पत्रकारिता में 'रिपोर्टिंग की क्लास'
पत्रकारिता पर वैसे तो अनेकशः पुस्तकें उपलब्ध हैं, पत्रकारिता के सबसे महत्वपूर्ण आयाम रिपोर्टिंग के संबंध में भी समय-समय पर अनेक किताबें आती रही हैं, इन पुस्तकों के बीच 'क्लास रिपोर्टर' कुछ खास है। उसके खास होने की वजह पत्रकार इसके पीछे मेरा लम्बा रचनात्मक अनुभव रहा है।
पत्रकारिता के दौरान ही मैंने रिपोर्टिंग पर एक मुक्कमल किताब 'क्लास रिपोर्टर' लिखने की योजना बना ली थी। पुस्तक में बाईस अध्याय हैं। इन अध्यायों में रिपोर्टिंग के विभिन्न पक्षों पर गहराई से चर्चा की गई है। यह पुस्तक न केवल पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है बल्कि नये रिपोर्टर के लिए भी उतनी ही पठनीय है।
पुस्तक के बैक कवर पर मीडिया गुरु संजय द्विवेदी की टिप्पणी पर जरा गौर करें, वे लिखते हैं- 'सूचना की बहुतायत के बीच खबरें चुनना और उन्हें अपने लक्ष्य समूह के लिए प्रस्तुत करना साधारण कला नहीं है। पत्रकारिता का बुनियादी कर्म रिपोर्टिंग कितना महत्वपूर्ण है। समाचार पत्र-पत्रिका, न्यूज चैनल्स, रेडियो या फिर वेबसाइट पर हम जो खबर पढ़-देख-सुन रहे हैं, उसके पीछे रिपोर्टर की अहम भूमिका है।
पत्रकारिता पर वैसे तो अनेकशः पुस्तकें उपलब्ध हैं, पत्रकारिता के सबसे महत्वपूर्ण आयाम रिपोर्टिंग के संबंध में भी समय-समय पर अनेक किताबें आती रही हैं, इन पुस्तकों के बीच 'क्लास रिपोर्टर' कुछ खास है। उसके खास होने की वजह पत्रकार इसके पीछे मेरा लम्बा रचनात्मक अनुभव रहा है। पत्रकारिता के दौरान ही मैंने रिपोर्टिंग पर एक मुक्कमल किताब 'क्लास रिपोर्टर' लिखने की योजना बना ली थी। पुस्तक में बाईस अध्याय हैं। इन अध्यायों में रिपोर्टिंग के विभिन्न पक्षों पर गहराई से चर्चा की गई है। यह पुस्तक न केवल पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है बल्कि नये रिपोर्टर के लिए भी उतनी ही पठनीय है।
पुस्तक के बैक कवर पर मीडिया गुरु संजय द्विवेदी की टिप्पणी पर जरा गौर करें, वे लिखते हैं- 'सूचना की बहुतायत के बीच खबरें चुनना और उन्हें अपने लक्ष्य समूह के लिए प्रस्तुत करना साधारण कला नहीं है। पत्रकारिता का बुनियादी कर्म रिपोर्टिंग कितना महत्वपूर्ण है। समाचार पत्र-पत्रिका, न्यूज चैनल्स, रेडियो या फिर वेबसाइट पर हम जो खबर पढ़-देख-सुन रहे हैं, उसके पीछे रिपोर्टर की अहम भूमिका है। जो खबरें हम तक आ रही हैं, उसके पीछे सर्वाधिक मेहनत रिपोर्टर की है। उसकी सूझ-बूझ से बड़ी-बड़ी खबरें दुनिया के सामने आती हैं। रिपोर्टर अपना काम न करें तो अखबार के पन्ने भरना मुश्किल हो जाएगा। पत्रकारिता में रिपोर्टिंग इतनी अहम है। इसलिए रिपोर्टिंग के विभिन्न आयामों पर चर्चा करती और सही मायने में पुस्तक के विभिन्न पन्नों पर रिपोर्टिंग सीखती 'क्लास रिपोर्टर' एक महत्वपूर्ण पुस्तक बन जाती है। अमूमन पत्रकारिता के किसी एक आयाम पर केन्द्रित पुस्तक में पुरातन पाठ्य सामग्री और पुरानी परिभाषाओं की भरमार होती है लेकिन 'क्लास रिपोर्टर' में पुराने विद्वानों के साथ-साथ पत्रकारिता को नजदीक से देख रहे आज के मीडियाकर्मियों, मीडिया शिक्षकों और विद्वानों की टिप्पणियों को उचित स्थान दिया है।'
