी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एल्गोरिदम में है। जहां बिटकॉइन इंटेसिव SHA256 अल्गोरिदम प्रोसेसर का इस्तेमाल करता है, लाइटकॉइन मेमोरी इंटेसिव स्क्रिप्ट अल्गोरिदम का इस्तेमाल करता है। लाइटकॉइन को अक्टूबर 2011 में गूगल में काम करने वाले इंजीनियर चाल्र्स ली ने बनाया था। हालांकि इसकी कीमत अभी बिटकॉइन से काफी कम है लेकिन छोटे लेनदेन के माइनिंग को लेकर यह आगे है। इसका भुगतान प्लेटफॉर्म एक ब्लॉक के माइनिंग में 2.5 मिनट का समय लगाता है, जबकि बिटकॉइन के मामले में यह समय लगभग 10 मिनट है।
Coingecko.com पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 0.88 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेशन के साथ लिटकॉइन 16,313 रुपये के आसपास ट्रेड कर रही थी। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लिटकॉइन की कीमत करीब 253 डॉलर है। सालाना आधार पर 12 दिसंबर तक लिटकॉइन की कीमत 5700 प्रतिशत उछल गई जबकि इस दौरान बिटकॉइन को महज 1550 प्रतिशत मजबूत हुई थी।
ऐसी ही एक और करंसी है रिपल। इसे 2012 में बनाया गया और यह न सिर्फ एक क्रिप्टोकरेंसी (रिपल एक्सआरपी) है, बल्कि एक भुगतान नेटवर्क (रिपलनेट) भी है। वेबसाइट कॉइनमार्केटकैप के अनुसार वर्ष 2017 में अब तक इसमें 3,600 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है और 0.243246 डॉलर की कीमत पर इसका मार्केट वैल्युएशन 9,42,31,42,067 डॉलर हो चुका है। रिपलनेट एक लेनदेन को करने में लगभग 4 सेकंड का समय लेता है, जबकि बिटकॉइन एक घंटे के करीब। इन दोनों में बड़ा अंतर यह है कि बिटकॉइन की माइनिंग अभी भी जारी है जबकि सारे रिपल कॉइन को माइन किया जा चुका है। खुद कंपनी के पास 16 अरब डॉलर की कीमत के लगभग 61 प्रतिशत रिपल एक्सआरपी हैं।
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