14 असफलताओं के बाद आईआईटी के तीन होनहारों ने बनाया देसी ऐप शेयरचैट
शेयर चैट 2015 में अस्तित्व में आया था। इस ऐप के जरिए हिंदी, तमिल, तेलुगू, पंजाबी समेत 10 भाषाओं में गुड मॉर्निंग से लेकर काम की बातें की जाती हैं। इसमें यूजर किसी भी एक भाषा का चुनाव करके अपने फ़ोन से लॉग इन कर सकता है।
भाषाई बाधा को दूर करने के लिए आईआईटी कानपुर से पढ़े अंकुश सचदेवा (23) भानु सिंह (25) और फरीद भारत का अपना सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म विकसित करने में लगे हुए हैं।
शेयरचैट एक करोड़ डाउनलोड की करीब है और इसके चालीस लाख एक्टिव यूजर हैं। यह हर हफ्ते 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
भारत में अंग्रेजी बोलने वालों का प्रतिशत मात्र 10 प्रतिशत है। यानी की 90 फीसदी आबादी अंग्रेजी नहीं जानती है, लेकिन उसके बावजूद लगभग सारे बड़े काम अंग्रेजी में होते हैं। उच्च शिक्षा से लेकर किसी भी मशीन का विवरण भी अंग्रेजी में ही होता है। फेसबुक और सोशल मीडिया के कई अन्य प्लेटफॉर्म के आने के बाद क्षेत्रीय भाषाओं का चलन बढ़ा है और उन्हें तवज्जो भी दी जाने लगी है, लेकिन इन सभी सोशल मीडिया का रंग रूप और व्यवहार पूरी तरह से विदेशी है। ये सारे ऐप अभी भारतीय मानसिकता को समझ पाने में विफल रहे हैं। इस भाषाई बाधा को दूर करने के लिए आईआईटी कानपुर से पढ़े अंकुश सचदेवा (23) भानु सिंह (25) और फरीद भारत का अपना सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म विकसित करने में लगे हुए हैं।
फरीद बताते हैं कि उनका बनाया हुआ ऐप शेयरचैट पूरी तरह से देसी है। वह कहते हैं, 'भारत में महानगरों में रहने वाले और कस्बों या छोटे शहर के लोगों में काफी फर्क है। फेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का वे वैसे इस्तेमाल नहीं करते जिसके लिए वे बने हैं।' शेयर चैट एक फ्री एंड्रॉयड ऐप है और यह आईओएस प्लैटफॉर्म पर मोजूद नहीं है। यह 10 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है और खास बात यह है कि अंग्रेजी भाषा इसमें शामिल नहीं है। इसमें भोजपुरी और छत्तीसगढ़ी जैसी भाषाएं भी शामिल हैं। शेयरचैट एक करोड़ डाउनलोड की करीब है और इसके चालीस लाख एक्टिव यूजर हैं। यह हर हफ्ते 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
शेयर चैट 2015 में अस्तित्व में आया था। इस ऐप के जरिए हिंदी, तमिल, तेलुगू, पंजाबी समेत 10 भाषाओं में गुड मॉर्निंग से लेकर काम की बातें की जाती हैं। इसमें यूजर किसी भी एक भाषा का चुनाव करके अपने फ़ोन से लॉग इन कर सकता है। अपनी भाषा में फोटो, विडियो, या चुटकुले, शायरी, कविता अपने नाम से डाल सकता है। अपने पसंदीदा पोस्ट डालने वाले यूजर को लोग फॉलो भी कर सकते हैं। इन सब के अलावा देश भर से आ रहे सारे कंटेंट को फेसबुक, वॉट्सऐप और अन्य भी दुसरे एप्स पर शेयर कर सकते हैं। इस एप में लाइक और सेव का विकल्प भी उपलब्ध है। साथ ही सारी पोस्ट को ताज़ा, पॉपुलर और भी कई श्रेणियों में यूजर की सुविधा के लिए बांट दिया गया है।
शेयरचैट का ऑफिस बेंगलुरु में है। यहां पर एक छोटा सा ऑफिस बनाया गया है। जहां कोई बड़ा साइनबोर्ड भी नहीं लगा है। फाउंडर्स मेंबर का कहना है कि ये अपना ऑफिस नहीं बदलना चाहते हैं।
शेयरचैट टीम में लगभग 50 लोग हैं इसमें 18 डेवलपर्स भी शामिल हैं। फरीद बताते हैं कि वह दिल से एक हैकर हैं और एक हैकर का माइंडसेट फर्स्ट प्रिंसिपल को समझता है। शेयरचैट का ऑफिस बेंगलुरु में है। यहां पर एक छोटा सा ऑफिस बनाया गया है। जहां कोई बड़ा साइनबोर्ड भी नहीं लगा है। फाउंडर्स मेंबर का कहना है कि ये अपना ऑफिस नहीं बदलना चाहते हैं। यहां सारे कर्मचारी अपने काम में व्यस्त रहते हैं। अंकुश बताते हैं कि वे सब पिछले पांच सालों से साथ ही काम कर रहे हैं। इन तीनों युवा फाउंडर्स का नाम फोर्ब्स की अंडर-30 वाली लिस्ट में भी आ चुका है। ये तीनों आपस में काफी अच्छे दोस्त भी हैं।