भारत में पत्रकारिता के पुरोधाओं ने जो सिद्धांत दिए, वे आज भी प्रासंगिक हैं, इस बात में कोई शंका नहीं है। उनका दिखाया हुआ रास्ता आज भी सही है। पत्रकारिता के मूल्य वे ही हैं, जो उन्होंने तय किए थे। लेकिन, समय तो बदला है। तकनीक बहुत तेजी से बदली है और नित्य बदल रही है। पत्रकारिता के तरीके भी बदले हैं। कलम और कागज की जगह की-बोर्ड और कम्प्यूटर स्क्रीन ने ले ली है। इस तकनीक का असर रिपोर्टिंग पर भी पड़ा है। ऐसे समय में आज के विद्वानों के विचारों को पुस्तक में शामिल कर रिपोर्टिंग को नजदीक से समझने का मौका पाठकों को उपलब्ध होता है। तकनीक के दौर में रिपोर्टर को किस तरह सजग रहना चाहिए, यह पुस्तक में बताया गया है। किस तरह कोई एक बेहतर रिपोर्टर बन सकता है? बिजनेस, अपराध, सोशल, खेल, कृषि, ग्रामीण, विज्ञान, राजनीति, संसद और विकास से जुड़े मुद्दों के कवरेज पर व्यापक जानकारी पुस्तक में दी गई है। रिपोर्टिंग के पहले पाठ से लेकर रिपोर्टिंग की पढ़ाई और करियर तक 'क्लास रिपोर्टर' में सब समाहित है। सही मायने में यह पुस्तक किसी भी मीडिया विद्यार्थी को न केवल रिपोर्टिंग के सिद्धांतों, रिपोर्टिंग के विविध आयामों, रिपोर्टिंग के महत्व से परिचत करती है बल्कि उसे एक उम्दा रिपोर्टर भी बनाती है।
'क्लास रिपोर्टर' में रिपोर्टिंग की भाषा और वर्तनी पर गंभीर सामग्री दी गई है। हम रिपोर्टिंग में सरल और सहज भाषा की बात तो करते हैं लेकिन शब्दों के सही प्रयोग के भी हामी हैं। कुछ स्वयंभू सम्पादक जब सरलीकरण के नाम पर हिन्दी के सौन्दर्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, तब कोई किताब हिन्दी के सही शब्दों के उपयोग पर जोर डालती है। यह एक उम्मीद भी जगाती है कि इस किताब को पढ़कर पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले युवा हिन्दी का सौन्दर्य बचाएंगे। निश्चित ही यह पुस्तक पत्रकारिता के विद्यार्थियों और पत्रकारिता से जुड़े विद्वानों का ध्यान खींचने में समर्थ रहेगी। खासकर पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए तो यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। पुस्तक के अंतिम पाठ 'रिपोर्टिंग की पढ़ाई और करियर' में पत्रकारिता के विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी दी गई है। ये पाठ्यक्रम कहां से किए जा सकते हैं, यह भी बताया गया है। पत्रकारिता की पढ़ाई कराने वाले कई संस्थान प्रवेश से पहले परीक्षा का आयोजन करते हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल सहित अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए किस तरह की तैयारी लगती है, अंतिम अध्याय में मीडिया शिक्षिका डॉ. वर्तिका नंदा ने संक्षिप्त में बताया है। पुस्तक की भाषा सहज और सरल है। 208 पृष्ठों और 22 अध्यायों में विस्तारित पाठ्य सामग्री गंभीर है।