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70 वर्षीय आदिवासी व्यक्ति ने खेतों को सींचने के लिए खोदी 1,000 मीटर लंबी नहर

70 वर्षीय आदिवासी व्यक्ति ने खेतों को सींचने के लिए खोदी 1,000 मीटर लंबी नहर

Wednesday June 27, 2018 , 3 min Read

बैतरणनी के रहने वाले दैतरी नायक ने अपने खेतों को सींचने के लिए लगभग एक किलोमीटर लंबी नहर खोद दी। बिहार के माउंटेनमैन कहे जाने वाले दशरथ मांझी की ही तरह दैतरी ने भी पत्थरों, चट्टानों और मिट्टी को हटाते हुए अपने खेतों तक पानी पहुंचाने का रास्ता बनाया।

खेतों तक पानी पहुंचाने का रास्ता बनाते ग्रामीण (फोटो साभार- डेलीहंट)

खेतों तक पानी पहुंचाने का रास्ता बनाते ग्रामीण (फोटो साभार- डेलीहंट)


दैतरी के भाई मयधर नायक ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में पानी की काफी समस्या है। इसलिए हमने सोचा कि अगर मिलकर रास्ता बनाएं तो हमारे खेतों तक पानी आ सकता है।

ओडिशा के केवनझार जिले के बांसपाल ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांव बैतरणनी के रहने वाले दैतरी नायक ने अपने खेतों को सींचने के लिए लगभग एक किलोमीटर लंबी नहर खोद दी। बिहार के माउंटेनमैन कहे जाने वाले दशरथ मांझी की ही तरह दैतरी ने भी पत्थरों, चट्टानों और मिट्टी को हटाते हुए अपने खेतों तक पानी पहुंचाने का रास्ता बनाया। उन्होंने कहा, 'हम जिस इलाके में रहते हैं यहां के लोग मुख्य तौर पर खेती पर ही आश्रित हैं। लेकिन सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण अच्छी खेती नहीं हो पाती।'

इस समस्या का समाधान खोजते हुए दैतरी अपने परिवार को लेकर पानी का रास्ता बनाने की कोशिश में लग गए। हालांकि जिला प्रशासन से उन्होंने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। इसके बाद आस-पास के सभी आदिवासी परिवारों ने तय किया कि वे खुद ही काम पर लगेंगे और नहर बनाएंगे। दैतरी के भाई मयधर नायक ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में पानी की काफी समस्या है। इसलिए हमने सोचा कि अगर मिलकर रास्ता बनाएं तो हमारे खेतों तक पानी आ सकता है।

जंगल से घिरे इस क्षेत्र में बांसपाल, तेलकोई, हरिचंदनपुर जैसै आदिवासी इलाके आते हैं। पूरा क्षेत्र सिर्फ बारिश पर निर्भर रहता है। फिर चाहे खेतों की सिंचाई के लिए हो या फिर पीने के लिए पानी। सारी जरूरतें बारिश के पानी से ही पूरी होती हैं जो कि स्वच्छ भी नहीं रहता। खेतों में सिंचाई के लिए कई सारे बांध भी बनाए गए हैं, लेकिन निचले इलाकों तक आसानी से पानी नहीं पहुंच पाता। कंकड़ और पत्थर से घिरे इलाके में नाली या नहर की जरूरत होती है। जिन लोगों को अपने खेतों तक पानी पहुंचाना होता है वे इन पत्थरों को रास्ते से साफ करते हैं।

इस इलाके के लघु सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता सुधाकर बहेरा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, 'रिपोर्ट्स के मुताबिक लोगों ने पहाड़ी रास्तों से खेतों तक नहर की खुदाी की है। हमें ये सूचना मिली है और हमने उस गांव तक जाने का फैसला किया है। हम गांव के लोगों से मिलेंगे और सिंचाई से संबंधी उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेंगे।'

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