अब तक इन्होंने साथ में 17 प्रोजेक्ट में काम किया था जिसमें से 14 प्रोजेक्ट फेल हो गए। इन्होंने देखा कि भारत के लोग फेसबुक औऱ वॉट्सऐप को उस तरीके से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जिसके लिए वे बने हैं। जैसे कि फेसबुक पर वॉट्सऐप ग्रुप पर जोड़ने की मुहिम चलती है और वॉट्सऐप पर फोटो पोस्ट किए जाते हैं। फरीद बताते हैं कि आप यह जानकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि लगभग 80,000 लोगों ने बात करने के लिए अपने नंबर साझा कर दिए। फरीद को लगा कि ये लोग हमारे जैसे नहीं हैं। इन्हें अपनी प्राइवेसी की भी परवाह नहीं है। ये बस एक दूसरी की खुशियों की खातिर अपना नंबर भी शेयर कर दे रहे हैं।
शेयर चैट के तीनों फाउंडर्स ने इन सारे नंबरों को लेकर एक ग्रुप बनाया और उन सारे लोगों को इकट्ठा किया जिनकी पसंद एक जैसी थी। वैसे भी जियो का कनेक्शन मार्केट में आ जाने के बाद स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। फाउंडर्स ने देखा कि लोग कुछ भी सर्च करने के लिए गूगल के बजाय अपने वॉट्सऐप के ग्रुप की ओर भागते हैं। उनके लिए ये ग्रुप गूगल का काम करते हैं। इसकी जाहिर सी वजह थी कि लोगों को अंग्रेजी नहीं आती थी। इसीलिए उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म से अंग्रेजी को एकदम से हटा दिया गया। उन्होंने एक यूजर जेनरेटेड कंटेंट सिस्टम भी बनाया। जब लोगों को लगा कि उनकी अपनी भाषा में उन्हें जानकारी और रोचक सामग्री मिल रही है तो वे क्यों किसी दूसरे प्लेटफॉर्म का रुख करें।
अभी शेयरचैट के 70 प्रतिशत यूडर्स 12 से 25 साल के बीच के हैं। 86 प्रतिशत यूजर टियर II और टीयर II सिटी के हैं। इतना ही नहीं इसके कुछ इंटरनेशनल हैं जो कि बांग्लादेश, दुबई और कनाडा जैसे शहरों में रहते हैं।
पिछले साल गूगल ने एक मेंटरशिप प्रोग्राम चलाया गया था जिसका नाम था गूगल लॉन्च एक्सलेरेटर प्रोग्राम। इस प्रोग्राम में पूरे देश से सिर्फ 6 एप को चुना गया था जिसमें शैयरचैट भी शामिल था। इसके अंतर्गत चुने गए एप को 6 महीने तक गूगल के एक्सपर्ट्स सहयोग और आर्थिक मदद दी गई थी। शेयरचैट के जरिए यूजर एक दूसरे को फोलो कर पाते हैं, अपनी भाषा में कंटेट खोज पाते हैं और बना भी पाते हैं और इसे शेयर भी कर सकते हैं। शेयरचैट की शुरूआत एक फन एप के तौर पर हुई थी।
शेयरचैट के फाउंडर्स को लगता है कि आने वाले समय में काफी सारे लोग फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म से शेयरचैट की ओर झुकेंगे। उन्हें लगता है कि अभी हिंदी और बाकी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बोलने वाली आबादी अभी भी इंटरनेट की पहुंच से दूर है। आने वाले समय में जब उन्हें इंटरनेट की सुविधा मिलेगी तो देश में एक नई तरह की क्रांति आ जाएगी। हालांकि अभी एक बड़ी समस्या कंटेंट की भी है। कई सारे प्लेटफॉर्म पर यूजर को आकर्षित करने के लिए सेमी पोर्न कंटेंट भी परोस दिया जाता है, लेकिन फरीद का कहना है कि शेयर चैट इस जुगत से काफी दूर है। इस ऐप का सिस्टम अश्लील कंटेंट को अपने आप टाइमलाइन में नीचे कर देता है।
अभी शेयरचैट के 70 प्रतिशत यूडर्स 12 से 25 साल के बीच के हैं। 86 प्रतिशत यूजर टियर II और टीयर II सिटी के हैं। इतना ही नहीं इसके कुछ इंटरनेशनल यूजर्स भी हैं जो कि बांग्लादेश, दुबई और कनाडा जैसे शहरों में रहते हैं। रोजाान पैंतीस लाख कंटेंट शेयरचैट से वॉट्सऐप पर शेयर किया जाता है। वॉट्सऐप पर शेयरचैट के कंटेंट को 20 बार फिर से रीशेयर किया जाता है। फरीद ने बताया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर महिलाओं की संख्या को बढ़ाना चाहते हैं। भारत बेस्ड डेटा ऐनालिसिस फर्म कालागाटो के सीबीओ अमन कुमार के मुताबिक शेयरचैट में ऐसे फीचर्स हैं जो उसे एकदम यूनिक बनाते हैं। संयोग की बात है कि इन्वेस्टमेंट फर्म हाइवे के भी शेयरचैट में कुछ शेयर हैं। हाइवे के अडवाइजर वॉट्सऐप के बिजनेस हेड भी हैं।
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